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पिछली भाजपा सरकार ने राजस्थान में खोला था तबादला उद्योगः राजकुमार शर्मा

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को कांग्रेस विधायक राजकुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया तबादला उद्योग खोल दिया था. पिछली सरकार ने संस्कृत और संस्कृति पर कोई ध्यान नहीं दिया. शिक्षा नीति के माध्यम से प्रदेश के छात्रों को अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण मिल सके, इस पर पिछली सरकार ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया.

विधानसभा में शुक्रवार को शिक्षा, कला और संस्कृति विभाग की अनुदान मांगों पर बहस हो रही थी. इसमें पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने भाग लिया. बहस के दौरान राजेन्द्र गुढ़ा और चंद्रभान आक्या की बेवजह टोकाटाकी के कारण गर्मागर्मी भी हुई. सीपी जोशी की गैरहाजिरी में सभापति का दायित्व राजेन्द्र पारीक निभा रहे थे. उन्होंने दोनों विधायकों की जमकर खिंचाई की.

पारीक ने कहा, आप सब पैसे वाले हैं, आपके बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते. लेकिन उन परिवारों की सोचिए, जो बिना सुख-सुविधाओं वाले इन स्कूलों में जाने के लिए मजबूर हैं. जो सरकारी स्कूलों में सुबह से लेकर शाम तक दरी पर बैठकर घर आ जाते हैं. स्कूल में जाकर झाड़ू लगाते हैं. वहां न चपरासी है न शिक्षक. आप सब क्या चाहते हैं? क्या वे बच्चे वैसे ही रहें? हम सब आखिर किस बात की सेवा का संकल्प लेकर आए हैं, जब शिक्षा जैसे अहम मुद्दे पर ही गंभीर नहीं हैं? उन गरीब परिवारों से पीड़ा पूछिए, जो मजबूरी के कारण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने भेजते हैं. क्योंकि सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं. अगर हम सब बैठकर सारगर्भित चर्चा कर लेंगे, कोई अच्छा सुझाव दे देंगे, सारी व्यवस्थाएं सुधार लेंगे, इसमें किसी को कोई एतराज है क्या?

चंद्रभान आक्या चित्तौड़गढ़ के विधायक हैं. वह आवेश में आकर सभापति को संबोधित करने लगे थे. सभापति ने उनसे कहा था कि यूट्यूब पर जनता आपको लाइव देख रही है. टोकाटाकी न करें. ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला सहित कई कांग्रेस विधायकों ने चंद्रभान आक्या के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि विधायक सभापति से माफी मांगें या सभापति उनके खिलाफ कार्रवाई करें. हालांकि राजेन्द्र पारीक ने कोई कार्रवाई नहीं की. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, राजकुमार शर्मा और सुरेश मोदी कुछ बोलना चाहते थे, लेकिन पारीक ने उन्हें बैठा दिया.

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने बहस में भाग लेते हुए कि शिक्षा विभाग इतना बड़ा और महत्वपूर्ण है, लेकिन इस विभाग के मंत्री कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नहीं. पिछली सरकार में भी और इस सरकार में भी यह विभाग राज्यमंत्री के सुपुर्द है. उन्होंने शिक्षा विभाग में कैबिनेट मंत्री नियुक्त करने की मांग की. भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी ने राज्य के 26 में से 11 विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं होने का मुद्दा उठाया.

विधायक जगदीश चंद्र ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने पंचायत स्तर पर आदर्श स्कूल खोलने की घोषणा की थी, जिस पर कोई अमल नहीं हुआ. बलवान पूनिया ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का बजट बढ़ाया जाना चाहिए और शिक्षकों के तबादलों की स्थायी नीति बननी चाहिए. बहस में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, वासुदेव देवनानी, बाबूलाल, रामनिवास गवाडिया, पब्बाराम, धर्मनारायण जोशी और अमित चाचाण ने भी भाग लिया. शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद डोटासरा ने बहस का जवाब दिया.

प्रियंका गांधी का धरना समाप्त, योगी सरकार ने ली चैन की सांस

सोनभद्र में जमीनी विवाद के बाद हुए नरसंहार की घटना ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया. इस घटना ने यूपी के साथ-साथ पूरे भारत में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों को बैठे बैठाए भाजपा को घेरने का मौका दे दिया. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर पहले ही विपक्ष के निशाने पर हैं ऐसे में उनकी चिंताओं को और हवा दे दी प्रियंका गांधी ने.

कांग्रेस महासचिव और उत्तरप्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी कल सोनभद्र नरंसहार के पीड़ित परिवारों से मिलने सोनभद्र पहुंची. ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात करने के बाद जैसे ही प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने घोरावल कस्बे के उभ्भा गांव के लिए रवाना हुईं, जिला प्रशासन ने घटना स्थल पर धारा 144 और सुरक्षा व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए प्रियंका और उनके कालिफे को बीच रास्ते में रोक लिया.

यह भी पढ़ें: सोनभद्र हत्याकांड में सीएम योगी ने नरसंहार के लिए कांग्रेस को बताया जिम्मेदार

यहां प्रियंका गांधी ने पुलिस प्रशासन से बात करते हुए कहा कि वे नियमों की पालना करते हुए दो या तीन लोगों के साथ घटना स्थल पर जाने को तैयार हैं लेकिन पुलिस ने प्रियंका की बात नहीं मानी. इस पर प्रियंका अड़ गईं और कांग्रेसी नेताओं के साथ धरने पर बैठ गईं. हंगामा होते देख पुलिस ने धारा 144 के हवाला देते प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया और चुनार गेस्ट हाउस भेज दिया. यहां आला अधिकारी उन्हें समझाने पहुंचे लेकिन प्रियंका नहीं मानी और गेस्ट हाउस में फिर से धरने पर बैठ गईं और घोषणा कर दी कि चाहे मुझे जेल में डाल दो लेकिन मैं पीड़ित परिवारों से मिले बिना नहीं जाऊंगी.

प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने की खबर जैसे ही बाहर आईं, कांग्रेसी नेताओं ने योगी सरकार पर न केवल प्रियंका गांधी को असवैंधानिक तरीके से हिरासत में लेने बल्कि आम जन की संवेदनाओं से खिलवाड़ के आरोप लगाए. राहुल गांधी, प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यूपी पुलिस और सरकार के इस कृत्य की निंदा की.

कल देर शाम सोशल मीडिया पर एक ट्वीट पोस्ट करते हुए प्रियंका गांधी ने लिखा, ‘उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मुझे पिछले 9 घंटे से गिरफ़्तार करके चुनार किले में रखा हुआ है. प्रशासन कह रहा है कि मुझे 50,000 की जमानत देनी है अन्यथा मुझे 14 दिन के लिए जेल की सज़ा दी जाएगी, मगर वे मुझे सोनभद्र नहीं जाने देंगे, ऐसा उन्हें ऊपर से ऑर्डर है. मैंने यह स्पष्ट कह दिया है कि मैं किसी धारा का उल्लंघन करने नहीं बल्कि पीड़ितों से मिलने आयी थी और उनसे बग़ैर मिले मैं यहाँ से वापस नहीं जाऊँगी.’ प्रियंका ने ट्वीट कर सीधे-सीधे सरकार को संकेत दे दिया. इसके बाद कांग्रेसियों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया.

प्रियंका गांधी के समर्थन में पूर्वांचल के बाद उत्तर प्रदेश और देशभर के कांग्रेसी नेता भड़क गए और सड़कों पर उतर आए. सुल्तानपुर में तो कांग्रसियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ का पुतला भी फूंका. रायबरेली, लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर और रायबरेली में भी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, शामली, बागपत तथा आगरा व अलीगढ़ में भी कांग्रेस नेता सड़कों पर उतर आए और जमकर योगी और बीजेपी विरोधी नारे लगाए.

उत्तरप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी के समर्थन में सड़कों पर उतर आए. राजस्थान में जयपुर के गांधी सर्किल पर भी कांग्रेसियों की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया. धरना स्थल पर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, शिक्षा मंत्री डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और मंत्री बीडी कल्ला के साथ विधायक अमीन कागजी, विधायक डॉ राजकुमार शर्मा, कांग्रेस की चेयरपर्सन अर्चना शर्मा और पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल सहित कई कांग्रेसी नेता मौजूद रहे. इन सभी ने एक आवाज में प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने का विरोध किया.

प्रियंका गांधी के इस अडिग फैसले ने योगी सरकार की नींद उड़ा दी, पूरी रात प्रशासन के अधिकारी प्रियंका गांधी को मनाते रहे लेकिन प्रियंका पीड़ित परिवारों से मिले बिना वापस जाने के लिए तैयार नहीं हुईं. प्रियंका ने प्रशासन के सामने यह विकल्प रखा कि अगर वे पीड़ितों से मिलने नहीं जा सकती तो पीड़ित परिवार वालों को यहां लाकर मुझसे मिलाया जा सकता है. पहले आनाकानी के बाद प्रशासन ने उनकी यह बात मान ली और पीड़ित परिवारों के 15 सदस्यों को प्रियंका से मिलने गेस्ट हाउस बुला लिया.

चुनार गेस्ट हाऊस में प्रियंका गांधी ने पीड़ितों के परिवार वालों से बात की, पीड़ित परिवार के लोग प्रियंका से मिलकर रोने लगे तो इस पर प्रियंका गांधी भी भावुक हो गईं. प्रियंका ने पीडित परिवारों को सहायता के तौर पर 10 लाख रुपये देने की घोषणा की और हरसम्भव मदद का आश्वासन दिया. इसके बाद प्रियंका गांधी ने अपना धरना समाप्त करने की घोषणा की और कहा कि मेरा यहां आने का मकसद पूरा हुआ.

प्रियंका गांधी का मकसद कितना पूरा हुआ ये तो आने वाला समय बताएगा लेकिन प्रियंका गांधी के धरना समाप्त कर वहां से वाराणसी लौट जाने से योगी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने चैन की सांस जरूर ली है.

बता दें, सोनभद्र जिले के घोरावल कस्बे के उभ्भा गांव में 16 जुलाई को जमीन विवाद को लेकर दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए, ज्यादातर घायलों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.

प्रियंका गांधी के लिए सड़कों पर उतरे कांग्रेसी

सोनभद्र नरसंहार: पीड़ित परिजनों से मिली प्रियंका गांधी, फिर धरने पर बैठी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज सोनभद्र नरसंहार के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की. सोनभद्र के 15 पीड़ित परिजन प्रियंका गांधी से मिलने गेस्ट हाउस पहुंचे. पीड़ितों से मिलकर और उनके दर्द को सुनकर प्रियंका गांधी भावुक हो गईं. सूत्रों के मुताबिक सिर्फ दो लोगों को ही प्रियंका गांधी से मिलने की इजाजत दी गई है. इससे नाराज होकर प्रियंका गांधी गेस्ट हाउस में ही फिर से धरने पर बैठ गईं.

दरअसल, प्रियंका गांधी इस बात से नाराज हैं कि उनसे मिलने आये 15 सदस्यों में से केवल दो को ही अंदर आने दिया. बाकियों को पुलिस ने गेस्ट आउस के बाहर ही रोक लिया. प्रियंका गांधी ने कहा कि जिनसे मिलने के लिए मैं आई थी, अब उन्हें मुझसे मिलने आना पड़ा. फिर भी प्रशासन ने 13 लोगों को मुझसे मिलने नहीं दिया. आखिर महिला पीड़ित परिजनों से मिलने पर प्रशासन को क्या आपत्ति है.

इससे पहले प्रियंका गांधी ने दो तीन लोगों के साथ सोनभद्र जाने की ​गुजारिश की थी लेकिन सुरक्षा कारणों को देखते हुए जिला प्रशासन इसके लिए राजी नहीं हुआ. प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने पर राहुल गांधी, प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा और बसपा सुप्रीमो मायावती ने नाराजगी जाहिर की.

इससे पहले शुक्रवार को प्रियंका गांधी और उनके कालिफे को घटनास्थल पर जाते हुए जिला प्रशासन ने बीच रास्ते में ही रोक दिया. पुलिस प्रशासन के घटना स्थल पर धारा 144 लगने के चलते का हवाला देने के बावजूद प्रियंका गांधी कांग्रेसी नेताओं के साथ सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं. हंगामा बढ़ते देख पुलिस प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लेकर चुनार गेस्ट हाउस में रखा. वहां भी पीड़ित परिवारों से मिलने की जिद पर प्रियंका धरने पर बैठ गईं. आलाअधिकारियों के समझाने के बावजूद जब वे नहीं मानीं तो अब उन्हें पीड़ित परिजनों से मिलवाया जा रहा है.

कर्नाटक और गोवा के बाद अब राज्यसभा साधने की तैयारी में BJP

सोनभद्र हत्याकांड: सीएम योगी ने नरसंहार के लिए कांग्रेस को बताया जिम्मेदार

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीनी विवाद के चलते 10 लोगों की हत्या पर यूपी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है. विपक्ष योगी सरकार की कानून व्यवस्था फेल होने की बात कह रहा है. साथ ही दबाव डाल रहा है कि जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए कांग्रेस को ही सोनभद्र नरसंहार का जिम्मेदार ठहरा दिया.

यूपी विधानसभा में बोलते हुए योगी ने कहा, ‘1955 में आदर्श सोसायटी के नाम पर ज़मीन करने का फैसला संदिग्ध और अवैध था. आज़ादी के पहले से ही आदिवासी एवं वनवासी उस जमीन पर खेती करते थे. आदिवासी और वनवासी आदर्श सोसायटी और कुछ लोगों को लगान भी देते थे. 2017 में ये जमीन ग्राम प्रधान ने खरीदी और वनवासियों को खेती के ऐवज में पैसा देना बंद कर दिया. 1955 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान आदर्श सोसायटी के गठन में ज़मीन ली गई थी.’

सीएम योगी ने कहा कि हमने अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है. ये कमेटी 10 दिन में 1955 से लेकर अब तक की गड़बड़ियों की रिपोर्ट देगी. गड़बड़ी पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. योगी ने यह भी कहा कि इम मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है. अब तक मुख्य आरोपी प्रधान समेत 25 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है. बता दें, मामले में कुल 61 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

यह घटना सोनभद्र के घोरावल कस्‍बे के उभ्भा गांव की है जहां 16 जुलाई को जमीन विवाद को लेकर दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ. इसमें 10 लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल भी हुए हैं. कई घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है. आज प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने सोनभद्र पहुुंचने वाली थी लेकिन सुरक्षा कारणों और धारा 144 के चलते उन्हें पहले ही रोक दिया गया.

पीड़ित परिवार से मिलने की जिद पर अड़ी प्रियंका गांधी, वाड्रा और राहुल ने बताया अंसवैधानिक

सोनभद्र नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने जा रहीं प्रियंका गांधी को आज दोपहर मिर्जापुर जिला प्रशासन ने हिरासत में ले लिया. रोके जाने के विरोध में प्रियंका गांधी और कांग्रेसी नेता मौके पर ही धरने पर बैठ गए. हालांकि पुलिस ने उनके काफिले को सुरक्षा व्यवस्थाओं के चलते नारायणपुर के पास रोका है. वजह रही कि इलाके में धारा 144 लागू है जिससे वे उस क्षेत्र में नहीं जा सकती लेकिन प्रियंका गांधी ने इस बात का तोड़ निकाला है. उन्होंने कहा कि मैं तीन लोगों के साथ परिजनों से मिलने वहां जाऊंगी जिससे धारा 144 का उल्‍लंघन न हो सके.

प्रियंका गांधी का असली ड्रामा तो इसके बाद शुरू हुआ. अपने काफिले को रोके जाने और सोनभद्र जाने की जिद पर प्रियंका अपने साथ मौजूद कांग्रेस नेताओं के साथ वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गई. धरना शुरु करने की सूचना के बाद प्रशासन के माथे पर बल पड़ गया और आला अधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई. पहले पुलिस प्रशासन ने प्रियंका संग कांग्रेसियों को निषेधाज्ञा लागू होने की जानकारी देकर धरना खत्म कराने के लिए मनुहार की. बाद में कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए एसडीएम चुनार की गाड़ी में हिरासत पर लेकर प्रियंका गांधी को धरना स्थल से हटाया गया. हिरासत में लेने के बाद प्रियंका गांधी को मीरजापुर जिला प्रशासन ने चुनार किला स्थित डाक बंगले में भेज दिया.

हिरासत में लिए जाने के बाद चुनार गेस्ट हाउस पहुंची प्रियंका वाड्रा ने सबसे पहले एसडीएम से वारंट मांगते हुए पूछा कि बिना वारंट के मुझे कैसे यहां लाए हैं. अधिकारियों ने उनको निषेधाज्ञा लागू होने की बात कहते हुए समझाने की कोशिश की. इस पर प्रियंका ने भड़कते हुए सीओ को कायदे कानून समझाते हुए कहा कि बिना वारंट के गिरफ्तारी नहीं होती. यह तो किडनैपिंग है. सीओ हितेंद्र कृष्ण उनसे भी दो कदम आगे निकले. उन्होंने कहा कि मैम, बगैर वारंट के भी गिरफ्तारी हो सकती है. गेस्ट हाउस में किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. इससे पहले उन्होंने खुद को रोके जाने का लिखित आदेश दिखाने की भी जिद की.

जिलाधिकारी अनुराग पटेल, पुलिस अधीक्षक अवधेश पांडेय, एसडीएम सत्य प्रकाश सिंह उन्हें सोनभद्र न जाने के लिए मनाने में जुटे रहे. वहीं डाक बंगले के बाहर कार्यकर्ताओं का भारी जमावड़ा भी शुरु हो गया. इस पर प्रशासन ने मौके पर भारी भीड़ को देखते हुए गेस्ट हाउस के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया. गेट पर ही कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार के विरोध में नारेबाजी करने लगे. प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने को लेकर यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया, उन्हें केवल रोका गया है.

चुनार किले में गेस्ट हाउस के गेट के बाहर भी प्रियंका ने चिल्ला चिल्ला कर कांग्रेसियों को कहा कि मेरी गिरफ्तारी का कोई भी कागज प्रशासन नहीं दिखा रहा है. राज्‍य में कानून व्‍सवस्‍था की स्थिति ठीक नहीं है?. सोनभद्र में हुई जमीनी विवाद में हत्या में मारे गए लोगों के परिजनों से मुझे मिलने नहीं दिया जा रहा है. मुझे गिरफ्तार कर चुनार किला लाया गया है. यहां से चाहे मुझे कहीं भी ले जाया जाय परन्तु मैं पीड़ितों से मिले बिना नहीं जाऊंगी.’ खबर लिखे जाने तक गेस्ट हॉउस के बाहर हंगामा जारी है.

इस मामले पर राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘यूपी के सोनभद्र में प्रियंका की अवैध गिरफ्तारी परेशान कर रही है. सत्ता की यह मनमानी, 10 आदिवासी किसानों के परिवारों को अपनी जमीन खाली करने से इनकार करने पर क्रूरता से गोली चलाने जैसे घटनाक्रम यूपी में बीजेपी सरकार की बढ़ती असुरक्षा का खुलासा करती हैं.’

रॉबर्ट वाड्रा ने भी प्रियंका की गिरफ्तारी के खिलाफ फेसबुक पोस्ट में विरोध दर्ज कराया है. वाड्रा ने लिखा है कि जिस तरह से मेरी पत्नी व कांग्रेस नेता प्रियंका को गिरफ्तार किया गया है, वो पूरी तरह अंसवैधानिक है. उनकी गिरफ्तारी बिना किसी कारण है.

बता दें, यूपी के सोनभद्र के घोरावल क्षेत्र में जमीनी विवाद को लेकर नरसंहार हुआ जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और करीब 28 से अधिक घायल हुए. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का विश्वास दिलाया है. मामले में 24 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. नरसंहार मुख्य आरोपी प्रधान अभी फरार है.

संस्कृति मंत्रालय से संबद्ध संस्थाओं के लीगल ऑडिट की तैयारी

केन्द्र सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत चलने वाले तमाम संगठनों में चल रही प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने ऐसे संगठनों का तत्काल लीगल ऑडिट शुरू करने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख संस्थानों में भारी गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही हैं. इनका लीगल ऑडिट कराना जरूरी है.

इस संबंध में संस्कृति मंत्रालय की ओर से 17 जुलाई को सभी संबंधित विभागों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. इसमें विभिन्न विभागों और मंत्रालय से संबंधित स्वायत्तशासी संस्थानों के लीगल ऑडिट की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें संस्कृति मंत्रालय से संबद्ध राष्ट्रीय अकादमियां, संग्रहालय, सांस्कृतिक केंद्र और अन्य संस्थान शामिल हैं.

प्रहलात पटेल का कहना है कि इन संस्थानों प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं चिंता का विषय हैं. मंत्रालय की ओर से अब तक इस तरह का कोई ऑडिट नहीं किया गया है. राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में इस तरह की गड़बड़ियां नहीं होनी चाहिए. इन संस्थाओं के बेहतर संचालन के लिए मौजूदा नियमों के तहत लीगल ऑडिट होना चाहिए.

पटेल ने स्पष्ट किया कि लीगल ऑडिट की जिम्मेदारी नए ऑडिटरों या नई फर्मों को सौंपी जाएगी. इल मुद्दे पर एक प्रमुख अखबार ने पटेल और संस्कृति मंत्रालय से संपर्क करने का प्रयास किया था, लेकिन कोई भी उपलब्ध नहीं हो सका. यह स्पष्ट नहीं है कि प्रहलाद पटेल किन संस्थाओं की बात कर रहे हैं. किस संस्था में वित्तीय या प्रशासनिक धांधली चल रही है, इसका खुलासा पटेल ने नहीं किया है.

गौरतलब है कि संस्कृति मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न प्रमुख संस्थानों को लेकर विवादों में रहा है. इनमें ललित कला अकादमी शामिल है, जहां से कई कीमती पेंटिंग रहस्यमय तरीके से गायब हो चुकी हैं. सरकार को इस अकादमी को अपने अधीन लेना पड़ा और धांधली की जांच सीबीआई ने भी की थी. कलाक्षेत्र के पुनर्गठन की योजना जांच-पड़ताल के कारण 2017 से खटाई में है.

सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) और क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों में धांधलियों की शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं. पिछले साल राजस्थान ओरियंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट से दुर्लभ पांडुलिपियों की चोरी के पीछे भी बड़ी साजिश की खबरें मिली थी. सीएजी की रिपोर्ट है कि संस्कृति मंत्रालय के तहत चल रही स्वायत्तशासी संस्थाओं का हिसाब-किताब ठीक नहीं है. अब मोदी सरकार इन संस्थाओं को जिम्मेदार बनाने के प्रयास शुरू करने वाली है.

राजस्थान विधानसभा में चिकित्सा विभाग की अनुदान मांगों पर बहस

राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य़ विभाग की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने सरकार ने वित्त विभाग को चिकित्सक के 2000 पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है. 737 चिकित्सकों की नियुक्ति की स्वीकृति मिली है. उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में चिकित्सा के लिए जो बजट तय किया था, उतना प्रावधान हमारी सरकार ने पहले बजट में किया है. कांग्रेस चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार काम कर रही है. चुनावी घोषणापत्र को सरकारी दस्तावेज मानते हुए फैसले किए जा रहे हैं.

रघु शर्मा ने कहा कि सरकार चिकित्सा का अधिकार कानून बनाने की तैयारी कर रही है. उन्होंने पिछली भाजपा सरकार पर भामाशाह कार्ड योजना में करीब 300 करोड़ रुपए की फिजूलखर्ची का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, हम भामाशाह योजना के साथ ही आयुष्मान योजना लागू करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार ने निशुल्क दवा योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, जिसे जनहित में फिर से शुरू कर दिया गया है. इस योजना में 2018 तक राजस्थान के अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 1.2 करोड़ लोगों को मुफ्त दवा वितरण और अस्पतालों में भर्ती 75 लाख मरीजों को निशुल्क दवा मिलने का आंकड़ा है. इस साल एक जनवरी 2019 से अब तक अस्पतालों के ओपीडी में 4.44 करोड़ से ज्यादा मरीजों को निशुल्क दवा का लाभ मिला है. अस्पतालों में भर्ती 20.31 लाख मरीजों को इस योजना के तहत निशुल्क दवाइयां दी गईं.

रघु शर्मा ने बाताया कि आयुर्वेद और आयुष पर बजट प्रावधान 989 करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष से 10 फीसदी ज्यादा है. मुख्यमंत्री के बजट भाषण में जनता क्लीनिक खोलने की घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि इसको हमारी सरकार साकार रूप देगी. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के लिए इस वर्ष बजट में प्रावधान पूरे बजट का 5.96 फीसदी है, जो पिछली सरकार के बजट से सात फीसदी ज्यादा है. उन्होंने दावा किया कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम की तैयारी सरकार ने पहले ही कर ली है. कैंसर की रोकथाम के लिए भी हमारी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.

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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य़ विभाग की अनुदान मांगों पर बहस शुरू करते हुए भाजपा के कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार पर भामाशाह योजना और मदर मिल्क योजना को अघोषित रूप से बंद करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट भाषण में कहा था कि कांग्रेस की मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना को भाजपा ने बंद किया, जबकि हकीकत यह है कि भाजपा के शासन के शुरूआती तीन साल में 1129 करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी गई, जबकि कांग्रेस ने योजना शुरू करने के तीन साल में मात्र 694 करोड़ रुपए दवाएं खरीदन पर खर्च किए थे.

सराफ ने कहा कि निशुल्क दवा योजना में भाजपा राज में कैंसर रोग की 48 दवाओं को जरूरी मानते हुए अनुशंसा की थी, लेकिन इस सरकार ने उनमें से कटौती कर मात्र 11 दवाओं को स्वीकृति दी है. सराफ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने श्रीगंगानगर में मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा तो की लेकिन यह बताना भूल गए कि कांग्रेस के 65 साल के राज में मात्र सात मेडिकल कॉलेज बने, जबकि पिछली भाजपा सरकार के समय राज्य में आठ मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई, जिनमें से पांच शुरू हो चुके हैं. बाकी तीन कॉलेजों के बारे में मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि सरकार ने टीकाकरण में 85 फीसदी का लक्ष्य हासिल नहीं किया तो केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपए का इन्सेंटिव रोक दिया. इसका जिम्मेदार कौन है? स्वाइन फ्लू से देश में जितनी मौतें हुई, उनमें से 26 फीसदी राजस्थान में हुई हैं.

बहस में भाग लेते हुए भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि चिकित्सा विभाग पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत ढाई हजार पदों पर भर्ती होने वाली थी, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते नहीं हो पाई. इससे करीब 600 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. भर्ती के बारे में चिकित्सा मंत्री ने कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वहीं अतिरिक्त प्रधान सचिव (एसीएस) ने कार्यकारी बैठक की अध्यक्षता की. उसके मिनट्स पर एसीएस ने दस्तखत किए. अगर यह फाइल चिकित्सा मंत्री तक नहीं पहुंची तो इसमें एसीएस की गलती है. लेकिन आपने दूसरे अधीनस्थ सचिव को विभाग से हटा दिया. इसके पीछे लाख-डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत की बात सामने आ रही है.

देवनानी ने एसएमएस अस्पताल की लाइफलाइन में आग लगने का मामला उठाते हुए कहा कि इसमें कार्रवाई के नाम पर एक जूनियर को सस्पेंड और एक-दो को नोटिस जारी करके मामला समाप्त कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें बड़ा भ्रष्टाचार है और सत्ता में बैठे लोगों पर शक की सुई जा रही है. इस कारण इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

देवनानी ने कहा कि फार्मासिस्ट और चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं. सरकार ने जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा कर दी लेकिन चिकित्सकों के 45 फीसदी पद खाली हैं. एसएमएस अस्पताल की इमारत 80 साल पुरानी है. एनएनआईटी के इंजीनियरों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस इमारत को जर्जर स्थिति में बताया है. रोजाना अस्पताल में प्लास्टर गिर रहा है. फिर भी वहां मरीज भर्ती हैं. अस्पताल का ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम भी पूरी तरह नष्ट हो चुका है.

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने बहस में भाग लेते हुए पिछली सरकार में चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और पूर्व चिकित्सा मंत्री पर उनका नाम लिए बगैर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में पेट्रोल पंप चर्चित रहा था. कहा जाता था कि आशीष हो तो विवेक से काम हो जाए. इस दौरान 20-20 लाख रुपए के लेन-देन के आडियो वायरल हुए थे. पिछली सरकार ने भले ही स्वच्छता अभियान चलाया, लेकिन प्रदेश के चिकित्सा मंत्री सड़क पर लघुशंका करते हुए कैमरे में कैद हुए.

संयम लोढ़ा के इतना कहते ही कालीचरण सराफ भड़क गए. इस पर लोढ़ा ने कहा कि मैंने किसी का नाम नहीं लिया है. सराफ ने कहा कि नियमों के तहत आरोप लगाओ तो मैं जवाब दूंगा. विवाद बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने हस्तक्षेप किया कि जो भी आरोप लगाने हों, नियमों के तहत लगाएं और अगर कार्यवाही में कुछ गलत हुआ तो उसे हटा दिया जाएगा. इसके बाद संयम लोढ़ा ने कहा कि कोई गलत फिल्म लग जाए या गाय की बात हो तो हजारों लोग सड़क पर आ जाते हैं, लेकिन बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के मुद्दे पर कोई नहीं बोलता. सिरोही जिले में चिकित्सा व्यवस्था बिगड़ी हुई है. वहां पहाड़ों से मरीजों को खाट पर लेकर आना पड़ता है. यह जिला गुजरात से लगा हुआ है. वहां रोज सुबह गाड़ी लगती है. उनमें बैठकर क्षेत्र के मरीज इलाज कराने गुजरात चले जाते हैं. सिरोही वन, पर्यटन और खनिज वाला जिला है, लेकिन यहां वैसी शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था नहीं है. सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व भी इसी जिले से मिलता है.

सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के बीच मिलीभगत का उल्लेख करते हुए लोढ़ा ने कहा कि मरीज सरकारी अस्पतालों में भर्ती होते हैं, उनका ऑपरेशन निजी अस्पतालों में होता है. सवाई मानसिंह अस्पताल की व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि सब जगह धक्के खाकर मरीज जयपुर के इस सबसे बड़े अस्पताल में आता है. मरीज को भर्ती करने के बाद एक आदमी को उसके साथ रुकने दिया जाता है. रात को उसके परिजन बाहर सड़क पर सोते हैं. जहां से कभी मोबाइल चोरी हो जाता है, कभी कुछ.

विधायक सुमित गोदारा ने बीकानेर के सीएमएचओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि वह दस साल से एक ही पद पर बने हुए हैं. गठजोड़ के जरिए सिस्टम चला रहे हैं. दिव्या मदेरणा ने कहा कि सरकार को चिकित्सा का बजट बढ़ाना चाहिए. उन्होंने चिकित्सा का अधिकार कानून बनाने की भी मांग की. सरकार की जनता क्लिनिक योजना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. स्वास्थ्य क्षेत्र में पीपीपी मॉडल पर दिव्या मदेरणा ने कहा कि निजीकरण की धारणा कभी भी जन कल्याण के बारे में नहीं हो सकती.

भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना चलाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद दिया. कांग्रेस विधायक अमीन खान ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोल देते हैं, लेकिन पद खाली पड़े रहते हैं. बजट प्रस्तावों के अनुरूप ही इन्हें शुरू करना चाहिए. बहस में भाजपा विधायक अनिता भदेल, कांग्रेस की शकुंतला रावत, कृष्णा पूनिया, लक्ष्मण मीणा सहित कई विधायकों ने भाग लिया.

 

 

कर’नाटक’ का अंत कब? राज्यपाल की डेडलाइन पार, अब तक नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट

कर्नाटक में सियासी ड्रामा अब अपने चरम पर आ पहुंचा है. पिछले दो दिनों से विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की कोशिशें जारी हैं लेकिन ये अभी तक नहीं हो पाया. राज्यपाल द्वारा जारी डेडलाइन भी अब खत्म हो गई है लेकिन फ्लोर टेस्ट अभी भी बाकी है. गवर्नर वजुभाई वाला पटेल ने आज दोपहर डेढ़ बजे तक सदन में फ्लोर टेस्ट कराने के लिए स्पीकर रमेश कुमार से कहा था. ऐसे में आज विश्वास मत पर मतदान होगा या नहीं, इसपर हर किसी की नज़र है. अगर आज भी फ्लोर टेस्ट नहीं होता है तो बीजेपी फिर से राज्यपाल के पास जा सकती है. पूरी संभावना है कि यह मामला वापिस सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है.

इससे पहले आज सदन में जेडीएस विधायक श्रीनिवास गौड़ा ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता योगेश्वर उनके पास 5 करोड़ रुपये लेकर आए थे, लेकिन उन्होंने पैसा लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने वादा किया था कि एक बार मैं उनके साथ आ जाऊंगा तो 30 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. दूसरी ओर सीएम कुमारस्वामी ने भी सदन में कहा कि मेरे विधायकों को 40-50 करोड़ रुपये ऑफर किए जा रहे हैं. वहीं उन्होंने बीजेपी को ललकारते हुए कहा कि मैं भी देखता हूं कि आप कितने दिनों तक सत्ता में रहेंगे. जिस तरह से आप इतनी कोशिशें कर रहे हैं.

दूसरी ओर, विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने अपनी मजबूरी दोनों पक्षों को बताते हुए कहा कि मैं यहां पर आग पर बैठा हूं. लोग मेरे बारे में गलत बातें कर रहे हैं. मेरे घर पर कोई सुरक्षा नहीं है. जो लोग आज सम्मान के साथ रह रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है. ईमानदार लोग कहां जाएं आखिरकार? रमेश कुमार ने कहा कि जो लोग मुझपर सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्हें ये ध्यान में रखना चाहिए कि वह निष्पक्ष होकर इस मामले में निर्णय ले सकते हैं.

बता दें, सरकार बनाने की जल्दबाजी कर रही बीजेपी के नेताओं ने कल रात सदन में ही गुजारी थी. विधानसभा में कल हुए हंगामे के बीच स्पीकर रमेश कुमार की सदन ​स्थगन की घोषणा का इन सभी ने विरोध किया और वहीं रात गुजारने का निर्णय लिया.

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