जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार 12 अगस्त को ईदुज्जुहा का त्योहार है. कश्मीर घाटी में इन दिनों कई जगह निषेधाज्ञा लगी हुई है. कश्मीर में रहने वाले सभी लोगों को राज्य से बाहर भेज दिया गया है. श्रीनगर सहित कश्मीर घाटी के शहरों, कस्बों में बाजार, कारोबार ठप है. अमरनाथ यात्रा भी रोक दी गई है. इस तरह जो विकट परिस्थिति बनी है, उसमें कश्मीर के बहुत से लोग ईदुज्जुहा का त्योहार मनाएंगे.

सरकार ने बकरा ईद के मौके पर निषेधाज्ञा शिथिल करने का फैसला किया है. लोगों को जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत दी जाएगी. करीब एक हफ्ते के सन्नाटे के बाद माहौल में थोड़ी चहल पहल दिखेगी. इससे सरकार को धारा 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में बनी जनभावना को जांचने का भी मौका मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक लोगों को एक दिन त्योहार मनाने के लिए कर्फ्यू में ढील मिल सकती है. मोबाइल फोन और ब्राडबैंड के जरिए इंटरनेट सेवाएं जल्दी शुरू होने के आसार नहीं हैं.

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सरकार को आशंका है कि इंटरनेट सेवाएं चालू रहने से अलगाववादी अफवाहें फैलाकर लोगों को भड़का सकते हैं और उपद्रव हो सकता है. पत्थरबाजों को जुटाने जैसे काम हो सकते हैं. भारत विरोधी जिहादी गुट इस सेवा का दुरुपयोग कर सकते हैं. निषेधाज्ञा जारी रहने के बावजूद कश्मीर घाटी में पथराव की कुछ घटनाएं देखी गई हैं. श्रीनगर में बुधवार को चार-पांच अज्ञात लोग बाजार में पथराव करने के बाद भाग गए.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कश्मीर में हैं और लोगों के बीच जमीनी हालात का जायजा ले रहे हैं. बुधवार को डोभाल ने शोपियां में सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें जनता के बीच जरूरी चीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने आपात स्थिति होने पर लोगों की मदद करने के निर्देश दिए. डोभाल ने मंगलवार को श्रीनगर में सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की थी.

प्रशासन की तरफ से कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को संतोषजनक बताया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर की स्थिति के जानकार कहते हैं कि यह संतोषजनक स्थिति सिर्फ तब तक है, जब तक निषेधाज्ञा लागू है और कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है. पाबंदियां हटने के बाद जब लोग घरों से बाहर निकलेंगे, तब वस्तुस्थिति की जानकारी मिलेगी. बहरहाल कश्मीर घाटी में इन्हीं परिस्थितियों में ईदुज्जुहा का त्योहार मनाया जाना है.

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