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गौतम गंभीर भाजपा से तो जुड़ गए हैं मगर अभी तक चौकीदार नहीं बने हैं

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भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज रहे गौतम गंभीर शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की. माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाएगी. हालांकि इस बारे में कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है.

गौतम गंभीर ने भाजपा में शामिल होते समय कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के विजन से प्रभावित होकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है, लेकिन ट्विटर पर इसका असर दिखाई नहीं दे रहा. गंभीर को भाजपा में शामिल हुए 24 घंटे से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन वे ट्विटर पर अभी तक ‘चौकीदार’ नहीं बने हैं. उन्हें ऐसा करने के लिए दिल्ली भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा भी था, लेकिन उस समय गंभीर ने उनकी बात को हंसी में टाल दिया.

गौतम गंभीर का ट्विटर हैंडल

बता दें कि भाजपा ‘मैं भी चौकीदार’ के स्लोगन के साथ चुनावी मैदान में है. सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर अपने नाम के सामने ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया है. उनकी देखा—देखी मोदी सरकार में शामिल मंत्रियों और भाजपा के नेताओं ने भी ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया.

सोशल मीडिया पर ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान को मिले रेसपोंस को देखते हुए भाजपा ने इसे बड़ा चुनावी हथियार बना लिया है. बीते बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 25 लाख चौकीदारों को ऑडियो ब्रिज के जरिए संबोधित कर नया प्रयोग किया. इस अभियान के जरिए भाजपा राहुल गांधी के ‘चौकीदार चोर है’ के आरोप का जवाब देने के साथ—साथ राजनीतिक ध्रुवीकरण करने की किसी योजना की तरफ बढ़ रही है.

भाजपा का इतना अहम अभियान होने के बावजूद पार्टी के नए चेहरे गौतम गंभीर इससे अभी तक नहीं जुड़े हैं. उनके करीबी सूत्रों ​के अनुसार पार्टी ने उन्हें नई दिल्ली से टिकट देने का आश्वासन दिया है. गंभीर उम्मीदवारों की सूची में नाम आने के बाद ही सक्रिय नेता की तरह नजर आएंगे. तब तक के वे चीजों को देख—समझ रहे हैं.

भारतीय टीम के धाकड़ बल्लेबाज रहे गौतम गंभीर चौकीदार तो नहीं बने हैं, लेकिन नई दिल्ली सांसद मीनाक्षी लेखी की नींद हराम जरूर कर चुके हैं. उनका टिकट काटकर गंभीर का देने की चर्चा ने लेखी का मूड खराब कर रखा है. शुक्रवार को पत्रकारों ने जब लेखी से इस बारे में सवाल किया तो वे भड़क गईं. उन्होंने कहा, ‘सब लोग टूट-फूट कर, सब तरफ से हमारी पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं. इसका मतलब है कि हमारी पार्टी अच्छा करने जा रही है. मेरा टिकट कटने की जो फेक न्यूज मीडिया चला रहा हैं इसे बंद कर दीजिए.’

दरअसल, शुक्रवार को जिस समय भाजपा कार्यालय गौतम गंभीर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे थे ठीक उसी समय दिल्ली के मौजूदा सांसदों के भविष्य पर चर्चा चल रही थी. इसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के अलावा दिल्ली भाजपा के सभी बड़े नेता मौजूद थे. नई दिल्ली सांसद मीनाक्षी लेखी भी इस बैठक में शिरकत कर रही थीं.

बता दें कि भाजपा की ओर से दिल्ली के सातों उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. कोर कमेटी की बैठक के बाद सभी सीटों पर तीन-तीन नामों का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जा चुका है. दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी के अनुसार पार्टी सभी सातों सीटों पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों का चयन करेगी.

बिहार में एनडीए की सूची जारी, शॉटगन और शाहनवाज का टिकट कटा

बिहार में एनडीए ने 39 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. मोदी सरकार के खिलाफ बयानों से सुर्खियों में रहने वाले पटना साहिब सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को दिया गया है. वहीं, 2014 में भागलपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन इस बार बेटिकट हो गए हैं. इस सीट से जेडीयू के पवन कुमार मंडल उम्मीदवार होंगे.

जयदू के प्रदेशाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नित्यांदन राय और राजपा के प्रदेशाध्यक्ष पशुपति कुमार पारस की ओर से जारी सूची में मोदी सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह को बेगूसराय सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है. 2014 के चुनाव में वे नवादा सीट से सांसद बने थे, लेकिन गठबंधनप में इस सीट के लोजपा के खाते में चले जाने से उन्हें दूसरी जगह जाना पड़ा. लोजपा ने नवादा से चंदन कुमार को मैदान में उतारा है.

‘पॉलिटॉक्स’ ने 15 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट ‘नीतीश कुमार के इशारे पर गिरिराज को घर बैठाने की तैयारी में भाजपा’ में यह संकेत दे दिया था कि गठबंधन में नवादा सीट लोजपा के खाते में जा रही है और गिरिराज सिंह को बेगूसराय सीट से मैदान में उतारा जा सकता है. इस सीट से सीपीआई के टिकट पर छात्र नेता कन्हैया कुमार चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं.

भाजपा के 17 उम्मीदवार

  1. पश्चिमी चंपारण : डॉ. संजय जयसवाल
  2. पूर्वी चंपारण : राधा मोहन सिंह
  3. शिवहर : रमा देवी
  4. मधुबनी : अशोक कुमार यादव
  5. अररिया : प्रदीप सिंह
  6. दरभंगा : गोपाल ठाकुर
  7. मुजफ्फरपुर : अजय निषाद
  8. महाराजगंज : जनार्दन सिंह सिग्रीवाल
  9. सारण : राजीव प्रताप रूडी
  10. उजियारपुर : नित्यानंद राय
  11. बेगूसराय : गिरिराज सिंह
  12. पटना साहिब : रविशंकर प्रसाद
  13. पाटलीपुत्र : रामकृपाल यादव
  14. आरा : राजकुमार सिंह
  15. बक्सर : अश्विनी कुमार चौबे
  16. सासाराम : छेदी पासवान
  17. औरंगाबाद : सुशील कुमार सिंह

जदयू के 17 उम्मीदवार

  1. सुपोल : दिनेश्वर
  2. किशनगंज : महमूद अशरफ
  3. कटिहार : दुलार चंद गोस्वामी
  4. पुरनिया : संतोष कुमार कुशवाहा
  5. मधेपुरा : दिनेश चंद्र यादव
  6. गोपालगंज : डॉ. आलोक कुमार सुमन
  7. सीवान : कविता सिंह
  8. भागलपुर : अजय कुमार मंडल
  9. बांका : गिरिधारी यादव
  10. मुंगेर : राजीव रंजन सिंह
  11. नालंदा : कौशलेंद्र कुमार
  12. काराकाट : महाबली सिंह
  13. जहानाबाद : चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी
  14. गया : विजय कुमार मांझी
  15. वाल्मीकि नगर : वैद्यनाथ प्रसाद महतो
  16. सीतामढ़ी : डॉ. वरुण कुमार
  17. झंझारपुर : रामप्रीत मंडल

लोजपा के छह उम्मीदवार

  1. वैशाली : वीणा देवी
  2. हाजीपुर : पशुपति कुमार पारस
  3. समस्तीपुर : मचंद्र पासवान
  4. नवादा : चंदन कुमार
  5. जमुई : चिराग कुमार पासवान
  6. खगड़िया : घोषणा बाकी

डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बनी यह पार्टी

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लोकसभा चुनाव के रण में भाजपा ने राजस्थान के 16 योद्धाओं को मैदान में उतार दिया है. पार्टी जिन नौ सीटों पर जिताऊ चेहरों की तलाश कर रही है, उनमें डूंगरपुर-बांसवाड़ा भी शामिल है. पार्टी के दिग्गज इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि इस सीट से मौजूदा सांसद मानशंकर निनामा को फिर से मैदान में उतारा जाए या और किसी को मौका दिया जाए. निनामा के अलावा मुकेश रावत, कनकमल कटारा, जीतमल खांट और धर्मेंद्र राठौड़ भी दौड़ मे शामिल हैं.

डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर भाजपा ही नहीं, कांग्रेस के भीतर भी मंथन जारी है. पार्टी इस सीट पर एक बार डूंगरपुर और एक बार बांसवाड़ा के नेता को मैदान में उतारती रही है. इस लिहाज से इस बार डूंगरपुर से ताल्लुक रखने वाले ताराचंद भगोरा और महेंद्र बरजोड़ में से किसी एक का नंबर आ सकता है. दोनों दावेदारों के पक्ष में अपने-अपने गुट के नेता लॉबिंग करने में जुटे हैं. पार्टी यह तय नहीं कर पा रही कि इन दोनों में से किसे मैदान में उतारा जाए.

उम्मीदवार तय करने से पहले राजनीतिक दलों में मंथन होना नई बात नहीं है, लेकिन दक्षिणी राजस्थान की डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस और भाजपा में इतनी माथापच्ची पहली बार देखने को मिल रही है. इसकी वजह है बीटीपी यानी भारतीय ट्राइबल पार्टी. विधानसभा चुनाव से पहले अस्तित्व में आई यह पार्टी कांग्रेस और भाजपा के लिए सिरदर्द बन गई है.

गौरतलब है कि बीटीपी का गठन आदिवासी नेता छोटूभाई वसावा ने 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले किया था. चुनाव में कांग्रेस ने बीटीपी के साथ गठबंधन किया और इसे पांच सीटें दीं. बीटीपी ने इनमें से दो पर जीत दर्ज की. कांग्रेस ने गुजरात चुनाव में तो बीटीपी के साथ गठजोड़ किया, लेकिन राजस्थान विधानसभा के चुनाव में उसे कोई तवज्जो नहीं दी. जबकि बीटीपी ने चुनाव से डेढ़ महीने पहले ही मैदान में उतरने का एलान कर दिया था.

चुनाव से पहले न तो कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने बीटीपी को अहमियम दी और न ही स्थानीय नेताओं ने. भाजपा का भी यही रुख रहा. असल में दोनों दल बीटीपी को एकाध प्रतिशत वोट मिलने लायक पार्टी मान रहे थे. भाजपा ने यह सोचकर इस नवोदित राजनीतिक दल को नजरअंदाज किया कि यह कांग्रेस के वोट काटेगी जबकि कांग्रेस यह मानकर बैठी थी कि यह भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाएगी. दोनों दल इसी गलतफहमी में चुनावी रण में उतरे, जो उनके लिए आत्मघाती साबित हुआ.

डूंगरपुर जिले में बीटीपी के दो उम्मीदवारों को विजयी बनाकर सबको चौंका दिया. चौरासी सीट पर बीटीपी के प्रत्याशी राजकुमार रोत ने वसुंधरा सरकार के मंत्री सुशील कटारा व कांग्रेस नेता मंजुला रोत को धूल चटाई जबकि सागवाड़ा सीट पर रामप्रसाद डेंडोर ने भाजपा के शंकर डेचा व कांग्रेस के सुरेंद्र बामणिया को शिकस्त दी. वहीं, आसपुर सीट पर बीटीपी की ओर से मैदान में उतरे उमेश डामोर भाजपा उम्मीदवार से नजदीकी मुकाबले में हारे. कांग्रेस इन तीनों सीटों पर तीसरे स्थान पर रही.

डूंगरपुर सीट पर जरूर कांग्रेस के उम्मीदवार गणेश घोगरा ने जीत हासिल की, लेकिन यहां भी बीटीपी के प्रत्याशी डॉ. वेलाराम घोघरा ने 8.17 फीसदी वोट प्राप्त किए. बीटीपी ने आदिवासी बहुल बांसवाड़ा, उदयपुर और प्रतापगढ़ में भी अपने प्रत्याशी खड़े किए थे. इनमें से किसी को जीतने में तो कामयाबी नहीं मिली, लेकिन गढ़ी में 11.42, खेरवाड़ा में 10.87, बागीदौड़ा में 4.94, धारियावाड़ में 2.33 और घाटोल में 2.18 फीसदी वोट हासिल किए.

बीटीपी के नेता लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि इलाके की कांग्रेस और भाजपा ने बारी-बारी से उपेक्षा की है. अपने हक-हकूक के लिए खुद के बीच से लोगों को चुनकर भेजना जरूरी है. यह बात पिछले पांच साल से इलाके के लोगों को समझायी जा रही थी. भील आटोनोमस काउंसिल ने लगातार ‘आदिवासी परिवार चिंतन शिविर’ लगाकर भील जनजाति को संविधान की पांचवीं अनुसूचि में प्रदत्त अधिकारों के प्रति जागरुक किया. काउंसिल ने आदिवासी युवाओं के बीच अपने पैठ बढ़ाने के लिए यूथ विंग खड़ी की.

वहीं, भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) चार साल पहले छात्रसंघ चुनाव में उतरा और डूंगरपुर जिले की तीन कॉलेजों में एबीवीपी और एनएसयूआई को शिकस्त दी. चुनाव दर चुनाव बीपीवीएम ने अपनी ताकत को बढ़ाया. वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे सुशील कटारा के गृह क्षेत्र चौरासी के संस्कृत कॉलेज में बीते दो साल से बीपीवीएम के प्रत्याशी छात्रसंघ के सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हो रहे हैं.

यानी विधानसभा चुनाव में बीपीटी ने उसी सियासी जमीन पर फसल काटी जिसे भील आटोनोमस काउंसिल और भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने पांच साल तक खाद-पानी दिया था. चौरासी सीट से चुनाव जीते राजकुमार रोत तो सीधे तौर पर छात्रसंघ की राजनीति से निकले युवा चेहरे हैं. वे 2014-15 में डूंगरपुर कॉलेज के अध्यक्ष चुने गए थे. रोत की उम्र महज 26 साल है और वे विधानसभा के सबसे कम उम्र के विधायक हैं.

विधानसभा चुनाव में दो सीट जीतने से उत्साहित बीटीपी ने लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. इससे कांग्रेस और भाजपा, दोनों चिंतित हैं. एक ओर कांग्रेस को अपने परंपरागत वोट बैंक के हमेशा के लिए हाथ से निकलने का डर सता रहा है, वहीं दूसरी ओर भाजपा भील जनजाति के पार्टी से छिटकने का तोड़ नहीं निकलने से परेशान है. विधानसभा चुनाव में बीटीपी को हल्के में लेने की भूल कर चुके दोनों दल लोकसभा चुनाव में नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं.

पीसी घोष बने देश के पहले लोकपाल, राष्ट्रपति भवन में ली शपथ

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जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल बन गए हैं. आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, उपराष्ट्रप​ति वैंकया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे. लोकपाल के साथ जस्टिस दिलीप बी. भोंसले, जस्टिस प्रदीप मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी को न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है. जबकि दिनेश कुमार जैन, अर्चना रमासुदर्शन, महेंद्र सिंह और डॉ. महेंद्र सिंह को गैर न्यायिक सदस्य बनाया गया है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने सर्वसम्मति से पीसी घोष को लोकपाल नियुक्त करने की सिफारिश की थी. लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी चयन समिति के सदस्य थे, लेकिन वे चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि लोकपाल अधिनियम-2013 की धारा चार में ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ के लोकपाल चयन समिति की हिस्सा होने या इसकी बैठक में शामिल होने का कोई प्रावधान नहीं है. खड़गे ने तब कहा था कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने लोकपाल कानून में ऐसा संशोधन करने का कोई प्रयास नहीं किया जिससे विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता चयन समिति के सदस्य के तौर पर बैठक में शामिल हो सके.

जस्टिस घोष 1997 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बने और उसके बाद दिसंबर 2012 में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. वे 2013 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे. सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए उनकी ओर से किए गए फैसलों में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी रही शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार देने का मामला भी शामिल है. लोकपाल बनने से पूर्व घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य थे.

गौरतलब है कि लोकपाल की मांग को लेकर 2012 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की अगुवाई में बड़ा आंदोलन हुआ था. इसमें अन्ना के अलावा दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनकी सरकार के कई मंत्री व विधायक, पुदुचेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी सहित कई जानी मानी-हस्तियों ने शिरकत की थी. 12 दिन चले इस आंदोलन के दौरान तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ पूरे देश में जबरदस्त जन प्रतिरोध देखने को मिला था.

कांग्रेस की सातवीं सूची जारी, राज बब्बर को मुरादाबाद से फतेहपुर सीकरी भेजा

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कांग्रेस ने शुक्रवार देर रात लोकसभा चुनाव के रण उतरने वाले उम्मीदवारों की छठी सूची जारी कर दी. पार्टी महासचिव और केंद्रीय चुनाव समिति के प्रभारी मुकुल वासनिक की ओर से जारी इस सूची में कुल 35 नाम हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के चार, जम्मू-कश्मीर के तीन, महाराष्ट्र के पांच, ओडिशा के दो, तमिलनाडु के आठ, तेलंगाना के एक, त्रिपुरा के दो, उत्तर प्रदेश के नौ और पांडिचेरी के एक उम्मीदवार शामिल हैं.

सातवीं सूची में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर की सीट बदली गई है. मुरादाबाद सीट से उनकी जगह इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया गया है. राज बब्बर अब फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने बिजनौर सीट पर भी उम्मीदवार बदल ​दिया है. इंदिरा भाटी की जगह नसीमुद्दीन सिद्दिकी को मैदान में उतारा गया है.

पढ़ें 35 उम्मीदवारों की पूरी सूची:

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सातवीं सूची के 35 नामों को मिलाकर कांग्रेस अब तक 181 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. पहली सूची में उत्तर प्रदेश के 11 और गुजरात के 4, दूसरी सूची में उत्तर प्रदेश के 16 और महाराष्ट्र 5, तीसरी सूची में तेलंगाना के 8, असम के 5, मेघालय के 2, उत्तर प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम के 1-1, चौ​थी सूची में केरल के 12, उत्तर प्रदेश के 7, छत्तीसगढ़ के 5, अरुणाचल के 2, अंडमान निकोबार के 1, पांचवीं सूची में आंध्र प्रदेश के 22, पश्चिम बंगाल के 11, तेलंगाना के 8, ओडिशा के 6, असम के 5, उत्तर प्रदेश के 3 और लक्षद्वीप के 1 और छठी सूची में महाराष्ट्र के 7 और केरल के 2 उम्मीदवारों का नाम शामिल था.

भाजपा की दूसरी और तीसरी सूची जारी, संबित पात्रा पुरी से लड़ेंगे चुनाव

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भाजपा ने शुक्रवार देर रात उम्मीदवारों की दूसरी और तीसरी सूची जारी की. दूसरी सूची में सिर्फ एक नाम है. पार्टी ने दमन दीव सीट पर लालूभाई पटेल को मैदान में उतारा है. जबकि चौथी सूची में 36 नाम हैं. इनमें आंध्रप्रदेश के 23, महाराष्ट्र के 6 सीटों, ओडिशा के 5 और असम-मेघालय के 1-1 उम्मीरवार शामिल हैं. भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा को पार्टी ने ओडिशा की पुरी सीट से मैदान में उतारा है.

पढ़ें 37 उम्मीदवारों की पूरी सूची:

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बता दें कि भाजपा ने गुरुवार को 184 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी. यानी पार्टी अब तक 221 उम्मीदवारों का एलान कर चुकी है. सूत्रों के अनुसार भाजपा चौथी सूची जारी कर सकती है, जिसमें झारखंड, गुजरात, पंजाब, हिमाचल, चंडीगढ़, हरियाणा, गोवा और मध्यप्रदेश के करीब 50 प्रत्याशियों का नाम शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं.

‘मणिशंकर अय्यर की कमी महसूस होने लगी तो सैम पित्रोदा ने उसे पूरा कर दिया’

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कहा जाता है कि कांग्रेस और ​विवादित बयानों का चोली-दामन का साथ रहा है. कहना पूरी तरह से गलत भी नहीं है. जब कांग्रेस थोड़ा बहुत अच्छा कर रही ​होती है, उसी समय कोई न कोई कांग्रेसी नेता ऐसा बयान देता है जो पार्टी की मिट्टी पलीट कर दें. ऐसा ही कुछ बयान दिया है सैम पित्रोदा ने. उन्होंने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक को गलत कदम बताते हुए कहा कि किसी भी हमले के लिए पूरे देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उसके इस बयान के बाद एनडीटीवी इंडिया के एंकर और राजनीति विशेषज्ञ अखिलेश शर्मा ने उन्हें कांग्रेस के दूसरे मणिशंकर अय्यर की संज्ञा दी है. उन्होंने एक टविट करते हुए कहा, ‘जैसे ही मणिशंकर अय्यर की कमी महसूस होने लगी, सैम पित्रोदा ने उस कमी को पूरा कर दिया.’

दरअसल पूर्व केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर भी अपने इन्हीं विवादित बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं. अय्यर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कहने पर कांग्रेस ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था. अय्यर पूर्व में लोकसभा और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. साथ ही वो मनमोहन सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे।

अय्यर के पदचिन्हों पर चलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेसी नेता सैम पित्रोदा ने भाजपा पर एयर स्ट्राइक का चुनावों में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए बयान दिया कि एयर स्ट्राइक का फैसला सही नहीं था. पूरा पाक दोषी नहीं है. मुंबई हमले के लिए भी पूरा पाक दोषी नहीं है. किसी भी हमले के लिए पूरे देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. ऐसे में भाजपा सरकार का एयर स्ट्राइक का फैसला सही नहीं था.


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सैम पित्रोदा के इस बयान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित वित्त मंत्री अरूण जेटली, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद सहित कई नेताओं ने आलोचना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि ‘विपक्ष लगातार हमारी सेनाओं का अपमान कर रहा है. मैं इस देश के लोगों से अपील करता हूं कि वो विपक्ष द्वारा दिए जा रहे इस तरह के बयानों पर सवाल करें.’

सैम पित्रोदा के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए ट्विट किया है ‘विपक्ष लगातार हमारी सेनाओं का अपमान कर रहा है. मैं इस देश के लोगों से अपील करता हूं कि वो विपक्ष द्वारा दिए जा रहे इस तरह के बयानों पर सवाल करें’

वहीं अरूण जेटली ने कहा कि जैसा गुरू वैसा चेला. कांग्रेस को केवल देशद्रोही बोल पसंद हैं। एयर स्ट्राइक से केवल कांग्रेस और पाकिस्तान को ही दर्द हुआ. मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि आज पाकिस्तान टीवी पर सैम पित्रोदा की टीआरपी काफी उपर होगी.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि सैम पित्रोदा, आपकी टिप्पणी देखकर मैं स्तब्ध हूं. आपके और आपके संरक्षक जैसे कुछ को छोड़कर पूरी दुनिया हमारे साथ आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई में साथ है।.

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थक राहुल गांधी के अहम सहयोगी सैम पित्रोदा ने आज खुल कर पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति दिखाई है. आज जब पूरा विश्व आतंकवाद के गढ़ पाकिस्तान के ख़िलाफ़ है तो वहीं कोंग्रेस पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति दिखा कर हमारी सेना की बहादुरी और शहीदों का अपमान कर रही है.

‘पुलवामा के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं, एयर स्ट्राइक गलत फैसला’

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ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने पुलवामा अटैक पर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक का भाजपा सरकार का फैसला गलत बताते हुए चुनावों में इस्तेमाल होने वाला एक हथकंड़ा बताया है. उन्होंने कहा कि पूरा पाक दोषी नहीं है. किसी हमले के लिए पूरे देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और एयर स्ट्राइक का फैसला सही नहीं था. साथ ही उन्होंने एयर स्ट्राइक के सबूत और हमले में मारे गए लोगों की संख्या पूछी है. उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई हमले के लिए भी पूरा पाक दोषी नहीं है.

एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में पित्रोदा ने कहा, ‘अगर एयरफोर्स ने तीन सौ लोगों को मारा तो ठीक है. क्या इसके तथ्य और सबूत दिए जा सकते हैं? भारत के लोगों को जानने का अधिकार है कि एयर फोर्स ने पाकिस्तान में कितनी तबाही मचाई और उसका क्या फर्क पड़ा. हमें ज्यादा भावुक होने की जरूरत नहीं है क्योंकि डेटा निष्पक्ष होता है.’


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सैम पित्रोदा के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए ट्विट किया है ‘विपक्ष लगातार हमारी सेनाओं का अपमान कर रहा है. मैं इस देश के लोगों से अपील करता हूं कि वो विपक्ष द्वारा दिए जा रहे इस तरह के बयानों पर सवाल करें.’

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने टविट का जवाब देते हुए कहा है, ‘सैम पित्रोदा ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे, भारत की सेना का मनोबल गिराने का काम किया है वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि राहुल गाँधी के चुनावी सलाहकार है.’

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी पित्रोदा के बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘म पित्रोदा का आज का बयान ये दिखलाता है कि हमने जो किया वो गलत था। जबकि ऐसा तो विश्व के किसी देश, यहां तक की OIC ने भी नहीं कहा, केवल पाकिस्तान ने ये बात कही। पित्रोदा का आज का ये बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.’

बिहार: महागठबंधन में शामिल दलों के बीच हुआ सीटों का हुआ बंटवारा

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बिहार में आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पुर्वे ने महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा कर दिया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुर्वे ने बताया कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल 20, कांग्रेस 9 और रालोसपा 5 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. ‘हम’ पार्टी को 3 सीटें दी गई हैं. उन्होंने जानकारी दी कि आरजेडी की विभा देवी नवादा, हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी गया, रालोसपा के भूदेव चौधरी जमुई और शरद यादव आरजेडी के चुनाव चिन्ह से मैदान में उतरेंगे.

‘पॉलिटॉक्स’ ने 20 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट में यह बता दिया था कि महागठबंधन में शामिल दल कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि कांग्रेस की ओर से 11 सीटें मांगने पर सीटों का बंटवारा अटक गया था. कांग्रेस के इस रुख पर तेजस्वी यादव ने नाराजगी जाहिर करते हुए इशारों में निशाना साधा था. सूत्रों के अनुसार सीट बंटवारे का फॉर्मूला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच मंगलवार को फोन पर हुई बातचीत के बाद निकला है.

राहुल और तेजस्वी ने यह माना कि अलग-अलग चुनाव लड़ने से भाजपा को सीधा फायदा होगा और विपक्ष का सूपड़ा साफ हो जाएगा. एक चर्चा यह भी रही कि महागठबंधन में सीटों के बटवारे पर गतिरोध को दूर करने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 11 सीटों का हठ छोड़ 9 सीटों पर सहमति देने के लिए तैयार किया.


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गौरतलब है कि एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो चुका है. भाजपा के हिस्से में पटना साहिब, पाटलीपुत्र, साराण, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, मधुबनी, बेगुसराय, उजियारपुर, पूर्वी चंपारण, शिवहर, दरभंगा, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, अररिया, महाराजगंज और सासाराम सीट आई है जबकि जेडीयू के खाते में सुपौल, किशनगंज, कटिहार, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, सीतामढ़ी, जहानाबाद, काराकाट, गया, पूर्णिया, मधेपुरा, बाल्मिकीनगर, मुंगेर, बांका, झांझरपुर और नालंदा सीटें आई हैं.

वहीं, एलजेपी के उम्मीदवार वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, नवादा और जमुई से मैदान में उरतेंगे. काबिलेगौर है कि बिहार में भाजपा और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि एलजेपी के हिस्से 6 सीटें आई हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए बिहार की 31 सीटें जीतने पर कामयाब हुआ था, पर उस वक्त जेडीयू एनडीए का हिस्सा नहीं था. भाजपा ने जेडीयू के साथ सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाने के लिए अपनी जीती हुई 5 सीटें छोड़ी हैं.

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