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मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी को लिफाफे में भेजी दो राखी, भड़के मौलाना

भाई-बहन का पवित्र त्यौंहार आगामी 15 अगस्त को देश भर में धूम धाम से मनाने की तैयारी इन दिनों देश भर में चल रहीं हैं. इसी कड़ी में वाराणसी में इस बार राखी का त्यौंहार मुस्लिम महिलाओं के लिए डबल खुशी वाला रहेगा. पिछले लगभग 6 साल से अपने सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राखी भेज रहीं मुस्लिम महिलाओं ने इस बार अपने भाई मोदी के लिए विशेष राखी तैयार की है. मुस्लिम महिलाओं द्वारा वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिफाफे में दो राखी भेजी जा रहीं हैं, एक तीन तलाक मुक्त और दूसरी 370 मुक्त. हालांकि मुस्लिम महिलाओं द्वारा राखी भेजे जाने से उत्तरप्रदेश के कई मौलाना नाराज हो गए हैं. कुछ मुस्लिम मौलानाओं ने इस नेक काम को खूब सराहा है तो कुछ ने इसे ‘सस्ते प्रचार का तरीका’ बताया है.

तीन तलाक जैसी सामाजिक कुप्रथा और देश को तोडऩे वाली अनुच्छेद 370 खत्म होने से पूरा देश की अधिकांश मुस्लिम महिलाएं बहुत खुश हैं, इनकी इसी खुशी का प्रभाव रक्षाबंधन त्योहार पर भी पड़ा है. वाराणसी की मुस्लिम महिलाएं पिछले छः साल से अपने सांसद भाई को राखी भेज रहीं है लेकिन इस बार तीन तलाक और 370 से मुक्ति दिलाकर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इन मुस्लिम बहनों के दिल में एक अलग जगह बना ली है. चूंकि इस बार आजादी के दिन ही रक्षाबंधन उत्सव है, इसलिए तीन तलाक और 370 से आजादी वाली राखी का निर्माण किया गया ताकि सामाजिक कुप्रथा और राष्ट्रीय कलंक से आजादी का अहसास राखी बांधने वाले कर सकें.

राखी बनाने वाली मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि “जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने तीन तलाक जैसी कुप्रथा को खत्म करवाया है, यह नेक काम एक अच्छा भाई ही कर सकता है. अपने भाई के लिए हम बहनें अपने हाथों से राखी बनाकर भेज रही हैं।” अपने हाथों से बनाई राखीयों पर महिलाओं ने मोदी की फोटो भी लगाई है. प्रधानमंत्री मोदी के लिए राखी भेजने वाली इन महिलाओं का कहना है कि, “मोदीजी ने हमारी दयनीय हालत को खत्म किया है. इससे महिलाएं तीन तलाक जैसी कुप्रथा से बच सकती हैं. इसी कारण हम लोगों ने भाई बहन के इस पवित्र त्यौहार पर मोदी जी को राखी भेजी हैं.” राखी बनाने वाली समाजसेवी महिला हुमा का कहना है, “मोदी ने तीन तलाक जैसी कुरीति को खत्म करवाया है, नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद होने के साथ साथ देश की सभी मुस्लिम महिलाओं के बड़े भाई हैं. अपने भाई के लिए हम बहनों ने राखी तैयार की है.”

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महिलाओं ने मोदी पर यकीन जताते हुए कहा कि जैसा अभी तक देश मे अच्छा काम हुआ है, आगे भी ऐसे ही होता रहेगा. तीन तलाक को लेकर खौफ के सवाल पर मुस्लिम महिलाओं ने कहा, “हमारे मन से तीन तलाक का खौफ अब खत्म हो गया है. आने वाले समय में सारा डर भी खत्म हो जाएगा. बुरे वक्त में मोदी जी ने हमारा साथ दिया है, इससे बड़ा काम हम मुस्लिम महिलाओं के लिए और क्या हो सकता है।”

राखी बनाने वाली समाजसेवी हुमा बानो ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर वहां भी बहुत सारे बंधनों से लोगों को मुक्त कराया है. मैं देशभर के लोगो को यह संदेश देना चाहती हूं कि राखी एक पवित्र रिश्ता है. इस बंधन को निभाना है, चाहे वह कश्मीर की बेटी हो या कहीं और की. प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी रक्षा के लिए इतना कुछ किया है, हम मुस्लिम बहनें भी उनकी और देश की रक्षा के लिए जो हो सकेगा, करेंगी।”

तीन तलाक बिल हो या 370, समाज में जब भी चर्चा हुई, कोई न कोई विवाद जरूर सामने आया. एक पक्ष हमेशा ही इसका समर्थन करता रहा तो दूसरा पक्ष इसे लेकर अपना विरोध दर्ज कराता रहा है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष मतीन खान ने मुस्लिम महिलाओं द्वारा मोदी को राखी भेजने पर कहा कि, “आरएसएस का अनुषांगिक संगठन मुस्लिम मंच इस तरह की हरकतें करवा रहा है. वे नकाब और टोपी पहनकर इस तरह की हरकतें करते हैं, जिससे मुस्लिमों में आपस में बगावत हो. इसमें किराये पर लाए गए मुस्लिम भी होते हैं. ये बिकाऊ माल सत्ताधारी लोगों के दबाव में ऐसा काम कर रहे हैं.”

खान ने आगे कहा कि कुछ लोग प्रधानमंत्री को खत भेजेंगे, फिर उसका प्रचार करेंगे. इस तरह की हरकत ये सिर्फ सत्ता के प्रचार के लिए करते हैं. उनमें से राखी भिजवाना भी एक कड़ी है.” दूसरी तरफ ऑल इंडिया महिला मुस्लिम लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा, “राखी भेजने से किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. तीन तलाक जैसी कुप्रथा के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.” उन्होंने कहा, “सबका अपना-अपना नजारिया है, देश में सबको अपनी-अपनी आजादी जाहिर करने का हक है.”

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शाइस्ता अंबर ने आगे कहा कि “हमारे मुल्क में ये सब चीजें होनी जरूरी हैं, इससे हिंदू मुस्लिम एकता और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है. यह हमारी अभिन्न संस्कृति का एक हिस्सा है, यह एक अच्छा कदम है।” वहीं, शैखू आलम साबरिया चिश्चितिया मदरसा के मौलाना इस्तिफाक कादरी ने कहा कि हिंदुस्तान बहुत बड़ा देश है, तीन तलाक नहीं होना चाहिए. इसका लोग गलत इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन मोदी को राखी भेजने का तरीखा सिर्फ दिखावा है. यह राजनीती का एक हिस्सा है, ऐसा लोग सिर्फ अपने प्रचार के लिए करवाते हैं. मुस्लिम महिलाओं के सामने और भी बहुत सारे मसले हैं, हुकूमत को उन पर भी ध्यान देना चाहिए.

मुस्लिम महिलाओं द्वारा वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिफाफे में दो राखी भेजी जा रहीं हैं, एक तीन तलाक से मुक्ति के लिए और दूसरी 370 से मुक्ति के लिए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता इंद्रेश कुमार को तीन तलाक मुक्त राखी भेजी गई वहीं गृहमंत्री अमित शाह को 370 मुक्त और 35ए मुक्त राखी भेजकर अपना भाई होने पर गर्व किया. इसके अलावा कश्मीरियों के लिए मोदी राखी, लद्दाखियों के लिए इंद्रेश राखी, भारतीय सेना के जवानों के लिए सुभाष राखी और रामभक्तों के लिए श्रीराम राखी बनाई गई. प्रधानमंत्री मोदी के लिए अनुच्छेद 370 मुक्त और तीन तलाक मुक्त राखी मुस्लिम बहनों ने बड़े मनोयोग से बनाकर यह संदेश दिया कि हर तीज, त्यौहार, धर्म और रिश्ते से ऊपर है देश से रिश्ता है.

ये 370 के बाद का कश्मीर है…

शायद ही किसी ने सोचा होगा की 5 अगस्त, 2019 की तारीख जम्मू कश्मीर में एक नई सुबह लेकर आएगी. सावन के दूसरे सोमवार की भोर के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर को लेकर राज्यसभा में एक ऐसा एटॉम बम फोडा जिससे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की पूरी राजनीति हिल गयी. अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और धारा 35ए हटाने के साथ कश्मीर के पुनर्गठन का प्रस्ताव सदन में रख दिया. शोर शराबा हुआ, वाद विवाद हुए, नौकझोंक भी हुई लेकिन जो भी हुआ, जम्मू कश्मीर धारा 370 की काली छाया से बाहर आ गया. हालांकि भारत सरकार के इस फैसले से अवगाववाद और आतंकवाद से परिपूर्ण ये राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया. पहला जम्मू कश्मीर और दूसरा लद्दाख. जम्मू कश्मीर में विधानसभा कायम रहेगा जबकि लद्दाख बिना विधानसभा के रहेगा.

खैर, ये सारी कहानी पुरानी है. अब असल कहानी शुरू होती है जो है 370 के बाद की कहानी. सीधे तौर पर कहा जाए तो वर्तमान कश्मीर 370 के बाद का कश्मीर है. एक आदर्श और सपनों का कश्मीर. प्रदेश में धारा 144 लगी हुई है, चहूंओर हथियारों से लैस आर्मी तैनात है लेकिन इन सबके बीच स्कूल जाते बच्चों के चेहरों पर दिख रहा उल्लास का माहौल ये बताता है कि आज उनके मन में डर और खौफ नहीं बल्कि एक राष्ट्र की भावना लहू बनकर बह रही है. एक राष्ट्र की भावना से हमारा मतलब एक संविधान, एक झंडा और एक पहचान चिन्ह है.

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धारा 370 हटने के बाद से यहां भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के वे सभी आदेश और नियम लागू होंगे जो पूरे देश में लागू हैं. इनमें तिरंगा भी शामिल है. कहने का मतलब है कि आजादी के 72 सालों के बाद 2019 में पहली बार जम्मू कश्मीर और लद्दाख में न केवल तिरंगा फहराया जाएगा, साथ ही राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान का सम्मान किया जाएगा. यही नहीं, पूरे जोश खरोश के साथ स्वतंत्रता दिवस भी मनाया जाएगा जिससे यहां के अधिकांश लोग अब तक महरूम रहे.

दरअसल, आजादी के बाद यहां धारा 370 और धारा 35ए लगी हुई थी. भारत के संवैधानिक प्रावधान स्वतः जम्मू तथा कश्मीर पर लागू नहीं होते थे. जम्मू कश्मीर संविधान सभा द्वारा निर्मित राज्य संविधान से वहां का कार्य चलता था. यह संविधान जम्मू कश्मीर के लोगों को राज्य की नागरिकता भी देता था. केवल इस राज्य के नागरिक संपत्ति खरीद सकते या चुनाव लड़ सकते या सरकारी सेवा ले सकते थे. यहां का झंडा भी अलग था. लेकिन आजादी के बाद अब जाकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख एक झंडे और एक संविधान की ओट में आ पाये हैं.

अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख का माहौल पूर्ण रूप से ‘दुनिया का स्वर्ग’ जैसा है. हां, कुछ परेशानियां और कुछ बंदिशें अभी भी हैं लेकिन इतने साल 370 रूपी बेडियां पहने इस राज्य को संभलने में थोडा वक्त तो लगेगा. धारा 370 हटने के बाद भारतीय सेना ने जमीन, पानी और आकाश तीनों जगहों से क्षेत्र पर बराबर नजर रखी हुई है. 15 अगस्त को सभी सावर्जनिक स्थानों, सरकारी भवनों, स्कूल-कॉलेज में जश्न-ए-आजादी की तैयारियां जोरशोर से हो रही है. श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जवानों का फुल ड्रेस में रिहर्सल सच में पूर्ण भारत का एक अधूरा सपना पूरा करने जैसा ही लगता है.

धारा 370 हटने के बाद कश्मीर की आबोहवा भी एक आजादी जैसा अनुभव करती है. भारत सरकार स्थानीय महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाने का वायदा यहां की आवाम से पहले ही कर चुकी है. ये भी एक संयोग ही हैं कि यहां सुरक्षा और अन्य दायित्व भी दो महिलाएं ही निभा रही हैं. पहली हैं 2013 बैच की आईएएस अधिकारी डॉक्टर सैयद सहरीश असगर. वैसे तो उनकी उनकी नियुक्ति जम्मू-कश्मीर प्रशासन में सूचना निदेशक के पद पर हुई है लेकिन कश्मीर में धारा 370 हटने और राज्य के विभाजन के बाद अब उनका काम क्राइसिस मैनेजमेंट का हो गया है. पिछले आठ दिनों से उनकी जिम्मेदारी कश्मीर घाटी में अपने प्रियजनों से हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों की उनसे फोन पर बात कराने या उन्हें डॉक्टरों से मिलवाने की होगी.

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इसी तरह की कहानी श्रीनगर में पढ़ी-लिखी नित्या की है जो 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. उनकी जिम्मेदारी राम मुंशी बाग और हनव दागजी गांव के क्षेत्रों को देखने की है. 40 किलोमीटर के इस संवेदनशील क्षेत्र में न केवल डल झील का क्षेत्र और राज्यपाल का आवास आता है बल्कि यहीं स्थित इमारतों में वीआईपी लोगों को हिरासत में रखा गया है.

ये क्षेत्र लंबे समय से अलगाववाद और आतंकवाद की गिरफ्त में रहा है, ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था पर खास ध्यान दिया जा रहा है. अलगाववाद से जुड़े 8 लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट बैन कराने की भारत सरकार ने सिफारिश की है. ताकि अफवाहों को जगह न मिल सके. जम्मू कश्मीर में मुस्लिम आबादी और सीमा से सटे होने का पूरा फायदा इतने सालों तक पाकिस्तान ने भी बखूबी उठाया है. इसके मद्देनजर भारत सरकार ने कुछ खास कदम उठाए हैं जिससे पाकिस्तानी सेना और वहां के वजीरे आजम इमरान खान के पसीने छूट रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी धारा 370 के मामले में भारत का साथ दिया है. भारत इस मुद्दे पर अमेरिका सहित अन्य किसी की भी मध्यस्थता अस्वीकार कर चुका है. ऐसे में एक नई उम्मीद बंधी है कि अब मोदी सरकार पीओके पर भी जल्द ही कोई फैसला ले सकती है.

क्षेत्र में विकास और अर्थव्यवस्था पर भी मोदी सरकार का पूरा ध्यान है. जल्दी ही एक इन्वेस्टर समिट होने वाला है जिसमें देश के नामी गिरामी करीब 2000 इन्वेटर्स को निमंत्रण दिया गया है. कई अन्य प्रोजेक्ट भी स्वीकृत हैं जिससे यहां के युवाओं के रोजगार मिलेगा. अगर सच में यहां के युवाओं को रोजगार मिलता है और वे अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी दे पाते हैं तो निश्चित तौर पर अलगाववाद, पत्थरबाजी, आतंकवाद और इस तरह की कई गतिविधियों पर रोक लगेगी.

इतना सब हुआ लेकिन खुशी है कि आज जम्मू कश्मीर ‘एक झंडे, एक संविधान’ के बैनर तले आ ही गया है, यहां विकास और उन्नति को कोई रोक नहीं सकेगा. सीधे तौर पर कहा जाए तो ये धारा 370 और 35A हटने के बाद का कश्मीर है जो असल तौर पर अब ‘दुनिया का स्वर्ग‘ बनने की ओर अग्रसर है.

‘दलगत राजनीति से ऊपर थे स्व. भैरोंसिंह शेखावत’- वेंकैया नायडु

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु बुधवार दोपहर विशेष विमान से अपने एकदिवसीय दौरे पर जयपुर पहुंचे जयपुर आगमन पर भाजपा के नेताओं द्वारा एयरपोर्ट पर नायडु का भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद नायडु एयरपोर्ट से सीधे राज्यपाल कल्याण सिंह से मिलने राजभवन पहुंचे, जहां विभिन्न विषयों पर दोनो के बीच चर्चा हुई. राज्यपाल से मुलाकात के पश्चात उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु स्व. भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला में शिरकत करने शहर के बिडला आडिटोरियम पहुंचे.

राजधानी जयपुर के बिडला आडिटोरियम में बुधवार की शाम पूर्व उपराष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में द्वितीय व्याख्यान कार्यक्रम आयोेजित किया गया. इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने शिरकत की एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद ओम माथुर, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया मंच पर मौजूद रहे. इस व्याख्यान कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत के जीवन और उनके साथ बिताये गए राजनैतिक पलों को सभी के साथ साझा कर उन्हे याद किया.

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बिडला आडिटोरियम में आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने पूर्व उपराष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह शेखावत को याद कर कहा की, “स्व. भैरोंसिंह ने अपने राजनैतिक जीवन में संसदीय परम्पराओं और मूल्यों को स्थापित किया जो कि आज के नेेता नहीं करते, आगे नायडु ने कहा कि स्व.भैरोंसिंह के जीवन मूल्यों का मैं भी अनुसरण करता हूं”.

व्याख्यान कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने आगे अपने संबोधन में नेताओं को सीख देते हुए कहा कि राजनिती में एक दूसरे के प्रतिद्वंदी होना सही है, लेकिन किसी को एक दुसरे से शत्रुता नहीं रखनी चाहिए बल्कि एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे तभी तो आगे बढेंगे सभी नेता और पार्टियों का यही मकसद होना चाहिए. स्व. भैरोंसिंह शेखावत सभी दल के नेताओं से रखते थे मित्रता लेकिन इन दिनों राजनीतिक पार्टियों में कटुता आई है. राजनीतिक पार्टियों की कटुता लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है हम सभी का मकसद आम आदमी के जीवन स्तर को उंचा उठाना होना चाहिए.

उपराष्ट्रपति नायडु ने स्व. भैरोंसिह शेखावत के जीवन पर आगे बोलते हुए कहा कि स्व.भैरोसिंह को हमेशा गांव, गरीब, किसान के लिए बडी चिंता होती थी. स्व. भैरोंसिंह हमेशा आम जनता के बीच रहना पसंद करते थे, वो एक जमीन से जुडे हुए नेता थे. वो हमेशा किसान के हित कि बात करते थे और किसान के लिए चिंतित रहते थे. वो एक जन साधारण के नेता थे. इसीलिए विधायक, फिर मुख्यमंत्री से लेकर उपराष्ट्रपति पद तक पहुंच पाये.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि व राज्यसभा सांसद ओम माथुर सहित राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी.

अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में कुपोषण पर क्या बोले पायलट

उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज अपने विधानसभा क्षेत्र  टोंक के दौरे पर रहे जहां बम्बोर गांव में आयोजित टाटा ट्रस्ट की ओर से राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत कार्यक्रम में शिरकत की कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री पायलट ने ट्रस्ट की ओर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. साथ ही राजस्थान के पांच जिलों में उत्कर्ष कार्य करने वाल सरपंच और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया इसके साथ ही पायलट ने सम्बोधित करते हुए कहा कि कुपोषण ना तो किसी राजनैतिक दल का अब तक मुद्दा रहा है, ना ही किसी सरकार का कुपोषण पर दल और सत्ता से दूर हटकर मंथन और बहस की जरूरत है. आखिर क्यों देश में कुपोषण बढ़ता जा रहा है. आखिर क्यों देश में कुपोषण बढ़ रहा है. आखिर गरीबी में जीने वाले परिवार ही क्यों कुपोषण का शिकार हो रहे है. ऐसे कई सवाल है जिन पर बहस होना चाहिए. इन सवालों के जवाब मिलना चाहिए टाटा ट्रस्ट की ओर से कार्यक्रम चलाया जा रहा है, वो वाकई सराहनीय है. इस दौरान पायलट ने बिजली कनेक्शनों के अभाव में सुविधाओं के लिए जूझ रही आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली कनेक्शन लगवाने का वादा भी किया और सबसे पहले शुरूआत टोंक जिले से करने की बात कही.

स्व. भैरोंंसिंह शेखावत के व्यक्तित्व पर क्या बोले ओम माथुर

राजधानी जयपुर के बिडला आडिटोरियम में 14 अगस्त की शाम पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में द्वितीय व्याख्यान कार्यक्रम आयोेजित किया गया. इस व्याख्यान कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत के साथ बिताये गए राजनैतिक अनुभव को सभी के साथ साझा कर उन्हें याद किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु, विशिष्ट अतिथि व राज्यसभा सांसद ओम माथुर सहित राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी.

पाकिस्तान के बालाकोट में बम बरसाने वाले 6 पायलट होंगे सम्मानित, अभिनंदन को ‘वीर चक्र’

पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल एयर स्ट्राइक को अंजाम देने वाले वायुसेना के 6 जाबाज पायलटों को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा. 5 पायलट को वायुसेना मैडल नवाजा जाएगा. वायुसेना के ये सभी जांबाज पायलट मिराज 2000 विमान उड़ा रहे थे. वहीं विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को वीर चक्र दिया जाएगा. अभिनंदन ने पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था. बता दें, ‘वीर चक्र’ वीरता का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है जो उन जवानों को दिए जाते हैं जो असाधारण साहस और बहादुरी का परिचय देते हैं.

कौन है अभिनंदन
27 फरवरी को भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को खदेड़ने के दौरान हवा में हुई लड़ाई में अभिनंदन का मिग-21 बाइसन विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर गिर गया और अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था. अभिनंदन करीब 72 घंटे तक पाकिस्तान की कैद में रहे. पहले पाकिस्तान अभिनंदन को रिहा करने के मूड में नहीं थी लेकिन भारत के दबाव और आक्रमक रवैया भांपते हुए पाकिस्तान ने विंग कमाडंर को एक मार्च को देर रात रिहा किया. करीब चार महीने बाद हाल ही में अभिनंदन ने फिर से वायुसेना ज्वॉइन की है.

वायुसेना मैडल से सम्मानित होने वाले पायलट

  • विंग कमांडर अमित रंजन
  • स्क्वाड्रन लीडर राहुल बसोया
  • पंकज भुजाडे
  • बीकेएन रेड्डी
  • शशांक सिंह

संस्कृत दिवस पर ये बोले अशोक गहलोत

संस्कृत दिवस पर जयपुर के रविंद्र मंच पर आयोजित एक कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिरकत की. मंच को संबोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि संस्कृति भाषा कई भाषाओं की जननी है. हमें गर्व होना चाहिए कि कई भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा का उद्गम हमारे देश में हुआ है. संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो न केवल समृद्ध है बल्कि इसका डिजिटलाइलेशन भी हो रहा है. संस्कृत भाषा कभी खत्म न होने वाला ज्ञान का एक अथाह भंडार है.

‘मोदी के पास नहीं नेहरू या पटेल जैसा ज्ञान, कोई मुझे गोली मार सकता है’- ओवैसी

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कश्मीर के हालातों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है. ओवैसी ने 370 और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन पर मोदी सरकार के फैसले पर नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू या लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह राजनीतिक ज्ञान नहीं है” ओवैसी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को सिर्फ कश्मीरियों की जमीन से प्यार है, कश्मीरियों से नहीं.

जम्मू-कश्मीर मामले में विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साधे हुए है. इसी कड़ी में बुधवार को AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू या लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह राजनीतिक ज्ञान नहीं है. सरदार पटेल और पंडित नेहरू ने कश्मीर को लेकर जो फैसला लिया था, वो राष्ट्र के हित में था.” ओवैसी ने अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मोदी और अमित शाह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों को मानने का दावा करते हैं, जबकि उन्हें खुद ही नहीं पता कि डॉ. मुखर्जी ने भी अनुच्छेद 370 को मान्यता दी थी.”

ओवैसी ने सरकार की कश्मीर नीति के खिलाफ बोलते हुए कहा कि “फिलहाल घाटी में इमर्जेंसी जैसे हालात हैं, वहां ना तो फोन चालू हैं और ना ही लोगों को बाहर निकलने की आजादी दी जा रही है. सांसद ओवैसी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है, वो लोग खुद देश विरोधी हैं, जो मुझे एंटी नेशनल कहते हैं. कश्मीर में तुरंत ही धारा 144 हटाई जानी चाहिए.”

ओवैसी से जब पूछा गया कि उनपर इस तरह के आरोप लग रहे हैं कि उनके भाषण से पाकिस्तान को मदद मिल रही है. इस पर ओवैसी ने कहा कि मुझे यकीन है कि एक दिन मुझे कोई गोली भी मार देगा. मुझे यकीन है कि जो गोडसे की औलाद हैं, वो ऐसा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि “देश में अभी कई गोडसे की औलादें हैं और कोई मुझे गोली भी मार सकता है.”

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि “मैं एक सांसद हूं लेकिन अरुणाचल प्रदेश या लक्षद्वीप जाने के लिए मुझे इजाजत लेनी पड़ती है. क्या मैं असम में जमीन खरीद सकता हूं? उन्होंने कहा कि मैं नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, असम और हिमाचल प्रदेश के लोगों से कहता हूं कि उनके साथ भी ऐसा ही हो सकता है, जो कश्मीर के साथ हुआ है.”

इससे पहले AIMIM प्रमुख ओवैसी ने तमिल सुपरस्टार रजनीकांत के बहाने भी पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर तंज कसा. उन्होंने कहा, “आर्टिकल 370 के लिए तमिलनाडु के अभिनेता (रजनीकांत) पीएम मोदी और अमित शाह को ‘कृष्ण और अर्जुन’ कह रहे हैं, ऐसी स्थिति में फिर कौरव और पांडव कौन हैं? क्या आप देश में एक और महाभारत चाहते हैं.”

गौरतलब है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रशंसा की थी और उन्हें महाभारत के कृष्ण और अजुर्न की संज्ञा दी थी. रजनीकांत के इसी बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुटकी ली.

पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में सभी आरोपी बरी, अलवर जिला कोर्ट ने सुनाया फैसला

PoliTalks news

अलवर जिले के बहुचर्चित मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) केस पहलू खान हत्याकांड में एडीजे कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. सेशन कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. जज सरिता स्वामी ने संदेश का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया. मामला 2017 का है. कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही.

गौरतबल है कि एक अप्रैल, 2017 को हरियाणा के नूह मेवात जिले के जयसिंहपुरा गांव निवासी पहलू खान अपने बेटों के साथ जयपुर के पशु हटवाड़ा से गौवंश लेकर अलवर जा रहा था. बहरोड़ में गौतस्करी के संदेह के चलते कुछ लोगों ने पहलू खान और उसके दोनों बेटों उमर व ताहिर की जमकर पिटाई की जिसमें पहलू खान गंभीर रूप से घायल हो गया. 4 अप्रैल को अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.

मॉब लिंचिंग मामले में सीबीसीआईडी ने नामजद सुधीर यादव, हुकमचंद यादव, ओम यादव, नवीन शर्मा, राहुल सैनी और जगमाल सिंह सहित 6 व्यक्तियों को आरोपी नहीं माना था. उनकी जगह वीडियो फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 9 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं. पुलिस ने विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार, दीपक गोलियां और भीमराठी के साथ दो नाबालिगों को भी आरोपी बनाया था. फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं.

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मामले में स्वामी ने कहा कि जो वीडियो अदालत में पेश किया गया है, उसमें आरोपियों का चेहरा साफ नहीं दिख रहा. वीडियो बनाने वाला शख्स भी अपने बयान से मुकर गया. ऐसे में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाए. मामले में पहलू खान के बेटों की गवाही को भी तवज्जो नहीं मिल पायी.

बता दें, राज्य में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए हाल में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग पर कठोर कानून वाले विधेयक को पास कराया है. अब राजस्थान मॉब लिचिंग कानून बनाने वाला मणिपुर के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है. राजस्थान में मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 16 जुलाई को बजट भाषण के जवाब के दौरान मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग को रोकने के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी.

प्रियंका के सहयोगी ने की पत्रकार के साथ मारपीट

उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा के सहयोगी संदीप सिंह के खिलाफ सोनभद्र जिले के घोड़ावल पुलिस थाने में पत्रकार के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करने का मामला दर्ज हुआ है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. बताया जाता है कि प्रियंका मंगलवार को सोनभद्र जिले की यात्रा पर थीं.

उनभा गांव में एक टीवी पत्रकार कैमरामैन के साथ उनके पास पहुंचा और धारा 370 के बारे में पूछने लगा. प्रियंका ने बात करने से इनकार किया तो पत्रकार कुछ न कुछ कहने के लिए जोर देने लगा. इस पर प्रियंका के सहयोगी संदीप सिंह को गुस्सा आ गया. उसने पत्रकार और कैमरामैन के साथ मारपीट शुरू कर दी और धक्कामुक्की करते हुए उन्हें अलग धकेल दिया. साथ ही उसने धमकी दी कि इस तरह सवाल-जवाब करोगे तो नतीजा ठीक नहीं होगा.

संदीप सिंह को प्रियंका का निजी सचिव बताया जाता है. इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. घोड़ावल पुलिस थाने के एसएचओ जीपी पांडे ने कहा कि मामले की जांच चल रही है.

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