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कश्मीर में ईद के मौके पर एक दिन की ढील दे सकती है सरकार

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार 12 अगस्त को ईदुज्जुहा का त्योहार है. कश्मीर घाटी में इन दिनों कई जगह निषेधाज्ञा लगी हुई है. कश्मीर में रहने वाले सभी लोगों को राज्य से बाहर भेज दिया गया है. श्रीनगर सहित कश्मीर घाटी के शहरों, कस्बों में बाजार, कारोबार ठप है. अमरनाथ यात्रा भी रोक दी गई है. इस तरह जो विकट परिस्थिति बनी है, उसमें कश्मीर के बहुत से लोग ईदुज्जुहा का त्योहार मनाएंगे.

सरकार ने बकरा ईद के मौके पर निषेधाज्ञा शिथिल करने का फैसला किया है. लोगों को जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत दी जाएगी. करीब एक हफ्ते के सन्नाटे के बाद माहौल में थोड़ी चहल पहल दिखेगी. इससे सरकार को धारा 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में बनी जनभावना को जांचने का भी मौका मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक लोगों को एक दिन त्योहार मनाने के लिए कर्फ्यू में ढील मिल सकती है. मोबाइल फोन और ब्राडबैंड के जरिए इंटरनेट सेवाएं जल्दी शुरू होने के आसार नहीं हैं.

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सरकार को आशंका है कि इंटरनेट सेवाएं चालू रहने से अलगाववादी अफवाहें फैलाकर लोगों को भड़का सकते हैं और उपद्रव हो सकता है. पत्थरबाजों को जुटाने जैसे काम हो सकते हैं. भारत विरोधी जिहादी गुट इस सेवा का दुरुपयोग कर सकते हैं. निषेधाज्ञा जारी रहने के बावजूद कश्मीर घाटी में पथराव की कुछ घटनाएं देखी गई हैं. श्रीनगर में बुधवार को चार-पांच अज्ञात लोग बाजार में पथराव करने के बाद भाग गए.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कश्मीर में हैं और लोगों के बीच जमीनी हालात का जायजा ले रहे हैं. बुधवार को डोभाल ने शोपियां में सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें जनता के बीच जरूरी चीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने आपात स्थिति होने पर लोगों की मदद करने के निर्देश दिए. डोभाल ने मंगलवार को श्रीनगर में सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की थी.

प्रशासन की तरफ से कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को संतोषजनक बताया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर की स्थिति के जानकार कहते हैं कि यह संतोषजनक स्थिति सिर्फ तब तक है, जब तक निषेधाज्ञा लागू है और कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है. पाबंदियां हटने के बाद जब लोग घरों से बाहर निकलेंगे, तब वस्तुस्थिति की जानकारी मिलेगी. बहरहाल कश्मीर घाटी में इन्हीं परिस्थितियों में ईदुज्जुहा का त्योहार मनाया जाना है.

उदयपुर में कांग्रेस सेवादल का प्रशिक्षण कार्यक्रम

PoliTalks news

कांग्रेस सेवादल की यंग ब्रिगेड की ओर से उदयपुर के गुजराती समाज संस्थान भवन में सात से नौ अगस्त तक आयोजित प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन बुधवार को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने किया. उन्होंने कहा कि सेवादल के प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से हमें ऐसे युवाओं को तैयार करना होगा, जो सद्भाव और प्रेम की राजनीति का संदेश लेकर गांव-ढाणी तक लेकर जाएं. कांग्रेस पार्टी ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं करती जो कमजोर एवं गरीबों को कुचलकर अमीरों के लिए कार्य करे.

कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी भाई देसाई ने कहा कि कांग्रेस पार्ट की विचारधारा की जड़ें बहुत मजबूत है, इसको खत्म नहीं किया जा सकता. कुछ संगठन गांधी-नेहरू की विचारधारा पर बेबुनियाद आरोप लगाकर उसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे लोग अपने इरादों में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे. सेवादल इस प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से ऐसे सेवाभावी युवाओं को तैयार करना चाहता है, जो सांप्रदायिक सौहार्द्र, अनुशासन और भाईचारे की भावना में विश्वास करते हुए देश की तरक्की के कार्य करें.

सेवादल ने अगस्त में कई कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है. इसके तहत 20 अगस्त को राजीव गांधी की 75वीं जयंती के मौके पर हर सेवादल कार्यकर्ता अपने गांव, शहर में 75-75 पौधे लगाकर कार्यक्रम की शुरूआत करेगा. समारोह में सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पारीक, विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत, यंग ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष हेमसिंह शेखावत सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे.

राजस्थान में अगस्त का महीना छात्र राजनीति के सुपुर्द

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी ने बुधवार को राजस्थान के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव की घोषणा कर दी. इसके साथ ही छात्र नेताओं ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी. भाजपा से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) औऱ कांग्रेस से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) उम्मीदवारों के पैनल तैयार करने में जुट गए हैं. बैठकें शुरू हो गई हैं.

राज्य में छात्रसंघ चुनाव 27 अगस्त को होंगे. इस बार छात्रसंघ चुनाव में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है. इसके तहत 27 अगस्त को मतदान होगा और मतगणना 28 अगस्त को सुबह 11 बजे से होगी. इससे पहले जिस दिन चुनाव होते थे, उसी दिन शाम को मतगणना शुरू हो जाती थी और रात तक नतीजे घोषित हो जाते थे. इस बार नतीजों के लिए उम्मीदवारों को 28 अगस्त की दोपहर बाद तक इंतजार करना पड़ेगा. प्रदेश में शांतिपूर्वक और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए यह बदलाव किया गया है.

छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार कराए जाएंगे. चुनाव प्रक्रिया के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा. पिछले साल छात्रसंघ चुनाव दो चरणों में कराए गए थे. इस बार प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में एकसाथ एक ही दिन चुनाव होंगे. छात्रसंघ चुनाव की घोषणा के तहत 19 अगस्त को मतदाता सूचियों का प्रकाशन होगा. इसके बाद दोपहर तीन से पांच बजे तक सूचियों पर आपत्ति दर्ज की जा सकेगी. 20 अगस्त को सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक मतदाताओं सूचियों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा. इसी दिन दोपहर दो से पांच बजे पजे तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे.

22 अगस्त को सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच होगी और उन पर आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी. दोपहर तीन से शाम पांच बजे तक नामांकन पत्रों पर आपत्तियों की जांच होगी. 23 अगस्त को सुबह 10 बजे वैध नामांकन सूची का प्रकाशन होने के बाद सुबह 11 से दोपहर दो बजे तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. शाम पांच बजे तक अंतिम नामांकन सूची का प्रकाशन हो जाएगा.

27 अगस्त को सुबह आठ से दोपहर एक बजे मतदान होगा. सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के मताधिकार प्राप्त विद्यार्थी मतदान करेंगे. इसके बाद सभी मतपेटियां सुरक्षित रख दी जाएंगी. 28 अगस्त को सुबह 11 बजे से मतगणना होगी और शाम तक नतीजे घोषित हो जाएंगे.

छात्रसंघ चुनाव की घोषणा होते ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में हलचल बढ़ गई है. देश में चल रहे मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर एबीवीपी के छात्रनेता उत्साह से भरे हुए हैं, क्योंकि वे भाजपा से जुड़े हुए हैं, जबकि कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई में वैसा उत्साह मुश्किल है. राजस्थान की राजनीति में छात्रसंघ चुनाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. इसे राज्य की और राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश का पहला पायदान माना जाता है.

राजस्थान में विश्वविद्यालय में छात्र संघ के माध्यम से सक्रिय कई नेता आज राज्य की और राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल कर चुके हैं. इनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम पहले स्थान पर है. उन्होंने छात्र राजनीति के जरिए ही राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश किया था. गहलोत के बाद कालीचरण सराफ, राजेन्द्र राठौड़, रघु शर्मा, हनुमान बेनीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे कई नेता शामिल हैं, जो आज इस या उस पार्टी से जुड़कर राजनीति में अपनी सफल पारियां खेल रहे हैं.

छात्रसंघ चुनाव अब पहले जैसे सस्ते नहीं रहे. पिछले दो दशकों से इन चुनावों में पैसा भी बहुत बहने लगा है. इससे पहले तक दमदार छात्रनेता संगठन और बाहुबल के दम पर चुनाव जीत लेते थे. पीवी नरसिंहराव की सरकार बनने के बाद उदारीकरण शुरू होने के साथ ही बाहुबल पीछे रह गया और उसकी जगह धनबल ने लेना शुरू कर दिया. पिछले कुछ छात्रसंघ चुनावों का रिकॉर्ड देखा जाए तो अब बाहुबल धनबल से बहुत पीछे छूट गया है.

छात्रसंघ चुनाव जीतने के लिए दबंगई का सहारा लेने का चलन बहुत पहले से है. पूरा जोश और जवानी का माहौल होता है. इससे छात्रों की क्षमता और संगठन क्षमता जाहिर होती है. छात्रनेता भाषण कला भी सीखते हैं. कुल मिलाकर आजकल छात्रसंघ चुनावों के माध्यम से कई छात्रों को राजनीति में प्रवेश करने का अच्छा मौका मिल जाता है. इसलिए योग्य छात्र नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए कई ताकतें लगती हैं. उन पर पैसे खर्च किए जाते हैं.

चुनाव के समय सभी होस्टलों में विद्यार्थियों की भीड़ और चहल पहल बढ़ जाती है. मतदान के दो हफ्ते पहले से मतदाताओं की घेरेबंदी के प्रयास शुरू हो जाते हैं. अपने समर्थकों की सक्रियता और विरोधियों के समर्थकों को दबाकर रखने के पूरे प्रयास होते हैं. राजस्थान में तो जातिवाद भी चरम पर है, जो छात्रसंघ चुनावों में साफ तौर पर दिखाई देता है. जाट, मीणा, गुर्जर बहुल छात्रों के अलग-अलग गुट बन जाते हैं. राजपूत, ब्राह्मण अपनी अलग-अलग रणनीति बनाते हैं. अन्य जातियों के विद्यार्थी हतप्रभ रहते हैं. जिन जातियों की आबादी बहुत कम होती है, उससे जुड़े विद्यार्थियों में जबरन की हीन भावना पैदा होती है.

इस तरह राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव जातिगत आधार पर दबंगई दिखाने का मौका भी बन जाता है. इससे शैक्षणिक वातावरण कुछ भी हो, कुछ लोगों की राजनीति अवश्य चमकती है. इस बार छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी के पदाधिकारी जमकर प्रचार करेंगे. कश्मीर से धारा 370 जो हट गई है. वे मतदाता विद्यार्थियों से कहेंगे कि देश का नवनिर्माण भाजपा ही कर सकती है, इसलिए यहां भी हमको जिताओ. इसमें जातिवाद का भी पुट लगेगा तो उनके जीतने की संभावना बनेगी.

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, छात्र राजनीति करते हुए आगे बढ़े अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं, रघु शर्मा मंत्री हें, लेकिन कांग्रेस की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर डांवाडोल है. इससे यहां के छात्रसंघ चुनावों में उसके आनुषांगिक छात्र संगठन एनएसयूआई का प्रदर्शन कितना प्रभावित होगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल है. मोदी के पक्ष में भाजपा को सबसे ज्यादा वोट युवा वर्ग से ही मिले हैं. फिर भी एनएसयूआई का इन चुनावों में पूरा जोर रहेगा. वामपंथियों की राजस्थान की छात्र राजनीति में ज्यादा भूमिका नहीं है.

बहरहाल अगस्त का पूरा महीना राजस्थान में छात्र राजनीति के सुपुर्द रहेगा. एबीवीपी का जोर रहेगा, उसकी टक्कर एनएसयूआई से होगी और कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ेंगे. होस्टलों में लंगर शुरू हो जाएंगे. छात्रों के लिए छककर साग पूड़ी खाने का इंतजाम होगा. कई जगह पीने का इंतजाम भी होगा. चुनाव जीतने के हर संभव तरीके अपनाए जाएंगे. छात्राओं के महाविद्यालयों और होस्टलों में भी सक्रियता और चहल-पहल रहेगी. करोड़ों रुपए खर्च होंगे. कहां से आएंगे, कौन खर्च करेगा, कैसे करेगा, यह सब जांच-पड़ताल करना आयकर विभाग का काम है, जो इन दिनों कई धनवानों को नोटिस देने और पकड़ने का काम सक्रियता से कर रहा है.

अजित डोभाल पर गुलाब नबी का विवादित बयान, भड़की बीजेपी, श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही रोका गया आजाद को

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की कश्मीरियों के साथ मुलाकात को लेकर एक विवादित बयान दिया. उन्होंने कश्मीरियों के साथ डोभाल के खाना खाने के वीडियो पर बयान देते हुए कहा कि “पैसे देकर आप किसी को भी साथ ले सकते हो“.

दरअसल, जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बुधवार को एनएसए अजित डोभाल सुरक्षा का जायजा लेने कश्मीर पहुंचे थे. यहां अजीत डोभाल ने आम कश्मीरियों के साथ आतंक का गढ़ माने जाने वाले शोपियां में सडक के किनारे खड़े होकर खाना खाया. बातचीत में लोगों को भरोसा दिलाया, उनका हित सुरक्षित है. इस पर आंच नहीं आने दी जाएगी. शोपियां में एक मोहल्ले में उन्होंने दुकान की सीढ़ियों पर बैठकर आम लोगों के साथ खाना खाया. उन्हें बताया, यह फैसला सरकार ने कश्मीर के लोगों के हित में किया है, चिंता करने की जरूरत नहीं है. वीडियो में वह कहते सुने जा रहे हैं कि सब लोग आराम से रहें, ऊपर वाले की मेहरबानी है, सब कुछ अच्छा होगा. आपकी हिफाजत और सलामती हम लोगों का प्रयास है, यहां खुशहाली आएगी, आप और आपके बच्चे चैन से रह सकें, अच्छे नागरिक बनें यही प्रयास है, इस दौरान जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह भी अजीत डोभाल के साथ मौजूद रहे.

बता दें, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और धारा 370 को कमजोर करने का कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस विरोध की अगुवाई की है. इस बीच गुलाम नबी आजाद गुरुवार को कश्मीर के कांग्रेस नेताओं के साथ अनुच्छेद 370 को हटाने, जम्मू-कश्मीर को केंद्र प्रशासित बनाने सहित अन्य मुद्दों पर बैठक करने श्रीनगर पहुंचे जहां खबर लिखे जाने तक उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया. गुलाम नबी आजाद के साथ जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष भी को एयरपोर्ट पर ही रोक गया. कश्मीर जाने से पहले आजाद ने अजित डोभाल के वीडियो पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि आप पैसा देकर किसी को भी साथ ला सकते हैं.


अजित डोभाल के इस वीडियो को गुलाम नबी आजाद ने अजित डोभाल और केंद्र सरकार का ड्रामा बताया है. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार का फैसला काफी शर्मनाक है. उन्होंने एक राज्य का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है. भारतीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया हो और वहां पर कर्फ्यू लगा हो.

गुलाम नबी आजाद के इस बयान पर बीजेपी में जबरदस्त आक्रोश है. गुलाम नबी के बयान पर बीजेपी शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि आजाद को इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनके ऐसे बयान का पाकिस्तान गलत फायदा उठाने की कोशिश करेगा. हुसैन ने कहा, ‘अजित डोभाल वहां पर लोगों से मिलजुल कर हालात का जायजा ले रहे हैं. ऐसे में आप ये कैसे कह सकते हैं कि पैसा लेकर किसी को भी साथ लाया जा सकता है.’

सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि भारत सरकार ने भी गुलाब नबी के बयान पर नाराजगी व्यक्त की है. सरकार की ओर से कहा गया है कि गुलाम नबी आज़ाद का बयान कश्मीरियों को अपमानित करने जैसा है. इससे कांग्रेस की सोच पता चलती है. इसी सोच ने 70 साल तक जम्मू-कश्मीर को विकास से दूर रखा. देश कश्मीरियों का अपमान बर्दास्त नहीं करेगा.

अधीर रंजन ने सदन में कराई कांग्रेस किरकिरी

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में दिखे भारी मतभेद

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने और राज्य का पुनर्गठन करने के प्रस्ताव पारित होने के बाद मंगलवार शाम कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें इस मुद्दे पर बुजुर्ग कांग्रेसियों और युवाओं में विवाद की स्थिति देखी गई. बैठक में सरकार के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए इसे एकतरफा, लोकतंत्र विरोधी और संविधान का दुरुपयोग बताया गया.

बैठक में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और अन्य प्रमुख कांग्रेस नेता उपस्थित थे. बैठक में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाते हुए इससे विशेष दर्जा देने का फैसला जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और बीआर अंबेडकर ने मिलकर लिया था. जब तक इस प्रावधान में संशोधन नहीं होता है, तब तक इसका सम्मान किया जाना चाहिए. संविधान के अनुसार जनमत के आधार पर फैसले किए जाने चाहिए.

गुलाम नबी आजाद और पी चिदंबरम ने धारा 370 की तकनीकी व्याख्या की और इसके इतिहास पर प्रकाश डाला. ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपेन्द्र हुड्डा और जितिन प्रसाद ने कहा कि जनभावनाओं का ध्यान रखने की भी जरूरत है. जनभावनाएं हमारी राय से अलग हैं. आरपीएन सिंह ने कहा कि पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर एक बयान जारी होना चाहिए, जिससे अपनी राय आम जनता तक पहुंचाई जा सके. बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि धारा 370 अस्थायी व्यवस्था थी, लेकिन सरकार ने जिस तरह इसे हटाने का फैसला लिया है, वह गलत है.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने धारा 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इतनी पुलिस लगाकर और नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद ही यह फैसला हो सकता था. आरपीएन सिंह और गौरव भाटिया ने कहा कि कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए कांग्रेस को यह राय बनानी चाहिए कि यह भारत का आंतरिक मामला है.

ट्रांसजेंडर बिल पास होने पर कम्युनिटी ने इस दिन को ‘जेंडर जस्टिस मर्डर डे’ का नाम दिया

सोमवार को लोकसभा में ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल- 2019 मतलब ‘उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक-2019’ कुछ प्रमुख पार्टियों के विरोध के बाद पास हो गया. जब ये बिल सदन के पटल पर रखा गया तो कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी सांसदों ने इसके खिलाफ नारेबाजी की लेकिन सरकार ने विरोध को नजरंदाज करते हुए बिल पास कर दिया.

सबसे पहले सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने 19 जुलाई को लोकसभा में इस बिल को पेश किया था. बिल ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के अधिकारों को परिभाषित करता है. बिल में थर्ड जेंडर के साथ हो रहे शारीरिक हिंसा और यौन हिंसा जैसे अपराध और हर स्तर के भेदभाव को रोकने के लिए प्रावधान‍ किए गए हैं. सदन में ‘उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक-2019’ को रखते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि उभयलिंगी व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए यह विधेयक लाया गया है.

इस बिल को लेकर किन्नर समुदाय में विरोध के सुर उठने लगे हैं और देशभर में इस बिल का विरोध हो रहा है. बिल के पास होने पर ट्रांसजेंडर कम्युनिटी ने इस दिन को ‘जेंडर जस्टिस मर्डर डे’ का नाम दिया. ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट ग्रेस बानू ने द न्यूज मिनट को दिए बयान में कहा कि ये बिल 2014 में आए फैसले को खत्म कर रहा है. ये हमारे समुदाय ट्रांस लोगों की हत्या करने के जैसा है.

ग्रेस बानू ने कहा कि हमारे लिए ये बिल केवल एक कोरा कागज है. ये ट्रांसजेंडर लोगों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाने वाला है. इसमें 2014 के फैसले की तरह सेल्फ-आइडेंटिफिकेशन राइट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रांसजेंडर को OBC का दर्जा दिया जाए लेकिन इसमें ट्रांसजेंडर्स को रिजर्वेशन के दायरे में नहीं रखा गया.

ट्रांसजेंडर बिल क्या है और क्यों हो रहा है इसका विरोध

बिल कहता है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति ऐसा व्यक्ति है जोकि न तो पूरी तरह से महिला है और न ही पुरुष, अथवा वह महिला और पुरुष, दोनों का संयोजन है, अथवा न तो महिला है और न ही पुरुष. इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति का लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता और जिसमें ट्रांस-मेन (परा-पुरुष), ट्रांस-विमेन (परा-स्त्री) और इंटरसेक्स भिन्नताओं एवं लिंग विलक्षणताओं वाले व्यक्ति भी आते हैं.

एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान को मान्यता देने और बिल के तहत प्रदत्त अधिकारों को हासिल करने के लिए पहचान का सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. ऐसा सर्टिफिकेट उसे स्क्रीनिंग कमिटी के सुझाव पर जिला अधिकारी द्वारा प्रदान किया जाएगा. इस कमिटी में मेडिकल ऑफिसर, साइकोलॉजिस्ट या साइकैट्रिस्ट, जिला कल्याण अधिकारी, एक सरकारी अधिकारी और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल होगा.

बिल शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से किए जाने वाले भेदभाव को प्रतिबंधित करता है. यह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देता है कि इन क्षेत्रों में कल्याण योजनाओं की व्यवस्था की जाए. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भीख मंगवाने, उन्हें सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से रोकने, उनका शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने, इत्यादि अपराधों के लिए दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है.

सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि अपने लिंग की स्वयं पहचान करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और स्वायत्तता के अधिकार का ही एक हिस्सा है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति की हकदारी की पात्रता साबित करनी है तो उस व्यक्ति के लिंग को निर्धारित करने के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड की जरूरत पड़ सकती है.

बिल कहता है कि एक व्यक्ति को ‘स्वयं अनुभव की गई’ लिंग पहचान का अधिकार होगा. लेकिन वह ऐसे किसी अधिकार को अमल में लाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं करता. जिला स्क्रीनिंग कमिटी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान से जुड़े सर्टिफिकेट जारी करेगी.

बिल में परिभाषित ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों’ की परिभाषा, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और भारत के विशेषज्ञों द्वारा स्वीकृत की गई परिभाषा से भिन्न है.

बिल ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों’ की परिभाषा में ‘ट्रांस-मेन’, ‘ट्रांस-विमेन’ और ‘इंटरसेक्स भिन्नताओं’ एवं ‘लिंग विलक्षणताओं’ जैसे शब्दों को शामिल करता है. लेकिन बिल में इन शब्दों की व्याख्या नहीं की गई है.

वर्तमान में देश में जितने भी आपराधिक और व्यक्तिगत कानून हैं, उनमें ‘पुरुष’ और ‘महिला’ के लिंगों को मान्यता दी गई है. यह अस्पष्ट है कि ऐसे कानून ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर कैसे लागू होंगे जो इन दोनों लिंगों में से किसी से आइडेंटिफाई नहीं करते.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ‘ट्रांसजेंडर’ एक अंब्रेला टर्म है जिसमें वे सभी लोग शामिल हैं जिनकी लिंग की अनुभूति जन्म के समय उन्हें नियत किए गए लिंग से मेल नहीं खाती. उदाहरण के लिए पुरुष के तौर पर जन्म लेने वाला व्यक्ति दूसरे लिंग यानी महिला से आइडेंटिफाई कर सकता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, जो लोग ‘पुरुष’ या ‘महिला’ के तौर पर नहीं, ‘अन्य’ के तौर पर खुद को आइडेंटिफाई करते हैं, उनकी संख्या 4,87,803 है (कुल जनसंख्या का 0.04% भाग). ‘अन्य’ की श्रेणी में ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं और यह श्रेणी उन सभी लोगों पर लागू होती है जो खुद को पुरुष या महिला के तौर पर आइडेंटिफाई नहीं करते.

ट्रांसजेंडर बिल की प्रमुख विशेषताएं

किसी ट्रांसजेंडर से जबरन काम कराने खासकर बंधुआ मजदूरी कराने की शिकायत अपराध की श्रेणी में आएगी. इसके अलावा उन्हें घर, गांव-गली, मुहल्ले से निकालना या सार्वजनिक जगहों से हटाना भी अपराध होगा. उनके साथ किसी भी तरह की हिंसा, शारीरिक यौन हिंसा, शोषण या गाली-गलौच करने पर कानूनी कार्रवाई होगी. इन अपराधों में आरोपी को छह माह से दो साल तक की सजा मिल सकती है.

ट्रांसजेंडर्स के साथ सरकारी स्कूल, कॉलेजों, सरकारी या प्राइवेट ऑफिसों में होने वाले भेदभाव को पूरी तरह गैरकानूनी बनाया गया है. उन्हें नौकरी देने या प्रमोशन देने में भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए शिकायत अधिकारी नियुक्त होगा. इसी तरह उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं भी आसानी से मुहैया कराई जाएंगी. इसके अलावा एचआईवी टेस्ट सेंटर्स और सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी सुविधा मिलेगी. साथ ही उन्हें रहने, पुनर्वास और प्रॉपर्टी खरीदने का पूरा अधिकार मिलेगा.

ट्रांसजेंडर्स को अपने परिवार के साथ अपने घर में रहने का अधिकार है. अगर उसका परिवार उसकी केयर करने में नाकाम होता है तो वो रीहबिलटैशन सेंटर में रह सकता है. इसके अलावा वो किराए का घर लेकर भी रह सकता है. उसे कोई भी मकान मालिक इस आधार पर घर देने से मना नहीं कर सकता कि वो ट्रांसजेंडर है. वो खुद के नाम प्रॉपर्टी भी खरीद सकता है.

पुनर्गठन बिल पर कांग्रेस नेताओं के बीच खींचतान हुई तेज

सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने वाला विधेयक राज्यसभा से भी हुआ पास

सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की संख्या बढ़ायी जाएगी. इससे जुड़े एक महत्वपूर्ण बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल गयी. राज्यसभा ने सत्र के अंतिम दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (न्यायाधीश संख्या) संशोधन विधेयक 2019 को बिना किसी चर्चा के लोकसभा को लौटा दिया. इस बिल में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 किए जाने का प्रावधान है. लोकसभा में इस बिल को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है, ‘भारत के सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. 1 जून, 2019 तक सुप्रीम कोर्ट में 58,669 मामले लंबित थे. भारत के चीफ जस्टिस ने सूचित किया है कि जजों की अपर्याप्त संख्या शीर्ष अदालत में मामलों के लंबित होने के मुख्य कारणों में से एक कारण है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्तियों और जजों की संख्या 906 से बढ़कर 1079 हो गई है जिसकी वजह से हाईकोर्ट स्तर पर मामलों के निस्तारण में वृद्धि हुई है. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट में की जाने वाली अपीलों में वृद्धि हुई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को वर्तमान में भारत के चीफ जस्टिस को छोड़कर 30 से बढ़ाकर 33 करने के लिये सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव है.

इस मौके पर राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिवंगत नेता के सम्मान में हमें इस विधेयक को बिना किसी वाद विवाद के पारित करना चाहिए. चूंकि ये एक धन विधेयक है इसलिए यदि उच्च सदन में इस पर चर्चा नहीं भी होगी तो भी यह स्वत: पारित हो जाएगा. लोकसभा अध्यक्ष ने इस विधेयक को धन विधेयक घोषित किया था.

सभापति नायडू ने विधि और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस बात का समर्थन करते हुए विपक्ष से कहा कि ये एक छोटा सा विधेयक है जिसमें सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रावधान है. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक के प्रावधानों का समर्थन करती है.

बता दें, अभी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई सहित 31 जज हैं. सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 को अंतिम बार 2009 में संशोधित किया गया था. तब सीजेआई के अलावा जजों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 की गई थी. रंजन गोगोई ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शीर्ष न्यायालय में जजों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था. विधेयक के पास होने के बाद सभापति नायडू ने राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया.

शाह के भाषण में POK और अक्साई चिन, पाकिस्तान के साथ-साथ बौखलाया चीन

जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का फैसला होने के बाद चीन और पाकिस्तान की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. नक्शे के मुताबिक कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है और लद्दाख के एक हिस्से अक्साइ चिन पर चीन का कब्जा है. राज्य पुनर्गठन प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर को दो भागों में विभाजित करते हुए लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा. गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा हमने POK और अक्साई चिन को भारत का हिस्सा माना है. अमित शाह के इस बयान के बाद चीन और पाकिस्तान की धड़कनें बढ़ गई हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) और अक्साई चिन सहित पूरा जम्मू कश्मीर भारत का ‘अभिन्न अंग’ है. अमित शाह ने कहा कि पीओके पर आज भी भारत का दावा उतना ही मजबूत है जितना पहले था. लोकसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प एवं राज्य पुनर्गठन विधेयक को चर्चा के लिये रखते हुए शाह ने कहा, ” जब-जब मैंने जम्मू-कश्मीर बोला है तब-तब इसमें पीओेके और अक्साई चिन भी समाहित हैं.” उन्होंने कहा कि काफी सदस्यों के मन में यह बात है कि यह संकल्प और विधेयक की कानूनी वैधता क्या है?शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर पर संसद ही सर्वोच्च है. कश्मीर को लेकर नियम कानून और संविधान में बदलाव करने से कोई नहीं रोक सकता.

चीन ने लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने पर एतराज किया है. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि भारत एकतरफा तरीके से घरेलू फैसले करते हुए चीन की क्षेत्रीय स्वायत्तता में दखल देने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने भारत और पाकिस्तान, दोनों को चेतावनी दी कि वे एकतरफा तरीके से यथास्थिति को प्रभावित करने वाले फैसले न करे. इस पर भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यह भारत का घरेलू मामला है. भारत कभी भी दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता और उनसे भी यही उम्मीद करता है.

पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र में भारत के कश्मीर में धारा 370 हटाने के फैसले पर गंभीर विचार विमर्श किया गया. प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि इसके खतरनाक नतीजे होंगे और पुलवामा जैसे हमले बढ़ेंगे. इससे दोनों पड़ोसियों के बीच जंग के हालात भी बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे (भाजपा) कश्मीर की जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं. कश्मीरियों के विरोध कुचलने का प्रयास किया जा रहा है. मुझे आशंका है कि वहां स्थानीय आबादी को बेदखल करते हुए बाहरी लोगों की बसावट बढ़ जाएगी. अगर यह सिलसिला शुरू हुआ तो पुलवामा जैसे हमले बढ़ जाएंगे और इसके लिए वे हमें जिम्मेदार ठहराएंगे.

भारत और पाकिस्तान के बीच परंपरागत लड़ाई की आशंका व्यक्त करते हुए इमरान खान ने कहा कि इस जंग में कोई जीतने वाला नहीं है और इसका दुनिया भर में असर होगा. भारत में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित होने के बाद पाकिस्तान में तेजी से घटनाक्रम घूम रहा है. संसद की बैठक हो गई. पाकिस्तान के राजदूत शिकायत संयुक्त राष्ट्र में शिकायत करने न्यूयार्क पहुंच गए हैं. पाकिस्तान इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी से भी भारत की शिकायत कर चुका है. हालांकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इसे भारत का घरेलू मामला बताया है.

पाकिस्तान की चिंताओं के साथ चीन ने भी कदमताल शुरू कर दी है. कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की सख्त आलोचना की गई है. सोमवार को पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख मिशेल ब्रैचलेट से मुलाकात की और मौजूदा परिस्थितियों में अपनी चिंताओं से अवगत कराया. पाकिस्तान हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में भी याचिका दायर कर सकता है.

भारत ने सीमा पर घुसपैठ बढ़ने की आशंका के मद्देनजर सेना की तैनाती बढ़ा दी है. पाकिस्तान ने फैट संधि के तहत पिछले दो माह में घुसपैठ के प्रयास रोकना शुरू किया है और आतंकी शिविरों की तादाद भी कम की है. अब पाकिस्तान अमेरिका की शरण में भी जा सकता है. वह अमेरिका से भारत पर दबाव डलवाने का प्रयास करेगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने अमेरिका के विशेष राजदूत ज़ालमे खालिजाद को चेतावनी दी कि जम्मू-कश्मीर में बड़े घटनाक्रम का असर अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पर पड़ सकता है. मंगलवार को खालिजान ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की. बाद में जयशंकर ने ट्वीट किया कि अफगानिस्तान की परिस्थितियों के संदर्भ में बात हुई, जिसमें विचार किया गया कि इसमें भारत क्या मदद कर सकता है.

भारत पाकिस्तान के इरादों को लेकर पहले से सतर्क है. पाकिस्तान जिहाद भड़काने पर उतारू हो सकता है. कश्मीर घाटी के चप्पे-चप्पे पर निगरानी बढ़ा दी गई है. श्रीनगर में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कर्फ्यू जैसे हालात रहे. शिक्षण संस्थाएं और सरकारी दफ्तर बंद थे. बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ था. मोबाइल, लैंडलाइन फोन और इंटरनेट ठप होने से कश्मीर के लोगों का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क कटा हुआ है. वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी को सैटेलाइट फोन दिए गए हैं.

सोमवार को श्रीनगर के राजभवन में राज्यपाल सत्यपाल मलिक से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मुलाकात की. रविवार रात उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था. महबूबा मुफ्ती को उनके घर के पास हरि निवास गेस्ट हाउस में रखा गया है. उमर चश्माशाही में बनी अस्थायी वीआईपी जेल में बंद हैं. यह जेबारवान पहाड़ियों के नीचे एक शानदार रिसोर्ट है.

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