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जयपुर में दंगा भड़काने की साजिश नाकाम

राजस्थान की राजधानी जयपुर में पिछले तीन दिनों से सांप्रदायिक दंगा भड़काने के प्रयास चल रहे हैं. सोमवार 12 अगस्त को रामगंज इलाके में कुछ कांवड़ियों के माध्यम से उपद्रव शुरू हुआ. कांवड़ियों के जयकारों से भड़ककर कुछ शरारती तत्वों ने पत्थर फेंके. झड़प हुई. मामला शांत हो गया. रात साढ़े दस बजे के बाद ईदगाह के पास सड़क पर कुछ उपद्रवी प्रकट हुए और उन्होंने दिल्ली जाने वाली बसों और अन्य वाहनों पर पथराव शुरू कर दिया. वे राहगीरों को रोककर नाम पूछकर मारपीट करने लगे. इसके बाद मंगलवार रात गंगापोल इलाके में सोमवार रात की तरह साढ़े दस बजे रावलजी चौराहे पर दंगा फैलाने का प्रयास शुरू हो गया. दो पक्ष आमने-सामने हुए. झगड़ा हुआ, पथराव हुआ, वाहनों में तोड़फोड़, दुकानों में लूटपाट शुरू हो गई.

सोमवार रात और दूसरे दिन मंगलवार को उसी तय समय पर गंगापोल में यह अचानक हुआ घटनाक्रम था. जबकि कहीं से कोई उकसावा नहीं था. सोमवार को ईद का त्योहार था. दिन भर सांप्रदायिक सद्भाव के साथ परंपरागत तरीके मनाया गया. राजस्थान में धारा 370 जैसा कोई लफड़ा भी नहीं है. तनाव जैसी कोई बात ही नहीं थी. सुबह कांवड़ियों पर पथराव के घटना के बाद पुलिस को सतर्क रहना चाहिए था, वह नहीं रही और दोनों रात अपनी आदत के मुताबिक घटनाक्रम प्रारंभ होने के एक घंटे बाद मौके पर पहुंची. इस दौरान शहर के ज्यादातर जन प्रतिनिधियों का रवैया हास्यास्पद और शर्मनाक रहा. चुनाव के समय जनता के सामने गिड़गिड़ाने वाले ये नेता सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच सकते थे, लेकिन आदर्श नगर विधायक रफीक खान के अलावा और कोई नहीं पहुंचा.

सोमवार रात एक ही जगह उपद्रव हुआ था. मंगलवार रात दो अलग-अलग गुटों ने दो जगह उपद्रव शुरू किया. 10.30 बजे रावलजी के चौराहे पर और 11.20 बजे बदनपुरा में. दोनों जगह दंगे भड़काने का एक ही तरीका था. पांच उपद्रवी दस-पंद्रह स्थानी उपद्रवियों को साथ में लेकर हंगामा शुरू करते हैं. भीड़ जुट जाती है और वह भीड़ उकसावे के बाद बर्बर हो जाती है. सोमवार रात ईदगाह रोड पर दंगाइयों के निशाने पर राहगीर थे. दिल्ली बाईपास से गुजरने वाले वाहनों को उन्होंने निशाना बनाया. मंगलवार रात गंगापोल में उन्होंने उपद्रव को विस्तार देते हुए वाहनों में तोड़फोड़ के साथ ही दुकानों को निशाना बनाया. दंगाइयों की भीड़ रावजी चौराहे पर अनियंत्रित हुई और देखते ही देखते गंगापोल, सुभाष चौक की तरफ फैल गई. पुलिस ने पहुंचकर आधा घंटे में भीड़ को तितड़ बितर कर दिया. इसके लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े.

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जब दंगाई गंगापोल में दंगा भड़काने में सफल नहीं रहे तो नजदीकी इलाके बदनपुरा के शांति कालोनी, जयंती कालोनी आदि मोहल्लों में उपद्रव शुरू हो गया. अब तक दंगाई पथराव और तोड़फोड़ ही कर रहे थे. जयंती कालोनी में दंगाइयों ने धारदार हथियार भी निकाल लिए. शांति कालोनी में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ. कई लोग मामूली रूप से घायल हुए. यह दिल्ली बायपास से सटा इलाका है और नजदीक ही खोले के हनुमानजी का मंदिर है. हालांकि पुलिस ने दंगाइयों पर काबू करने में काफी मशक्कत की और देर रात पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो चुका था, लेकिन आम लोगों में दहशत का आलम पसर चुका था. बहरहाल शहर के 15 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई है. अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है. गश्त जारी है. इस तरह जयपुर में लगातार दूसरे दिन दंगा भड़काने का प्रयास विफल रहा.

सोमवार रात के बाद मंगलवार रात को भी दंगा भड़कने से साफ था कि कुछ लोग शहर का माहौल खराब करने में जुटे हैं, फिर भी यहां के तमाम जनप्रतिनिधि लापरवाह और उदासीन दिखे, जैसे कि उनका इस घटनाक्रम से कोई लेना देना ही न हो. एक अखबार के संवाददाता ने छह लोगों को फोन किया था. हवामहल विधायक महेश जोशी को रात 12.28 बजे फोन किया, तो उन्होंने नहीं उठाया. दूसरी बार फोन करने पर कहा कि तबीयत ठीक नहीं थी, सो गया था. बताओ क्या हुआ? दंगा भड़कने की सूचना दी तो उन्होंने कहा कि पुलिस फोर्स लगा तो रखी है. चिंता न करें. इसके बाद शायद वह सो गए होंगे.

किशनपोल के विधायक अमीन कागजी को फोन किया तो बोले, खास मीटिंग में हैं. फिर फोन किया तो बताया कि सुभाष चौक थाने पर हैं. इसके बाद 15 बार फोन नहीं उठाया. 16वीं बार उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई बात नहीं करनी. वहीं पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को रात 11.21 बजे फोन किया और हालात बताए तो उन्होंने कहा, हां, सूचना मिली है. जैसी सरकार वैसा माहौल है. मैं कमिश्नर से बात करता हूं. 11.46 बजे फोन कर बताया कि पुलिस अब तक नहीं पहुंची, तो चतुर्वेदी ने कहा, एसपी जल्दी ही पहुंचेंगे.

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रात 11.27 बजे सिविल लाइंस क्षेत्र के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास को फोन किया तो उन्होने कहा कि चिंता मत करो, सब्र करो. मेरी पुलिस कमिश्नर से बात हो गई है. कुछ ही देर में पुलिस पहुंच रही है. तो वहीं विधायक अशोक लाहोटी तो दो कदम आगे निकले, अशोक लाहोटी को 11.23 बजे फोन किया, तो उन्होंने पहले घटनाक्रम की जानकारी प्राप्त की, फिर कहा, चिंता मत करो, मैं अभी पुलिस से बात करता हूं. फोर्स भेजने को कहता हूं. इसके बाद उनसे फोन पर बात नहीं हो पाई. शायद मोबाइल ऐरोप्लेन मोड ओर चला गया होगा.

इन सबसे अलग आदर्श नगर विधायक रफीक खान को जब 11 बजे उपद्रव की सूचना मिली तो वह तत्काल दिल्ली बाईपास पहुंच गए थे. उन्होंने पुलिस और दोनों समुदायों के लोगों से बातचीत की. लोगों को घर लौट जाने के लिए समझाते रहे. रात दो बडे शांति व्यवस्था बहाल होने के बाद वह घर लौटे. रफीक खान के अलावा शहर के पांच नेता, जिनमें एक भाजपा के और चार कांग्रेस के हैं, टालमटोल करते ही दिखे. क्या इन जन प्रतिनिधियों के मन में नहीं आया कि दंगा भड़क रहा है तो उन्हें तुरंत मौके पर पहुंचना चाहिए? क्या आजकल के जन प्रतिनिधि सिर्फ बयानबाजी और विरोधी पार्टी की आलोचना के दम पर ही राजनीति करेंगे? इन्हें जनता के सुख-दुख से कोई लेना-देना है या नहीं?

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जम्मू कश्मीर पर राज्यपाल मलिक का बयान, कहा – फोन और इंटरनेट दुश्मनों के लिए हथियार

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि फोन और इंटरनेट देश के दुश्मनों के लिए एक हथियार है जिसे हम अपना ही गला काटने के लिए उन्हें ये पकड़ा नहीं सकते. उन्होंने घाटी में इंटरनेट सुविधा बंद करने के सवाल पर ये बात कही. उन्होंने कहा है कि 15 अगस्त के बाद पाबंदियों में ढील देना शुरू करेंगे. कश्मीर से धीरे धीरे पाबंदिया हटेंगी. मलिक ने ये भी बताया कि जम्मू कश्मीर में चुनाव होने में एक साल लग सकता है.

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मलिक ने ये भी कहा कि विदेशी मीडिया कुछ जगहों पर पत्थबाजी और हिंसक प्रदर्शनों की खबरें दिखा रहे हैं जो पूरी तरह झूठी हैं. उर्स पर उमड़ी भीड़ को वे उपद्रव और न जाने क्या क्या बता रहे ​हैं. वहीं राहुल गांधी के कश्मीर आने के मुद्दे पर सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने कभी भी राहुल गांधी को कश्मीर आने का न्योता नहीं दिया. उन्हें कश्मीर पर समझ दुरुस्त करने को बोला था.

कांग्रेस के पोस्टर्स में नेहरू-इंदिरा की जगह अब प्रियंका-रॉबर्ट वाड्रा

सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष बनने पर पार्टी मुख्यालय के बाहर बधाई वाले पोस्टर लगाये गए हैं. सामान्य दिखने वाले इन पोस्टर्स में गौर करने वाली दो प्रमुख बातें है. पहली बात ये कि इन पोस्टर्स में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के साथ-साथ उनके पति रॉबर्ट वाड्रा की फोटो भी लगी हुई है और दूसरी बात ये कि आमतौर पर इससे पहले तक कांग्रेस के पोस्टरों पर जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की तस्वीरें छपी रहती थीं. इन पोस्टर्स पर श्रीमती सोनिया गांधी जी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने पर हार्दिक बधाई लिखा हुआ है. प्रमुख समाचार एजेंसी ANI ने यह पोस्टर्स दिखाए हैं.

गौरतलब है कि, लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. करीब दो महीने तक कांग्रेस अध्यक्षविहीन रही और पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर विपक्षी दल भी आरोप लगाते थे कि जिस पार्टी का अध्यक्ष न हो वो लोगों की बातों को कैसे रखेगा. करीब ढाई महीने की कशमकश के बाद कांग्रेस को अध्यक्ष मिला लेकिन अंतरिम अध्यक्ष. सीडब्ल्यूसी की बैठक में कई नेताओं के नामों पर चर्चा हुई, लेकिन किसी भी नाम पर सब एक राय नहीं हो सके और कांग्रेस की सत्ता एक बार फिर गांधी परिवार के हाथों में आ गई. सीडब्लूसी में सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया.

बात करें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की तो इससे पहले हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में उन्हें चुनाव लड़ने का आग्रह करते हुए पोस्टर लगे थे. इसके अलावा राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय(ED) के कार्यालय के बाहर भी पोस्टर लगे थे, जिसमें प्रियंका और राहुल के साथ-साथ वाड्रा की फोटो थी. ईडी उनसे बीकानेर जमीन घोटाले में पूछताछ कर रही थी, तभी ये पोस्टर लगे थे. ठीक इसी तरह के पोस्टर दिल्ली-एनसीआर में लगे थे. इसमें लिखा था कट्टर सोच नहीं, युवा सोच. इस पोस्टर में भी प्रियंका और राहुल के साथ वाड्रा की फोटो थी.

राजस्थान से राज्यसभा में कांग्रेस का खुलेगा खाता, मनमोहन सिंह होंगे सांसद

राजस्थान में मदनलाल सैनी के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज नामांकन दाखिल किया. राजस्थान से डॉ मनमोहन सिंह का राज्यसभा जाना तय हो गया है, क्योंकि भाजपा ने अपना उम्मीदवार उपचुनाव में उतारने से मना कर दिया है. ऐसे में मनमोहन सिंह का निर्विरोध चुना जाना तय है.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया. इसके लिए वे मंगलवार सुबह जयपुर पहुंचे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे. डॉ सिंह ने राजस्थान विधानसभा पहुंच कर अपना नामांकन दाखिल किया. इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास सहित कई मंत्री और विधायक मौजूद रहे.

राजस्थान में कांग्रेस के पास अपने 100 विधायकों के अलावा निर्दलीय, बसपा और बीटीपी सहित 122 विधायकों का समर्थन हासिल है. बसपा सुप्रीमो मायावती राजस्थान विधानसभा में अपने विधायकों के जरिए डॉ.मनमोहन सिंह का समर्थन पहले ही कर चुकी है. मंगलवार शाम को राजस्थान में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने घोषणा की कि भाजपा राज्यसभा के होने वाले उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, इसके साथ ही डॉ मनमोहन सिंह का राज्यसभा में जाना तय हो गया है.

इससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह पहले असम से राज्यसभा सांसद थे. उनका कार्यकाल जून में समाप्त हो चुका है. डॉ मनमोहन सिंह को तमिलनाडु से राज्यसभा में भेजने की तैयारी चल रही थी, लेकिन वहां कांग्रेस की सहयोगी पार्टी द्रमुक ने खाली राज्यसभा सीट पर वाइको को चुने जाने का वादा कर लिया था, इसलिए मनमोहन सिंह को तमिलनाडु से राज्यसभा में नहीं भेजा जा सका. तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने राज्यसभा की तीन-तीन सीटें जीती हैं.

इसके साथ ही राज्यसभा में राजस्थान से कांग्रेस का खाता भी खुल जायेगा. बता दें, पॉलिटॉक्स ने आज सबसे पहले दोपहर12 बजे ही खबर ब्रेक कर दी थी कि बीजेपी राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी और राजस्थान से डॉ मनमोहन सिंह का राज्यसभा जाना तय है.

राहुल गांधी की घाटी में घूमने की आजादी की मांग को राज्यपाल ने किया खारिज

राहुल गांधी की विपक्ष के नेताओं को घाटी का दौरा करने की इजाजत वाली मांग को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खारिज कर दिया है. जम्मू-कश्मीर राजभवन ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि विपक्षी पार्टी के नेताओं के दौरे से घाटी में समस्याएं और बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

राहुल गांधी ने लिखा, हमें विमान की आवश्यकता नहीं है लेकिन यह सुनिश्चित करें कि हमें वहां के लोग, नेताओं और सैनिकों से मिलने दिया जाएगा। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कश्मीर में हिंसा की खबर होने संबंधी टिप्पणी के बारे में कहा था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को घाटी का दौरा कराने और जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वह विमान भेजेंगे।

दरअसल, जम्मू कश्मीर के हालातों पर राहुल गांधी और गर्वनर सत्यपाल मलिक के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. सत्यपाल मलिक के एक बयान का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया की, ‘प्रिय राज्यपाल मलिक, आपके विनम्र निमंत्रण पर मैं विपक्षी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर जम्मू कश्मीर व लद्दाख की यात्रा पर जाऊंगा, उसके लिए हमें विमान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कृपया हमे वहां रह रहे लोगों, नेताओ और हमारे सैनिकों से मिलने और घूमने की आजादी दे दें.’

इससे पहले शनिवार को राहुल गांधी ने जम्मूकश्मीर के हालातों पर चिंता करते हुए कहा था, ‘जम्मू कश्मीर से हिंसा की कुछ खबरें आयी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारदर्शी तरीके से इस मामले पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए. मैं सरकार से जम्मू-कश्मीर में प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने और गोपनीयता के पर्दा उठाने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह करता हूं.’

इस पर राहुल गांधी को जवाब देते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं आपको यहां आने के लिए न्यौता देता हूं. मैं आपके लिए विमान भेजूंगा ताकि आप स्थिति का जायजा लीजिए और तब बोलिए. आप एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं और आपको ऐसे बात नहीं करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने में कोई सांप्रदायिक दृष्टिकोण नहीं है. हालांकि ताजा जारी बयान में राहुल गांधी के कश्मीर दौरे की इजाजत न देकर मलिक ने शांतिपूर्ण माहौल पर ध्यान केंद्रित रखने का मन बनाया है.

मंगलवार को जम्मू कश्मीर राजभवन से एक बयान जारी हुआ है. इसमें राहुल गांधी से कश्मीर मुद्दे पर राजनीति न करने को कहा गया है. साथ ही उसमें ये भी कहा है कि प्रतिनिधिमंडल और विपक्षी पार्टी के नेताओं के दौरे से समस्याएं और बढ़ेगी और स्थानीय लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा. एक तरीके से देखा जाए तो राहुल गांधी को जम्मू कश्मीर न आने के लिए सीधे तौर पर कहा जा रहा है.

अब प्रताप सिंह खाचरियावास का दावा “हम भी है श्री राम के वंशज”

राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि हम भी भगवान राम के वंशज है. मैं कछवाहा हूं और हम कुश की संतान है. इससे पहले जयपुर की दीया कुमारी ने दावा किया था कि हम भगवान राम के वंशज हैं. जयपुर की गद्दी भगवान राम के पुत्र के कुछ वंशजों की राजधानी है. राजपरिवार के पोथी खाने में इससे संबंधित दस्तावेज मौजूद हैं. वहीं मेवाड़ के पूर्व राजघराने ने दावा किया है कि वे कुश के भाई लव के वंशज हैं, महेन्द्र सिंह ने कहा कि श्रीराम के पुत्र लव ने लव-कोट (लाहौर) की स्थापना की थी, जो कि अब पाकिस्तान में है, समय गुजरने के साथ ही लव के वंशज आहाड़ पहुंचे थे, जो मेवाड़ का पुराना नाम है. बता दें, राम-जन्म भूमि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में जज साहब ने शुक्रवार को रामलला के वकील से पूछा था कि क्या भगवान राम का कोई वंशज अयोध्या में है या नहीं. उसके बाद ये दावे आने शुरू हो गए हैं.

प्रियंका ने निभाया वादा, सरकार ने बताया राजनीतिक स्टंट

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज दुबारा साबित किया कि वो जो वादा करतीं हैं, उसे निभाती भी हैं. प्रियंका गांधी ने 20 जुलाई को चुनार किले में उम्भा गांव के पीड़ित परिवारों के सदस्यों से वादा किया था कि – “मैं उनके गांव आऊंगी” और प्रियंका गांधी ने अपना ये वादा मंगलवार को सोनभद्र पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मिल कर पूरा किया.

इससे पहले भी सोनभद्र नरसंहार मामले में ही प्रियंका गांधी ने चुनार किले में मिलने आये पीड़ित परिवारों से वादा किया था कि प्रत्येक पीड़ित परिवार को दस-दस लाख रूपये सहायता राशि के लिए दिए जाएंगे, जिसे प्रियंका गांधी ने 27 जुलाई को प्रत्येक परिवार को दस-दस लाख रुपये भिजवा के पूरा किया था. दूसरी तरफ, मंगलवार को प्रियंका गांधी की यात्रा को यूपी की योगी सरकार ने राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि कांग्रेस महासचिव को सोनभद्र में अपनी ही पार्टी के नेताओं के पूर्व के कृत्यों का पश्चात्ताप करना चाहिये.

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प्रियंका गांधी ने उम्भा गांव के पीड़ित परिवारों से उनके घर आकर मिलने का किया वादा निभाने के लिये मंगलवार को सामूहिक हत्याकांड के गवाह बने सोनभद्र स्थित उम्भा गांव पहुंची. मंगलवार सुबह प्रियंका गांधी दिल्ली से 10 बजे वाराणसी के एलबीएस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचीं और वहां से सड़क मार्ग से उम्भा गांव के लिए रवाना हुईं. इस दौरान प्रियंका ने ट्वीट कर कहा ”चुनार के किले पर मुझसे मिलने आये उम्भा गांव के पीड़ित परिवारों के सदस्यों से मैंने वादा किया था कि मैं उनके गांव आऊंगी, आज मैं उम्भा गांव के बहनों-भाइयों और बच्चों से मिलने, उनका हालचाल सुनने-देखने, उनका संघर्ष साझा करने सोनभद्र जा रही हूं.”


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका ने सोनभद्र के उम्भा गांव में उन 10 गोंड आदिवासियों के परिजन से मुलाकात की जो पिछले महीने 17 जुलाई को जमीन के विवाद को लेकर हुई गोलीबारी में मारे गये थे. इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने प्रियंका के सोनभद्र दौरे को सियासी स्टंट बताते हुए इसे मीडिया की सुर्खियां बटोरने की कोशिश करार दिया है.

उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने सोनभद्र गोलीकांड मामले में यथासम्भव कठोरतम कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि जिस जमीन को लेकर वह वारदात हुई, उस पर कांग्रेस के शासनकाल में उसी के तत्कालीन विधान परिषद सदस्य और अन्य नेताओं ने कब्जा किया. शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के ही राज में वह जमीन अवैध रूप से बेची गयी, जिसकी परिणति पिछले महीने गोलीकांड में 10 लोगों के मारे जाने के तौर पर हुई. शर्मा ने कहा ”प्रियंका को पार्टी के पहले के नेताओं के कृत्यों का पश्चात्ताप करना चाहिये. उनका आना राजनीतिक स्टंट के सिवा कुछ नहीं हैं.”

गौरतलब है कि सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र स्थित इलाके में 17 जुलाई को जमीन के एक टुकड़े को लेकर हुए संघर्ष में 10 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी और 28 अन्य घायल हो गए थे. मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने 19 जुलाई को सोनभद्र जा रहीं प्रियंका गांधी को मिर्जापुर जिला प्रशासन ने बीच में ही रोक लिया था. उनके धरने पर बैठने पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. बाद में उन्हें चुनार गेस्ट हाउस ले जाया गया था. अगली सुबह गोलीकांड के पीड़ित कुछ परिवारों ने गेस्ट हाउस आकर प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के मंत्रियों ने इसे भी प्रियंका का राजनीतिक स्टंट करार देते हुए उम्भा कांड के लिये कांग्रेस को दोषी ठहराया था.

राज्यसभा उपचुनाव पर बोले सचिन पायलट

राजस्थान के उपमुख़्यमंत्री सचिन पायलट ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नामांकन भरे जाने पर खुशी जताई. राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदनलाल सैनी के निधन के चलते राजस्थान राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है. बुधवार नामांकन की अंतिम तिथि है. बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतरने से इनकार कर दिया है. वैसे कांग्रेस के पास विधानसभा में 100 विधायक हैं. इसके साथ निर्दलीय, बसपा सहित अन्य 22 विधायकों का समर्थन भी मिला हुआ है. ऐसे में डॉ.मनमोहन सिंह का राज्यसभा में बिना विरोध के पहुंचना पहले से ही पक्का है. पॉलिटॉक्स ने अपनी पिछली खबरों में पहले ही यह कन्फर्म कर दिया था कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का राज्यसभा में पहुंचना निश्चित है.

ओम बिड़ला ने कहा, ऐतिहासिक रहा 17वीं लोकसभा का पहला सत्र

लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद ओम बिड़ला सोमवार को पहली बार बीकानेर पहुंचे और पत्रकारों के साथ अपने लोकसभा के अनुभव साझा किए. उन्होंने अपने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने एक महीने के कार्यकाल को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि 1952 में संसद की स्थापना के बाद से अब तक का यह पहला सत्र रहा, जिसमें बिना बाधा के सबसे ज्यादा विधेयक पारित हुए. इसमें दूसरे दलों का भी सहयोग रहा.

ओम बिड़ला ने कहा कि सदन बहुमत के आधार पर नहीं, बल्कि सर्वसम्मति के आधार पर चलना चाहिए. हमने इस बार अधिकतर विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए, लेकिन जहां मत विभाजन की स्थिति बनी, वहां भी विधेयक पारित किए गए. उन्होंने कहा कि लोकसभा में ज्यादातर सदस्य नए हैं, लेकिन उन्होंने नए सदस्यों को भी अपनी बात रखना का पूरा मौका दिया. अधिकतर सदस्यों में अच्छी प्रतिभा है जो अपने क्षेत्र की समस्याओं को बेहतर तरीके से रखने और सारगर्भित तरीके से अपनी बात कहने कहने की क्षमता रखते हैं.

लोकसभा की कार्यप्रणाली से संबंधित सवालों पर बिड़ला ने कहा कि संसद का नया भवन बनाना और पेपरलेस कार्य का चलन समय की जरूरत है. तकनीक बदल रही है तो काम भी उसी के अनुसार करना चाहिए. संसद की कार्यवाही और प्रश्नों के जवाब सांसदों को भिजवाने में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं. यह सब कार्य ऑनलाइन होने से खर्च बचेगा. नए भवन के बारे में उन्होंने कहा कि संसद का भवन 97 साल पुराना है. उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चर्चा की है और संसद का नया आधुनिक भवन बनवाने का प्रस्ताव रखा है. इस पर विचार चल रहा है.

राजस्थान के बारे मे पत्रकारों ने सवाल किए तो ओम बिड़ला ने कहा कि राजस्थान का बेटा होने के नाते वह हमेशा राजस्थान के साथ हैं. राजस्थान के विकास के लिए यहां की सरकार को केंद्र से सहयोग दिलाने में वह पूरी मदद करेंगे, चाहे कोई सी भी सरकार हो. ओम बिड़ला सोमवार सुबह 11.30 बजे विमान से बीकानेर के नाल एयरपोर्ट पहुंचे. स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, विधायक बिहारी लाल विश्नोई, सुमित गोदारा, जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, पूर्व विधायक विश्वनाथ मेघवाल सहित कई भाजपा नेता मौजूद थे.

एयरपोर्ट से बिड़ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास के घर पहुंचे. दुर्गादास के पिता गणेश दास का हाल ही निधन हुआ है. ओम बिड़ला ने उनके घर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की. इसके बाद वह पूर्व विधायक गोपाल जोशी से मिलने पहुंचे और उनकी तबीयत का हालचाल पूछा.

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