जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने और राज्य का पुनर्गठन करने के प्रस्ताव पारित होने के बाद मंगलवार शाम कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें इस मुद्दे पर बुजुर्ग कांग्रेसियों और युवाओं में विवाद की स्थिति देखी गई. बैठक में सरकार के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए इसे एकतरफा, लोकतंत्र विरोधी और संविधान का दुरुपयोग बताया गया.

बैठक में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और अन्य प्रमुख कांग्रेस नेता उपस्थित थे. बैठक में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाते हुए इससे विशेष दर्जा देने का फैसला जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और बीआर अंबेडकर ने मिलकर लिया था. जब तक इस प्रावधान में संशोधन नहीं होता है, तब तक इसका सम्मान किया जाना चाहिए. संविधान के अनुसार जनमत के आधार पर फैसले किए जाने चाहिए.

गुलाम नबी आजाद और पी चिदंबरम ने धारा 370 की तकनीकी व्याख्या की और इसके इतिहास पर प्रकाश डाला. ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपेन्द्र हुड्डा और जितिन प्रसाद ने कहा कि जनभावनाओं का ध्यान रखने की भी जरूरत है. जनभावनाएं हमारी राय से अलग हैं. आरपीएन सिंह ने कहा कि पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर एक बयान जारी होना चाहिए, जिससे अपनी राय आम जनता तक पहुंचाई जा सके. बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि धारा 370 अस्थायी व्यवस्था थी, लेकिन सरकार ने जिस तरह इसे हटाने का फैसला लिया है, वह गलत है.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने धारा 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इतनी पुलिस लगाकर और नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद ही यह फैसला हो सकता था. आरपीएन सिंह और गौरव भाटिया ने कहा कि कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए कांग्रेस को यह राय बनानी चाहिए कि यह भारत का आंतरिक मामला है.

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