सोनभद्र में जमीनी विवाद के बाद हुए नरसंहार की घटना ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया. इस घटना ने यूपी के साथ-साथ पूरे भारत में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों को बैठे बैठाए भाजपा को घेरने का मौका दे दिया. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर पहले ही विपक्ष के निशाने पर हैं ऐसे में उनकी चिंताओं को और हवा दे दी प्रियंका गांधी ने.

कांग्रेस महासचिव और उत्तरप्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी कल सोनभद्र नरंसहार के पीड़ित परिवारों से मिलने सोनभद्र पहुंची. ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात करने के बाद जैसे ही प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने घोरावल कस्बे के उभ्भा गांव के लिए रवाना हुईं, जिला प्रशासन ने घटना स्थल पर धारा 144 और सुरक्षा व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए प्रियंका और उनके कालिफे को बीच रास्ते में रोक लिया.

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यहां प्रियंका गांधी ने पुलिस प्रशासन से बात करते हुए कहा कि वे नियमों की पालना करते हुए दो या तीन लोगों के साथ घटना स्थल पर जाने को तैयार हैं लेकिन पुलिस ने प्रियंका की बात नहीं मानी. इस पर प्रियंका अड़ गईं और कांग्रेसी नेताओं के साथ धरने पर बैठ गईं. हंगामा होते देख पुलिस ने धारा 144 के हवाला देते प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया और चुनार गेस्ट हाउस भेज दिया. यहां आला अधिकारी उन्हें समझाने पहुंचे लेकिन प्रियंका नहीं मानी और गेस्ट हाउस में फिर से धरने पर बैठ गईं और घोषणा कर दी कि चाहे मुझे जेल में डाल दो लेकिन मैं पीड़ित परिवारों से मिले बिना नहीं जाऊंगी.

प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने की खबर जैसे ही बाहर आईं, कांग्रेसी नेताओं ने योगी सरकार पर न केवल प्रियंका गांधी को असवैंधानिक तरीके से हिरासत में लेने बल्कि आम जन की संवेदनाओं से खिलवाड़ के आरोप लगाए. राहुल गांधी, प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यूपी पुलिस और सरकार के इस कृत्य की निंदा की.

कल देर शाम सोशल मीडिया पर एक ट्वीट पोस्ट करते हुए प्रियंका गांधी ने लिखा, ‘उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मुझे पिछले 9 घंटे से गिरफ़्तार करके चुनार किले में रखा हुआ है. प्रशासन कह रहा है कि मुझे 50,000 की जमानत देनी है अन्यथा मुझे 14 दिन के लिए जेल की सज़ा दी जाएगी, मगर वे मुझे सोनभद्र नहीं जाने देंगे, ऐसा उन्हें ऊपर से ऑर्डर है. मैंने यह स्पष्ट कह दिया है कि मैं किसी धारा का उल्लंघन करने नहीं बल्कि पीड़ितों से मिलने आयी थी और उनसे बग़ैर मिले मैं यहाँ से वापस नहीं जाऊँगी.’ प्रियंका ने ट्वीट कर सीधे-सीधे सरकार को संकेत दे दिया. इसके बाद कांग्रेसियों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया.

प्रियंका गांधी के समर्थन में पूर्वांचल के बाद उत्तर प्रदेश और देशभर के कांग्रेसी नेता भड़क गए और सड़कों पर उतर आए. सुल्तानपुर में तो कांग्रसियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ का पुतला भी फूंका. रायबरेली, लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर और रायबरेली में भी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, शामली, बागपत तथा आगरा व अलीगढ़ में भी कांग्रेस नेता सड़कों पर उतर आए और जमकर योगी और बीजेपी विरोधी नारे लगाए.

उत्तरप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी के समर्थन में सड़कों पर उतर आए. राजस्थान में जयपुर के गांधी सर्किल पर भी कांग्रेसियों की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया. धरना स्थल पर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, शिक्षा मंत्री डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और मंत्री बीडी कल्ला के साथ विधायक अमीन कागजी, विधायक डॉ राजकुमार शर्मा, कांग्रेस की चेयरपर्सन अर्चना शर्मा और पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल सहित कई कांग्रेसी नेता मौजूद रहे. इन सभी ने एक आवाज में प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने का विरोध किया.

प्रियंका गांधी के इस अडिग फैसले ने योगी सरकार की नींद उड़ा दी, पूरी रात प्रशासन के अधिकारी प्रियंका गांधी को मनाते रहे लेकिन प्रियंका पीड़ित परिवारों से मिले बिना वापस जाने के लिए तैयार नहीं हुईं. प्रियंका ने प्रशासन के सामने यह विकल्प रखा कि अगर वे पीड़ितों से मिलने नहीं जा सकती तो पीड़ित परिवार वालों को यहां लाकर मुझसे मिलाया जा सकता है. पहले आनाकानी के बाद प्रशासन ने उनकी यह बात मान ली और पीड़ित परिवारों के 15 सदस्यों को प्रियंका से मिलने गेस्ट हाउस बुला लिया.

चुनार गेस्ट हाऊस में प्रियंका गांधी ने पीड़ितों के परिवार वालों से बात की, पीड़ित परिवार के लोग प्रियंका से मिलकर रोने लगे तो इस पर प्रियंका गांधी भी भावुक हो गईं. प्रियंका ने पीडित परिवारों को सहायता के तौर पर 10 लाख रुपये देने की घोषणा की और हरसम्भव मदद का आश्वासन दिया. इसके बाद प्रियंका गांधी ने अपना धरना समाप्त करने की घोषणा की और कहा कि मेरा यहां आने का मकसद पूरा हुआ.

प्रियंका गांधी का मकसद कितना पूरा हुआ ये तो आने वाला समय बताएगा लेकिन प्रियंका गांधी के धरना समाप्त कर वहां से वाराणसी लौट जाने से योगी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने चैन की सांस जरूर ली है.

बता दें, सोनभद्र जिले के घोरावल कस्बे के उभ्भा गांव में 16 जुलाई को जमीन विवाद को लेकर दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए, ज्यादातर घायलों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.

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