राजस्थान सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया है. यह लागू होने के बाद मॉब लिंचिंग में दोषी पाए जाने वालों को सख्त सजा का प्रावधान है. इस कानून के बनते ही सबसे पहले पहलू खान की मौत के छह आरोपियों को अदालत ने बेकसूर मानते गए छोड़ दिया. पहलू खान जयपुर से मवेशी खरीदकर अपने घर हरियाणा जा रहा था. रास्ते में अलवर जिले में उस पर भीड़ ने हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई.
गहलोत सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ बड़ी अदालत में अपील करने की बात कही है और पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की दुबारा से जांच करने के निर्देश दिए है. इसी बीच अलवर जिले में एक और मॉब लिंचिंग का मामला सामने आ गया है, जिसको लेकर गहलोत सरकार पसोपेश में नजर आ रही है और भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है.
अलवर जिले का यह दूसरा मॉब लिंचिंग का मामला चौपानकी थाना इलाके का है. मंगलवार 16 जुलाई की देर शाम 28 वर्षीय हरीश जाटव भिवाड़ी से अपने गांव झिवाणा जा रहा था. फलसा गांव के पास सड़क पार कर रही 55 वर्षीय महिला हकीमन पत्नी जमालुद्दीन उसकी बाइक से टकरा गई. इस पर लोगों ने उसे पीटना शुरू कर दिया और मरणासन्न स्थिति में सड़क पर छोड़ दिया. सूचना मिलने पर गश्ती पुलिस वहां पहुंची. लोगों की भीड़ लगी थी. बाइक अलग पड़ी थी और सड़क पर हरीश मार-पिटाई के बाद अचेत पड़ा था. मोबाइल के आधार पर उसकी पहचान हरीश जाटव के रूप में हुई. पुलिस उसे भिवाड़ी के अस्पताल ( सीएचसी-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) ले गई. वहीं हरीश की बाइक की टक्कर से घायल महिला को भी उसके परिजन प्राथमिक उपचार के लिए पहुंचे थे. हरीश को भिवाड़ी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.
अलवर पुलिस दिल्ली पहुंची और पोस्टमार्टम की कार्रवाई पूरी होने के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया. पुलिस का कहना था कि मॉब लिंचिंग जैसी कोई घटना नहीं थी. उधर चौपानकी पुलिस थाने में हरीश के नेत्रहीन पिता रतिराम ने 17 जुलाई को रिपोर्ट लिखवाई थी कि उसके पुत्र हरीश जाटव 16 जुलाई की शाम करीब सात बजे घर आ रहा था. रास्ते में फलसा गांव में उसकी बाइक उमरशेर के घर के पास किसी से भिड़ गई थी. वहां ठेकेदार उमरशेर उसके लोगों ने हरीश के साथ मारपीट की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया.
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दूसरे पक्ष की तरफ से 17 जून को जमालुद्दीन पुत्र नूर मोहम्मद ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 16 जुलाई की रात करीब 8.30 बजे उसकी पत्नी हकीमन सड़क पार कर रही थी. तेज गति से आ रहे हरीश जाटव ने हकीमन को टक्कर मार दी, जिससे वह बेहोश होकर गिर गई. बाइक चालक शराब के नशे में धुत था, जो बाइक से सड़क पर गिर गया और उसे जगह-जगह चोट आई.
बेटे की मौत के बाद रतिराम ने चीखते हुए आरोप लगाया कि हरीश की मौत भीड़ की पिटाई से हुई है. रतिराम का कहना था कि इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं थी. बाइक हल्की सी भिड़ी थी और महिला को भी गंभीर चोट नहीं आई है. हादसे के बाद हकीमन के परिजनों ने हरीश के साथ मारपीट की थी. पुलिस यह मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि भीड़ की पिटाई से मौत हुई है. पुलिस के रवैये से तंग आकर हरीश के पिता रतिराम ने पिछले गुरुवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली.शुक्रवार को हरीश की मौत का पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. इसके बाद जिला पुलिस अधीक्षक परिघ देशमुख ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को घटना की जानकारी दी और मॉब लिंचिंग जैसी किसी घटना से इनकार किया.
रतिराम की आत्महत्या के बाद उसके परिजनों और दलित समाज के लोगों ने टपूकड़ा सीएचसी के सामने धरना शुरू कर दिया और मांगे नहीं मानने तक रतिराम का शव लेने और उसका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. धरने पर बैठी हरीश की गर्भवती पत्नी ने चेतावनी दी कि मांगें नहीं मानी गई तो वह चार बेटियों के साथ आत्मदाह कर लेगी. इस धरने में भाजपा नेता भी शामिल हुए. अलवर के सांसद महंत बालकनाथ शनिवार को धरने पर बैठे लोगों से मिले और ढाढ़स बंधाया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और सर्किल अधिकारी को पद से हटाना चाहिए. अलवर में अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है. शनिवार को घटना के विरोध में टपूकड़ा और झिवाणा के बाजार भी बंद रहे. प्रदर्शनकारियों ने कई बार रास्ता रोकने का प्रयास किया. यह धरना तीन दिन चला और रविवार को कलेक्टर ने परिजनों को आश्वासन देकर धरना समाप्त करवाया.
अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और गहलोत सरकार की तरफ लोगों की निगाहें हैं कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाली सरकार इस मामले में क्या करती है. कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने परिजनों से कहा कि वह उनकी मांगें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचा देंगे. इसके बाद परिजनों ने रतिराम का पोस्टमार्टम करने की मंजूरी दी.
धरना समाप्त करवाने के बाद इंद्रजीत सिंह ने मीडिया को बताया कि पीड़ित पक्ष की किसी भी मांग को नहीं माना गया है, लेकिन सरकार तक उनकी मांग को पहुंचाने और मामले की उच्च स्तरीय जांच का आश्वासन दिया गया है. प्रशासन ने कोई लिखित समझौता नहीं किया है. पांच में से एक को भी पूरा करने का आश्वासन नहीं दिया है. जांच कितने दिन में पूरी होगी, इसकी समय सीमा भी तय नहीं है. प्रशासन पीडि़त परिवार को निजी कंपनी में नौकरी और सामाजिक संबल देने के लिए अपने स्तर पर सहयोग करेगा.
इस घटनाक्रम के बाद अब विभिन्न पार्टियों की राजनीति तेज हो गई है. सवाल उठ रहे हैं कि गहलोत सरकार का रवैया इस घटनाक्रम पर क्या रहेगा? क्या नए बने मॉब लिंचिंग विरोधी कानून के तहत कार्रवाई होगी? या उच्च स्तरीय जांच के नाम पर समय व्यतीत किया जाएगा. घटना 16 जुलाई की शाम की है. महिला से बाइक टकराई, जिस पर मारपीट हुई, बाइक चालक हरीश जाटव घायल हुआ और उसकी मौत हुई. यह एक तथ्य है. बाइक चालक के पिता ने पिटाई से मौत होने का आरोप लगाया जो पुलिस ने नहीं माना. बाइक चालक के पिता ने आत्महत्या कर ली. अब पुलिस का कहना है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है. फिर पुलिस इसे किस तरह का मामला मानती है?
बसपा विधायक संदीप यादव ने कहा कि प्रशासन और सरकार पीड़ित के साथ है. उन्हें न्याय दिलाया जाएगा. भाजपा ने इस मामले में राजनीति कर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की है. वहीं भाजपा नेता रामकिशन मेघवाल ने कहा कि जिला कलेक्टर ने पीडि़त परिवार से समझौता किया है. एक सप्ताह में मांग पूरी करने की बात की है, लेकिन अंतिम वार्ता कलेक्टर ने पीड़ित परिजनों से सीधी की है.