हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित हुए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) में संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट दाखिल याचिका में यूएपीए कानून में हुए हालिया बदलाव को चुनौती दी गई और यह मांग भी की गई कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के खिलाफ है. इस विधेयक के तहत सरकार उन लोगों को आतंकवादियों के तौर पर चिन्हित कर सकती है, जो आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हैं या फिर आतंक को बढ़ावा देते हैं.
गौरलतब है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) का बिल पास कराया गया. इसके तहत केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार है. इस नए कानून के मुताबिक केंद्र सरकार किसी भी व्यक्ति को आंतकवादी की श्रेणी में रख सकती है. चाहे वह व्यक्ति अकेले हो, या किसी संस्था से जुड़ा हो. दिल्ली के रहने वाले सजल अवस्थी ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि यूएपीए 2019 संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है.
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान बिल पर बहस करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल के महत्व के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि आतंकवादियों को व्यक्तिगत रूप से चिन्हित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे मामले सामने आ चुके हैं कि जब किसी आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगता है तो वे अलग नाम से संगठन बना लेते हैं.
हालांकि विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि यह सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है. जिससे इसका दुरुपयोग हो सकता है.