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छात्रसंघ चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू

राजस्थान में 27 अगस्त को होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुरुप होंगे छात्रसंघ चुनाव. लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार चुनाव होने से छात्रनेताओं को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है.

इसके तहत चुनाव में जाति और समुदाय के आधार पर वोट की अपील नहीं की जाएगी. उम्मीदवार तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों से दूर रहेंगे. आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहने वाले चुनाव नहीं लड़ेंगे. चुनाव प्रचार में छपी हुई प्रचार सामग्री काम में नहीं ली जाएगी. कालेज और विश्वविद्यालय परिसर के बाहर चुनाव प्रचार नहीं किया जाएगा. उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा पांच हजार रुपए तय की गई है.

विश्वविद्यालय में बगैर परिचय पत्र किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. छात्र-छात्राओं पर निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. परिसर में आने वाले वाहनों की भी तलाशी ली जाएगी. वाहनों के शीशे पर काली फिल्म होगी तो उसे हटाया जाएगा. नए नियम लागू होने से कई छात्र-छात्राओं में अफरा-तफरी का माहौल रहा. रविवार को विभिन्न विभागों में प्रवेश पत्र बनवाने वाले विद्यार्थियों की कतार लगी रही. प्रशासन की तरफ से विभाग प्रमुखों ने विद्यार्थियों को प्रवेश पत्र जारी किए.

गौरतलब है कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मियां शुरू हो चुकी हैं. चुनाव कार्यक्रम घोषित हो गया है. प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों, संघटक कालेजों और प्रदेश के सभी राजकीय कालेजों में 27 अगस्त को छात्रसंघ चुनाव होंगे. इस सिलसिले में सोमवार सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक मतदाता सूचियों के प्रकाशन का कार्यक्रम है. मंगलवार सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक मतदाता सूचियों पर आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी. इसके बाद दोपहर दो से पांच बजे तक अंतिम मतदाता सूचियों का प्रकाशन होगा. उच्च शिक्षा विभाग ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार ही छात्रसंघ चुनाव करवाने के आदेश जारी किए हैं.

मतदाता सूचियों के प्रकाशन के साथ ही चुनाव प्रचार में तेजी आ जाएगी और उम्मीदवारों की घोषणा का सिलसिला शुरू होगा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के उम्मीदवारों की घोषणा एक-दो दिन में होने वाली है. उम्मीदवारों का नामांकन 22 अगस्त को होगा. इससे पहले उम्मीदवार तय होना जरूरी है. दोनों छात्र संगठनों ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है. राजस्थान विश्वविद्यालय पर सबसे ज्यादा फोकस है.

राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए दोनों ही प्रमुख छात्र संगठनों के 10 से ज्यादा छात्रनेता टिकट मांग रहे हैं. एबीवीपी प्रदेश के 115 कालेजों-विश्वविद्यालयों में टिकट देगी और इसकी सूची सार्वजनिक की जाएगी. रविवार को छात्रसंघ चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता लागू होने से पहले ही तमाम छात्रनेता शहर में जगह-जगह अपने पोस्टर लगा चुके हैं. सरकारी भवनों, इमारतों, चौराहों, दीवारों पर ये पोस्टर देखे जा सकते हैं, जिससे शहर के सौंदर्य को भारी नुकसान पहुंच रहा है. नगर निगम भी इन पोस्टरों को नहीं हटा रहा है और न ही किसी छात्रनेता के खिलाफ कोई कार्रवाई हो रही है. हालांकि प्रशासन ने कालेज-विश्वविद्यालय के परिसरों से छात्रनेताओं के पोस्टर हटवा दिए हैं.

अलवर जिले में एक और मॉब लिंचिंग, क्या करेगी गहलोत सरकार?

राजस्थान सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया है. यह लागू होने के बाद मॉब लिंचिंग में दोषी पाए जाने वालों को सख्त सजा का प्रावधान है. इस कानून के बनते ही सबसे पहले पहलू खान की मौत के छह आरोपियों को अदालत ने बेकसूर मानते गए छोड़ दिया. पहलू खान जयपुर से मवेशी खरीदकर अपने घर हरियाणा जा रहा था. रास्ते में अलवर जिले में उस पर भीड़ ने हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई.

गहलोत सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ बड़ी अदालत में अपील करने की बात कही है और पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की दुबारा से जांच करने के निर्देश दिए है. इसी बीच अलवर जिले में एक और मॉब लिंचिंग का मामला सामने आ गया है, जिसको लेकर गहलोत सरकार पसोपेश में नजर आ रही है और भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है.

अलवर जिले का यह दूसरा मॉब लिंचिंग का मामला चौपानकी थाना इलाके का है. मंगलवार 16 जुलाई की देर शाम 28 वर्षीय हरीश जाटव भिवाड़ी से अपने गांव झिवाणा जा रहा था. फलसा गांव के पास सड़क पार कर रही 55 वर्षीय महिला हकीमन पत्नी जमालुद्दीन उसकी बाइक से टकरा गई. इस पर लोगों ने उसे पीटना शुरू कर दिया और मरणासन्न स्थिति में सड़क पर छोड़ दिया. सूचना मिलने पर गश्ती पुलिस वहां पहुंची. लोगों की भीड़ लगी थी. बाइक अलग पड़ी थी और सड़क पर हरीश मार-पिटाई के बाद अचेत पड़ा था. मोबाइल के आधार पर उसकी पहचान हरीश जाटव के रूप में हुई. पुलिस उसे भिवाड़ी के अस्पताल ( सीएचसी-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) ले गई. वहीं हरीश की बाइक की टक्कर से घायल महिला को भी उसके परिजन प्राथमिक उपचार के लिए पहुंचे थे. हरीश को भिवाड़ी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

अलवर पुलिस दिल्ली पहुंची और पोस्टमार्टम की कार्रवाई पूरी होने के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया. पुलिस का कहना था कि मॉब लिंचिंग जैसी कोई घटना नहीं थी. उधर चौपानकी पुलिस थाने में हरीश के नेत्रहीन पिता रतिराम ने 17 जुलाई को रिपोर्ट लिखवाई थी कि उसके पुत्र हरीश जाटव 16 जुलाई की शाम करीब सात बजे घर आ रहा था. रास्ते में फलसा गांव में उसकी बाइक उमरशेर के घर के पास किसी से भिड़ गई थी. वहां ठेकेदार उमरशेर उसके लोगों ने हरीश के साथ मारपीट की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया.

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दूसरे पक्ष की तरफ से 17 जून को जमालुद्दीन पुत्र नूर मोहम्मद ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 16 जुलाई की रात करीब 8.30 बजे उसकी पत्नी हकीमन सड़क पार कर रही थी. तेज गति से आ रहे हरीश जाटव ने हकीमन को टक्कर मार दी, जिससे वह बेहोश होकर गिर गई. बाइक चालक शराब के नशे में धुत था, जो बाइक से सड़क पर गिर गया और उसे जगह-जगह चोट आई.

बेटे की मौत के बाद रतिराम ने चीखते हुए आरोप लगाया कि हरीश की मौत भीड़ की पिटाई से हुई है. रतिराम का कहना था कि इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं थी. बाइक हल्की सी भिड़ी थी और महिला को भी गंभीर चोट नहीं आई है. हादसे के बाद हकीमन के परिजनों ने हरीश के साथ मारपीट की थी. पुलिस यह मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि भीड़ की पिटाई से मौत हुई है. पुलिस के रवैये से तंग आकर हरीश के पिता रतिराम ने पिछले गुरुवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली.शुक्रवार को हरीश की मौत का पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. इसके बाद जिला पुलिस अधीक्षक परिघ देशमुख ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को घटना की जानकारी दी और मॉब लिंचिंग जैसी किसी घटना से इनकार किया.

रतिराम की आत्महत्या के बाद उसके परिजनों और दलित समाज के लोगों ने टपूकड़ा सीएचसी के सामने धरना शुरू कर दिया और मांगे नहीं मानने तक रतिराम का शव लेने और उसका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. धरने पर बैठी हरीश की गर्भवती पत्नी ने चेतावनी दी कि मांगें नहीं मानी गई तो वह चार बेटियों के साथ आत्मदाह कर लेगी. इस धरने में भाजपा नेता भी शामिल हुए. अलवर के सांसद महंत बालकनाथ शनिवार को धरने पर बैठे लोगों से मिले और ढाढ़स बंधाया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और सर्किल अधिकारी को पद से हटाना चाहिए. अलवर में अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है. शनिवार को घटना के विरोध में टपूकड़ा और झिवाणा के बाजार भी बंद रहे. प्रदर्शनकारियों ने कई बार रास्ता रोकने का प्रयास किया. यह धरना तीन दिन चला और रविवार को कलेक्टर ने परिजनों को आश्वासन देकर धरना समाप्त करवाया.

अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और गहलोत सरकार की तरफ लोगों की निगाहें हैं कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाली सरकार इस मामले में क्या करती है. कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने परिजनों से कहा कि वह उनकी मांगें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचा देंगे. इसके बाद परिजनों ने रतिराम का पोस्टमार्टम करने की मंजूरी दी.

धरना समाप्त करवाने के बाद इंद्रजीत सिंह ने मीडिया को बताया कि पीड़ित पक्ष की किसी भी मांग को नहीं माना गया है, लेकिन सरकार तक उनकी मांग को पहुंचाने और मामले की उच्च स्तरीय जांच का आश्वासन दिया गया है. प्रशासन ने कोई लिखित समझौता नहीं किया है. पांच में से एक को भी पूरा करने का आश्वासन नहीं दिया है. जांच कितने दिन में पूरी होगी, इसकी समय सीमा भी तय नहीं है. प्रशासन पीडि़त परिवार को निजी कंपनी में नौकरी और सामाजिक संबल देने के लिए अपने स्तर पर सहयोग करेगा.

इस घटनाक्रम के बाद अब विभिन्न पार्टियों की राजनीति तेज हो गई है. सवाल उठ रहे हैं कि गहलोत सरकार का रवैया इस घटनाक्रम पर क्या रहेगा? क्या नए बने मॉब लिंचिंग विरोधी कानून के तहत कार्रवाई होगी? या उच्च स्तरीय जांच के नाम पर समय व्यतीत किया जाएगा. घटना 16 जुलाई की शाम की है. महिला से बाइक टकराई, जिस पर मारपीट हुई, बाइक चालक हरीश जाटव घायल हुआ और उसकी मौत हुई. यह एक तथ्य है. बाइक चालक के पिता ने पिटाई से मौत होने का आरोप लगाया जो पुलिस ने नहीं माना. बाइक चालक के पिता ने आत्महत्या कर ली. अब पुलिस का कहना है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है. फिर पुलिस इसे किस तरह का मामला मानती है?

बसपा विधायक संदीप यादव ने कहा कि प्रशासन और सरकार पीड़ित के साथ है. उन्हें न्याय दिलाया जाएगा. भाजपा ने इस मामले में राजनीति कर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की है. वहीं भाजपा नेता रामकिशन मेघवाल ने कहा कि जिला कलेक्टर ने पीडि़त परिवार से समझौता किया है. एक सप्ताह में मांग पूरी करने की बात की है, लेकिन अंतिम वार्ता कलेक्टर ने पीड़ित परिजनों से सीधी की है.

हरियाणा में कांग्रेस को बडा़ झटका, हुड्डा ने पकड़ी अलग राह, बोले- आज अतीत से हुआ मुक्‍त

हंसराज का बयान, मचा जिससे घमासान

‘मोदी है तो मुमकिन है’ के स्लोगन का फायदा लेकर पहली बार में ही जीत कर संसद पहुंचे सूफी गायक हंसराज हंस सदन के भीतर सवाल-जवाब से तो वो सुर्खियां बटौर नहीं सके जिनकी उन्हें चाहत रही. ऐसा भी नहीं है कि वे सदन में बस टेबल थपथपाने के लिए ही जाते हैं. वे अभी तक के संसदीय कार्यवाही में 5 बार सवाल कर चुके हैं और साथ में शेरो-शायरी भी. अब तो सदन की कार्यवाही भी स्थगित हो चुकी है. इसके बाद भी अचानक से हंसराज हंस चर्चाओं में आ गए. इस चर्चा की शुरूआत भी उन्होंने खुद ही क़ी. चर्चा है जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के नाम बदलने की.

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के सांसद हंसराज हंस एक समारोह में शिरकत करने जेएनयू पहुंचे. यहां उन्होंने अनुच्छेद 370 पर चर्चा करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की वजह से ही कश्मीर दोबारा जन्नत बनने जा रहा है. मोदीजी के इस योगदान के बदले क्यों न ‘जेएनयू’ के नाम को बदल ‘एमएनयू’ कर दिया जाए.’ उन्होंने एमएनयू में ‘एम’ का मतलब मोदी बताया. बाकी बचे ‘एनयू’ का क्या करेंगे, ये उन्होंने नहीं बताया. उनका तर्क था कि जिस शख्स की गलतियों के कारण देश को आज तक ये सब झेलना पड़ा, उनके नाम पर यूनिवर्सिटी क्यों? यही वजह है कि वे जेएनयू का नाम एमएनयू रखना चाह रहे हैं लेकिन वे जेएनयू का पूरा नाम शायद देख ही नहीं पाए. जेएनयू का पूरा नाम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी है और अगर नाम बदल कर एमएनयू रखा जाए तो ये ‘मोदी नेहरू यूनिवर्सिटी’ बन जाएगा जो न कांग्रेस के गले उतरेगा और न ही बीजेपी के.

खैर, क्या सोचकर सांसद महोद्य ने अपने ये विचार रखे, ये तो वे ही जाने लेकिन मोदी की श्रद्धा भाव से लदे उनके इन बयान ने बाहर आते ही विवाद की सूरत ले ली. इसके बाद भी हंसराज हंस अपने बयान पर कायम हैं. हालांकि उनकी पार्टी और प्रवक्ता इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखते. पार्टी मानती है कि नेहरू के नाम और काम को इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता. मोदीराज में अपनी अनन्य श्रद्धा भाव को प्रकट कर मोदीजी का ये सिपाही कितनी सियासी जमीन मजबूती पायेगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन फिलहाल तो सांसद महोदय अपने इस बयान से अपनी ही किरकिरी करा बैठे हैं.

पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में पिछली वसुंधरा सरकार की भूमिका की होगी जांच- गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए बहुचर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में पिछली वसुंधरा राजे सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पिछली सरकार की भूमिका की जांच करवाने की बात कही. तो उधर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि एक तरफ गहलोत सरकार पहलू खान मामले की दोबारा जांच करा रही है वहीं, दूसरी तरफ अलवर के ही हरीश जाटव मॉब लिंचिंग मामले में एक्शन नहीं ले रही है.

सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को अपने वर्तमान कार्यकाल में पहली बार सीएम आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सीएम गहलोत ने पत्रकारों से वार्ता शुरू करते हुए कहा कि जो बजट हमने इस बार पेश किया है और बजट के बाद जो घोषणाएं हमनें कीं उन घोषणाओं की मॉनिटरिंग करने के लिए रविवार को सीएमओ में एक मीटिंग की ताकि समय से घोषणाएं पूरी हो सके.

सीएम गहलोत ने बताया कि बजट पेश करना एक बात है और जो वादे जनता से किए जाते हैं उनको इंप्लीमेंट करवाना अलग बात है. आज की मीटिंग में हमने फाइनेंस डिपार्टमेंट से इस पर चर्चा की है, जिससे बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत आये तो वो दूर की जा सके.

पत्रकारों से वार्ता करते हुए सीएम गहलोत ने बताया कि हम बार स्व0 राजीव गांधी जी की 75वी जयंती मना रहे हैं. अपने बजट भाषण में मैंने कहा था कि हम साल भर राजीव गांधी की जयंती को मनाएंगे, और इसकी शुरुआत कल जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम से होने जा रही है.

स्व0 राजीव गांधी के बारे में सीएम गहलोत ने बताया कि उनके समय कई ऐतिहासिक काम हुए थे, संविधान संशोधन हुआ, उसके बाद में पंचायत चुनाव टाइम पर होने लगे, आईटी के क्षेत्र में जो मिशन उन्होंने बनाया उसी का परिणाम है की आज हम मोबाइल फोन, इंटरनेट, कंप्यूटर आदि सेवाओं का लाभ ले पा रहे हैं. युवाओ को 18 वर्ष की उम्र में मतदान का अधिकार दिया. इस प्रकार से यह सब बड़े फैसले राजीव गांधी की ही देन थी. ये सभी फैसले उन्होंने देश की नई पीढ़ी और नए भारत के लिए लिए थे, ताकि विकसित राष्ट्रों के सामने भारत खड़ा हो सके.

आगे अपनी वार्ता को जारी रखते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि राजीव गांधी ने जो काम किये थे उनको लेकर हमने तय किया है कि पूरे साल भर उनके द्वारा किए गए कामों को, उनकी सोच को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसकी शुरुआत कल से की जाएगी.

बहुचर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले पर गहलोत ने पिछली वसुंधरा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस केस को लेकर बहुत ज्यादा चर्चाये हुईं और होना स्वाभाविक भी था. इस केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. गहलोत ने कहा कि जिस प्रकार की लापरवाही इस केस में पिछली सरकार ने की वो कोई सोच ही नहीं सकता. पिछली सरकार की लापरवाही के कारण संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने सभी मुजरिमों को बरी कर दिया. जो कमी पिछली सरकार में इस केस में रह गयी उनको दूर करने के लिए हमने एसआईटी का गठन किया है

सीएम गहलोत ने कहा कि हमने आज एक और फैसला किया है, हिनीयस क्राइम जो प्रदेश में होते है उनके लिए अलग से मॉनिटरिंग सेल बनाई जाएगी. पहलू खान मामले पर फिर से बोलते हुए गहलोत ने कहा कि पिछली सरकार में यह केस 4 बार बदला गया, तीन आईओ बदले गए चौथे आईओ ने केस का चालान पेश किया.

पिछली वसुंधरा राजे सरकार पर सीएम गहलोत ने सवाल करते हुए कहा कि यह एक गंभीर केस था फिर भी वसुंधरा सरकार द्वारा क्यो बार-बार आईओ बदले गए. इसी कारण से आरोपियों को संदेह का लाभ मिला और आरोपियों को बरी किया गया है. क्योंकि ना तो मुजरिमों की शिनाख्त करवाई ओर ना ही वो कैमरा जप्त किया गया जिससे वीडियोग्राफी की गई थी और ना ही जिसने वीडियोग्राफी करी उसको गवाह बनाया गया. इस प्रकार से ओर भी बहुत खामियां इस केस में रहीं हैं. इसी वजह से हमने इसके लिए एसआईटी का गठन किया गया है.

कानून व्यवस्था पर बोलते हुए गहलोत ने कहा की हमनें प्रदेश में एफआईआर दर्ज करना आवश्यक कर दिया है, जो की देश में कहीं और नहीं है. गहलोत ने विश्वास जताते हुए कहा कि इससे प्रदेश में क्राइम की संख्या घटेगी. इससे भी बढ़कर क्राइम की संख्या घटने की बजाय लोगों को राहत मिलना ज्यादा आवश्यक है. इसलिए हमने एफआईआर दर्ज करना आवश्यक कर दिया है. इसके लिए हमने एसपी ऑफिस में भी एफआईआर दर्ज करने की शुरुआत की है.

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक दैनिक अखबार से बातचीत में कहा कि सरकार वर्ग विशेष के लिए काम कर रही है. गहलोत सरकार एक तरफ तो मॉब लिंचिंग के लिए कानून बना रही है, पहलू खान मामले की दोबारा जांच करा रही है वहीं, दूसरी तरफ अलवर के ही हरीश जाटव मॉब लिंचिंग मामले में एक्शन नहीं ले रही है.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं और सरकार के दिमाग में वोट और जातियां भरी हुई हैं. अलवर के ही हरीश जाटव मॉब लिंचिंग मामले में दूसरा पक्ष मेव समाज था, इसलिए गहलोत सरकार इसे मॉब लिंचिंग नहीं मान रही. लेकिन पहलू खान मामले में सामने वाला हिंदू है, इस वजह से यह मॉब लिंचिंग हो गई. कांग्रेस की यह हालत मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ही हुई है.

कांग्रेस को बडा़ झटका, हुड्डा ने पकड़ी अलग राह, बोले- आज अतीत से हुआ मुक्‍त

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस से अलग होने का साफ संकेे‍त देते हुए कहा, “आज मैं खुद को अतीत से मुक्‍त करता हूं, कांग्रेस अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही और अब भटक गई है. मैं यहां सारी चीजों से मुक्‍त होकर अपनी बात कहने आया हूं. मुझे नेताओं व रैली में मौजूद लोगों द्वारा कोई भी फैसला लेने का जो अधिकार दिया है उसके लिए मैं एक कमेटी का गठन करुंगा. कमेटी की सलाह पर इस बारे में कोई भी फैसला लूंगा.”

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने रविवार को रोहतक मेें आयोजित महापरिवर्तन रैली में बड़ा बयान देते हुए कहा कि, “जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद हटाने का हमारे (कांग्रेस) नेताओं ने विरोध किया, यह सही नहीं था. मैंने देशहि‍त के इस निर्णय का समर्थन किया. उन्‍होंने कहा, मेरे परिवार की चार पीढ़ियां कांग्रेस से जुड़ी रही हैं. हमने कांग्रेस के लिए जी-जान से मेहतन की, लेकिन अब कांग्रेस पहले वाली नहीं रही. अब यह बदल गई है.”

हुड्डा समर्थक 13 विधायक, कई पूर्व विधायक सहित हरियाणा के कई वरिष्‍ठ नेता महा परिवर्तन रैली में मौजूद रहे. सभी ने एक सुर में कहा कि हुड्‌डा को एक मजबूत फैसला लेना चाहिए. वह जो भी तय करेंगे, उसमें हम सभी उनके साथ हैं. इस दौरान पूर्व सीएम ने कहा कि “आज हरियाणा का किसान तबाही की ओर है और बेरोजगारी बढ़ रही है. मैं 72 साल का हो गया हूं और रिटायर होना चाहता था, लेकिन हरियाणा की हालत देखकर संघर्ष का फैसला किया. देशहित से ऊपर कुछ नहीं.”

उन्‍होंने जम्मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने की चर्चा करते हुए कहा कि 370 पर कांग्रेस थोड़ी राह भटक गई है. महापरिवर्तन रैली में हुड्डा ने कहा कि आज हर चीज से मुक्‍त होकर यहां आया हूं, मैं आज अतीत से मुक्‍त होकर इस मंच पर आया हूं. उन्‍होंने कहा अपने परिवार की चार पीढि़यों के पार्टी से जुड़ाव और इसके लिए योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि अब कांग्रेस पहले वाली नहीं रही.

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बता दें कि रोहतक में रविवार को आयोजित महापरिवर्तन रैली में नेताओं के तेवर तीखे दिखे. करण सिंह दलाल ने साफ कहा कि कांग्रेस नेतृत्‍व यदि हरियाणा में पार्टी की कमान हुड्डा को नहीं दे तो अलग राह अपनाई जाए. पूर्व स्‍पीकर रघुबीर कादियान ने एक लाइन का प्रस्‍ताव रखा कि हुड्डा जो भी फैसला करेंगे उसके साथ हम सभी खड़े हैं. उन्‍होंने जनसभा में लोगों से हाथ उठवाकर इसका समर्थन भी कराया.

पूर्व सीएम हुड्डा ने आगे कहा, “मैं 72 साल का हो गया हूं और रिटायर होना चाहता था, लेकिन हरियाणा की हालत देखकर संघर्ष का फैसला किया। उन्‍हाेंने कहा कि देशहित से ऊपर कुछ नहीं. 370 पर कांग्रेस कुछ भटक गई, लेकिन देशभक्ति और स्वाभिमान का मैं किसी से समझौता नहीं करूंगा, इसीलिए मैंने 370 हटाने का समर्थन किया. उन्‍होंने कहा, उसूलों के लिए टकराना भी जरूरी है, जिंदा हो तो जिंदा दिखना जरूरी है.

हाल ही में हरियाणा सीएम मनोहरलाल खट्टर द्वारा किये गए नौकरियों के दावे पर सवाल उठाते हुए पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि नौकरियां कैसी दी जा रही है, एमए पास युवाओं को चपरासी की नौकरी दी जा रही है, नौकरियां बेची जा रही है. रैली में हुड्डा ने जमकर चुनावी घोषणाएं भी कीं. उन्‍होंने कहा कि अगर मेरी सरकार बनी तो सबसे पहले अपराधियों का सफाया करूंगा. प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिलकुल चौपट हो चुकी है.

हुडा ने चुनावी घोषणायें करते हुए आगे कहा कि किसानों का कर्जा माफ किया जाएगा, इसमें भूमिहीन किसानों को भी शामिल किया जाएगा. आज कर्मचारी सबसे ज्यादा तकलीफ में हैं. आंगनबाड़ी, आशा वर्कर का भत्ता बढ़ाया जाएगा. पंजाब के समान कर्मचारियों को वेतनमान दिया जाएगा, पुरानी पेंशन लागू होगा. सातवां वेतन आयोग पूर्ण रूप से लागू होगा. 1 फरवरी 2016 से सबको एचआरए दिया जाएगा. जितने भी पढ़े लिखे चतुर्थ श्रेणी में भर्ती हुए हैं उन्हें क्लास बनाया जाएगा.

चुनावी घोषणाओं का क्रम आगे बढ़ाते हुए हुडा ने कहा कि गरीब महिलाओं के खाते में हर महीने दो हजार रुपये डाले जाएंगे. बीपीएल को 300 यूनिट तक बिजली फ्री, विवाह शगुन योजना एक लाख रुपये, गरीब आदमी को दो रुपये किलो चावल व गेहूं देंगे. फसल बीमा योजना की किश्त हरियाणा सरकार भरेगी. रोजगार के लिए ऐसी स्कीम बनाएंगे कि हर परिवार में योग्यता के आधार पर एक व्यक्ति को नौकरी देंगे. जब तक नौकरी नहीं मिलेगी योग्यता भत्ता देंगे. 75 प्रतिशत नौकरी हरियाणा के युवाओं को मिले इसके लिए कानून बनाएंगे.

आगे बोले हुड्डा कि बुढ़ापा पेंशन पांच हजार रुपये महीना देंगे. हरियाणा रोडवेज में महिलाओं की यात्रा फ्री करेंगे. गरीबों के लिए चार लाख घर बनाकर देंगे. दलित बच्चों को आठवीं तक 500, 12वीं तक 1000 व उससे ऊपर 1500 रुपये देंगे. हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार बनी तो चार उपमुख्यमंत्री बनाएंगे. एक ओबीसी, एक अनुसूचित जाति , एक ब्राह्मण व एक अन्य किसी वर्ग से.

रैली के दौरान अन्‍य नेताओं ने भी अपने संबोधन में कहा कि हुड्डा अब मजबूत फैसला करें, हम उसके साथ हैं. विधानसभा के पूर्व स्‍पीकर कुलदीप शर्मा ने कहा कि कांग्रेस कहां है, कमरों में बैठे कुछ नेता कांग्रेस की दशा नहीं बदल सकते. यदि कांग्रेस को हालत सुधारनी थी तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान देनी चाहिए थी. दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज हरियाणा की राजनीति दोराहे पर है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक वारिस और पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि हरियाणा, आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विकास की राजनीति और भाजपा के राजनीति के दोहारे पर खड़़ा है. उन्‍होंने जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने की चर्चा करते हुए कहा कि हमने देशहित को समर्थन किया. इसे हटाने का तरीका सही नहीं था, लेकिन यह राष्‍ट्रहित में था. उन्‍होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्‍होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि उस समय हरियाणा नंबर वन था और आज हर क्षेत्र में पिछड़ गया है. उन्‍होंने कहा कि हरियाणा में परिवर्तन के लिए अब बिगुल बज गया है.

रैली में मंच संचालन पूर्व मंत्री गीता भुक्‍कल ने किया. पूर्व मुख्‍य संसदीय सचिव जिलेराम शर्मा ने कहा कि हुड्डा ने हरियाणा में अभूतपूर्व कार्य किया. रैली को जयवीर वाल्मीकी ने भी संबोधित किया. कांग्रेस विधासक आनंद सिंह दांगी ने कहा कि देश में जो भी परिवर्तन जनता के माध्‍यम से होता है. आज जितनी संख्‍या में लोग आए हैं वह परिवर्तन का संकेत दिया है. रैली को विधायक ललित नागर ने भी संबोधित किया. उन्‍होंने कहा कि राज्‍य की जनता अब परिवर्तन चाहती है. यह परिवर्तन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्‍व में हो सकता है. हुड्डा के नेतृत्‍व में हरियाणा में अगली सरकार बनानी है.

इस महापरिवर्तन रैली में हुड्डा समर्थक विधायक, कई पूर्व विधायक सहित हरियाणा के कई वरिष्‍ठ नेता मौजूद रहे. रैली से पहले ही कयास लगाए जा रहे थे हुड्डा कांग्रेस से अलग राह की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. इसका पता इस बात से चल जाता है कि पूरे रैली स्‍थल पर कहीं भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी का फोटो व कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नजर नहीं आया.

रैली का आयोजन मेला ग्राउंड पर किया गया था और रैली के लिए बनाया गए पंडाल में काफी संख्‍या में हुड्डा समर्थक गुलाबी पगड़ी पहनकर बैठे हुए थे. रैली स्‍थल पर कहीं भी कांग्रेस का झंडा नहीं लगे होने से कयासबाजी तेज हो गई.

बता दें बीती रात पूर्व सीएम हुड्डा ने कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी और इसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा था कि वह फिलहाल अलग पार्टी का ऐलान नहीं करेंगे. इसके बाद हुड्डा ने रैली में एक कमेटी के गठन का ऐलान किया. यह कमेटी कांग्रेस से अलग होने के बारे में एक हफ़्ते में अपनी रिपोर्ट देगी और भविष्य की राजनीति पर जनता की भावना जानेगी. कांग्रेस विधायक और पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष कुलदीप शर्मा कमेटी के अध्यक्ष हो सकते हैं.

13 विधायक बनेंगे मंत्री, शाह की मुहर के बाद येदियुरप्पा ने बुलाई विधायक दल की बैठक

बहुप्रतीक्षित कर्नाटक मन्त्रिमण्डल विस्तार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की हरी झंडी मिल गई है. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने ट्वीट कर बताया की मंगलवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी और कैबिनेट का होगा विस्तार.

कर्नाटक में पिछले लगभग 22 दिनों से अकेले सरकार चला रहे मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को फाइनली शनिवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से 20 अगस्त को मंत्रिमंडल विस्तार करने की हरी झंडी मिल गई. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, ‘‘ बीजेपी विधायक दल की बैठक मंगलवार को सुबह 10 बजे विधान सौध के सभागार में होगी. उसी दिन दोपहर को मंत्रिमंडल विस्तार होगा.’’

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ऐसी संभावना है कि कर्नाटक में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में अभी केवल 13 मंत्री मंगलवार को पद और गोपनीयता की शपथ लें. राज्य में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 34 हो सकती है और ऐसे में बाकी मंत्रियों को बाद में मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इससे पहले मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने गुरुवार को दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि वह अमित शाह से बात कर लंबित मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देंगे.

सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार में देरी इसीलिए हुई कि बीजेपी संभावित मंत्रियों के नामों को तय नहीं कर पा रही थी. पहले भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए येदियुरप्पा दिल्ली गए थे लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो पाया था. पार्टी सूत्रों ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जातीय समीकरण है. पार्टी के कुल विधायकों में 39 लिंगायत समुदाय से आते हैं और स्वयं मुख्यमंत्री इसी समुदाय से हैं. लिंगायत बीजेपी के सबसे बड़े समर्थक हैं. लिंगायत के बाद वोक्कालिगा हैं. इस समुदाय के प्रमुख चेहरों में आर अशोक, डॉ.सीएन अश्वथ नरायाण, सीटी रवी और एसआर विश्वनाथ शामिल हैं. पार्टी को मंत्रिमंडल में दलित समुदाय, अनुसूचित जनजाति, ब्राह्मण और अन्य पिछड़ी जातियों को प्रतिनिधित्व देना होगा.

इनके अलावा पिछली कांग्रेस-जेडीएस सरकार के अयोग्य करार दिए गए 17 विधायकों को भी सरकार में समायोजित किया जा सकता है. कांग्रेस और जेडीएस मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी को लेकर बीजेपी की ओलाचना कर रही है और येदियुरप्पा पर एक व्यक्ति की सरकार चलाने का आरोप लगाया गया है. येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत हासिल किया था.

‘8 दिन में काम पूरा करो, नहीं तो लोगों से कहकर धुलाई करा दूंगा’ – गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को लाल फीताशाही पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कुछ अफसरों को आज आगाह किया कि यदि चंद मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो वे लोगों से कहेंगे कि ‘धुलाई करो’.

केंद्रीय मंत्री गडकरी एमएसएमई सेक्टर में काम कर रहे संघ से जुड़े संगठन लघु उद्योग भारती के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. नागपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले गडकरी ने कहा, ‘हमारे यहां लाल फीताशाही क्यों है, क्यों ये निरीक्षक आते हैं और ‘हफ्ता’ लेते हैं. मैंने उन्हें उनके मुंह पर कहा, आप नौकर हैं, मैं लोगों द्वारा निर्वाचित हूं. मेरी जवाबदेही लोगों के प्रति है. अगर आप चोरी करेंगे, मैं कहूंगा कि आप चोर हैं.’

गडकरी के पास सड़क परिवहन, सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग की जिम्मेदारी है. सम्मेलन में शामिल उद्यमियों से गडकरी ने निडर होकर उनके कारोबार का विस्तार करने की बात की. वह इस बात पर भी बोले कि किस तरह सरकारी अधिकारियों द्वारा कारोबारियों को परेशान किया जा रहा है.

गडकरी ने कहा कि “आज मैंने यहां आरटीओ दफ्तर में एक बैठक की. निदेशक और परिवहन आयुक्त ने इसमें हिस्सा लिया. गडकरी ने कहा, ‘मैंने उन्हें बताया, आप इस समस्या को आठ दिनों में सुलझाइए, अन्यथा मैं लोगों से कहूंगा कि धुलाई करो. मेरे गुरु में मुझे यह सिखाया- ऐसी व्यवस्था को परे हटाओ जो न्याय न देती हो.” अपने मुखर बयानों के लिये चर्चा में रहने वाले नितिन ने यह नहीं बताया कि वह किस समस्या के संदर्भ में यह बात कह रहे थे.

मोदी शाह पर प्रियंका गांधी का जोरदार हमला, पूछा, ‘क्या देश में लोकतंत्र बचा है?’

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर शनिवार को पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर किस आधार पर जम्मू कश्मीर में उनकी पार्टी के नेताओं को हिरासत में लिया गया.

शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस इकाई के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने से रोके जाने के बाद शनिवार देर शाम प्रियंका गांधी ने सिलसिलेवार दो ट्वीट किए. पहले ट्वीट करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, ‘किस आधार पर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया गया? क्या मीडिया से बात करना गुनाह है? जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, जो भारत के संविधान का सम्मान तथा उसका पालन करते हैं, उन्हें हिरासत में 15 दिन हो गये हैं.’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसके अगले ट्वीट में हैशटैग ‘स्टॉप इलीगल अरेस्ट इन कश्मीर’ से ट्वीट किया, ‘यहां तक कि उनके परिवार वालों को भी उनसे बात करने की इजाजत नहीं है. क्या मोदी-शाह सरकार यह मानती है कि भारत अब भी लोकतंत्र है?’

इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने पार्टी के जम्मू कश्मीर प्रमुख गुलाम अहमद मीर को हिरासत में लिये जाने की आलोचना करते हुए शनिवार को इसे ‘बिल्कुल गैरकानूनी’ करार दिया. उन्होंने उम्मीद जतायी कि अदालतें इस मामले का संज्ञान लेंगी. अपने कई ट्वीट में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मीर शुक्रवार से जम्मू में अपने घर में नजरबंद हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘हिरासत में लेने का कोई लिखित आदेश नहीं था. बिल्कुल गैरकानूनी है. मैं उम्मीद करता हूं कि अदालतें कदम उठाएंगी और नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करेंगी.’

इससे पहले शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता रवींद्र शर्मा की गिरफ्तारी की खबर आई थी. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ‘मैं जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर और प्रवक्ता रवींद्र शर्मा को जम्मू में आज गिरफ्तार किए जाने की कड़ी निंदा करता हूं. एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के खिलाफ बेवजह के कार्रवाई से सरकार ने लोकतंत्र पर एक और हमला किया है. यह पागलपन कब खत्म होगा.’

गौरतलब है कि पांच अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था. जिससे जम्मू-कश्मीर को मिले सभी विशेषाधिकार खत्म हो गए हैं. इसका कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर की स्थानीय पार्टियां विरोध कर रही हैं.

UAPA में बदलाव के खिलाफ SC में याचिका

हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित हुए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) में संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट दाखिल याचिका में यूएपीए कानून में हुए हालिया बदलाव को चुनौती दी गई और यह मांग भी की गई कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के खिलाफ है. इस विधेयक के तहत सरकार उन लोगों को आतंकवादियों के तौर पर चिन्हित कर सकती है, जो आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हैं या फिर आतंक को बढ़ावा देते हैं.

गौरलतब है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) का बिल पास कराया गया. इसके तहत केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार है. इस नए कानून के मुताबिक केंद्र सरकार किसी भी व्यक्ति को आंतकवादी की श्रेणी में रख सकती है. चाहे वह व्यक्ति अकेले हो, या किसी संस्था से जुड़ा हो. दिल्ली के रहने वाले सजल अवस्थी ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि यूएपीए 2019 संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है.

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान बिल पर बहस करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल के महत्व के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि आतंकवादियों को व्यक्तिगत रूप से चिन्हित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे मामले सामने आ चुके हैं कि जब किसी आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगता है तो वे अलग नाम से संगठन बना लेते हैं.

हालांकि विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि यह सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है. जिससे इसका दुरुपयोग हो सकता है.

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