सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की संख्या बढ़ायी जाएगी. इससे जुड़े एक महत्वपूर्ण बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल गयी. राज्यसभा ने सत्र के अंतिम दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (न्यायाधीश संख्या) संशोधन विधेयक 2019 को बिना किसी चर्चा के लोकसभा को लौटा दिया. इस बिल में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 किए जाने का प्रावधान है. लोकसभा में इस बिल को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है, ‘भारत के सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. 1 जून, 2019 तक सुप्रीम कोर्ट में 58,669 मामले लंबित थे. भारत के चीफ जस्टिस ने सूचित किया है कि जजों की अपर्याप्त संख्या शीर्ष अदालत में मामलों के लंबित होने के मुख्य कारणों में से एक कारण है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्तियों और जजों की संख्या 906 से बढ़कर 1079 हो गई है जिसकी वजह से हाईकोर्ट स्तर पर मामलों के निस्तारण में वृद्धि हुई है. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट में की जाने वाली अपीलों में वृद्धि हुई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को वर्तमान में भारत के चीफ जस्टिस को छोड़कर 30 से बढ़ाकर 33 करने के लिये सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव है.

इस मौके पर राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिवंगत नेता के सम्मान में हमें इस विधेयक को बिना किसी वाद विवाद के पारित करना चाहिए. चूंकि ये एक धन विधेयक है इसलिए यदि उच्च सदन में इस पर चर्चा नहीं भी होगी तो भी यह स्वत: पारित हो जाएगा. लोकसभा अध्यक्ष ने इस विधेयक को धन विधेयक घोषित किया था.

सभापति नायडू ने विधि और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस बात का समर्थन करते हुए विपक्ष से कहा कि ये एक छोटा सा विधेयक है जिसमें सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रावधान है. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक के प्रावधानों का समर्थन करती है.

बता दें, अभी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई सहित 31 जज हैं. सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 को अंतिम बार 2009 में संशोधित किया गया था. तब सीजेआई के अलावा जजों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 की गई थी. रंजन गोगोई ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शीर्ष न्यायालय में जजों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था. विधेयक के पास होने के बाद सभापति नायडू ने राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया.

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