राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को कांग्रेस विधायक राजकुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया तबादला उद्योग खोल दिया था. पिछली सरकार ने संस्कृत और संस्कृति पर कोई ध्यान नहीं दिया. शिक्षा नीति के माध्यम से प्रदेश के छात्रों को अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण मिल सके, इस पर पिछली सरकार ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया.

विधानसभा में शुक्रवार को शिक्षा, कला और संस्कृति विभाग की अनुदान मांगों पर बहस हो रही थी. इसमें पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने भाग लिया. बहस के दौरान राजेन्द्र गुढ़ा और चंद्रभान आक्या की बेवजह टोकाटाकी के कारण गर्मागर्मी भी हुई. सीपी जोशी की गैरहाजिरी में सभापति का दायित्व राजेन्द्र पारीक निभा रहे थे. उन्होंने दोनों विधायकों की जमकर खिंचाई की.

पारीक ने कहा, आप सब पैसे वाले हैं, आपके बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते. लेकिन उन परिवारों की सोचिए, जो बिना सुख-सुविधाओं वाले इन स्कूलों में जाने के लिए मजबूर हैं. जो सरकारी स्कूलों में सुबह से लेकर शाम तक दरी पर बैठकर घर आ जाते हैं. स्कूल में जाकर झाड़ू लगाते हैं. वहां न चपरासी है न शिक्षक. आप सब क्या चाहते हैं? क्या वे बच्चे वैसे ही रहें? हम सब आखिर किस बात की सेवा का संकल्प लेकर आए हैं, जब शिक्षा जैसे अहम मुद्दे पर ही गंभीर नहीं हैं? उन गरीब परिवारों से पीड़ा पूछिए, जो मजबूरी के कारण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने भेजते हैं. क्योंकि सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं. अगर हम सब बैठकर सारगर्भित चर्चा कर लेंगे, कोई अच्छा सुझाव दे देंगे, सारी व्यवस्थाएं सुधार लेंगे, इसमें किसी को कोई एतराज है क्या?

चंद्रभान आक्या चित्तौड़गढ़ के विधायक हैं. वह आवेश में आकर सभापति को संबोधित करने लगे थे. सभापति ने उनसे कहा था कि यूट्यूब पर जनता आपको लाइव देख रही है. टोकाटाकी न करें. ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला सहित कई कांग्रेस विधायकों ने चंद्रभान आक्या के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि विधायक सभापति से माफी मांगें या सभापति उनके खिलाफ कार्रवाई करें. हालांकि राजेन्द्र पारीक ने कोई कार्रवाई नहीं की. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, राजकुमार शर्मा और सुरेश मोदी कुछ बोलना चाहते थे, लेकिन पारीक ने उन्हें बैठा दिया.

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने बहस में भाग लेते हुए कि शिक्षा विभाग इतना बड़ा और महत्वपूर्ण है, लेकिन इस विभाग के मंत्री कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नहीं. पिछली सरकार में भी और इस सरकार में भी यह विभाग राज्यमंत्री के सुपुर्द है. उन्होंने शिक्षा विभाग में कैबिनेट मंत्री नियुक्त करने की मांग की. भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी ने राज्य के 26 में से 11 विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं होने का मुद्दा उठाया.

विधायक जगदीश चंद्र ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने पंचायत स्तर पर आदर्श स्कूल खोलने की घोषणा की थी, जिस पर कोई अमल नहीं हुआ. बलवान पूनिया ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का बजट बढ़ाया जाना चाहिए और शिक्षकों के तबादलों की स्थायी नीति बननी चाहिए. बहस में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, वासुदेव देवनानी, बाबूलाल, रामनिवास गवाडिया, पब्बाराम, धर्मनारायण जोशी और अमित चाचाण ने भी भाग लिया. शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद डोटासरा ने बहस का जवाब दिया.

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