ऑनलाइन पोर्नोग्राफी पर सख्त सांसद हनुमान बेनीवाल, मोदी सरकार से की रोक लगाने की मांग

महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ हिंसा को बढ़ाना देने वाले कंटेंट पर जताई चिंता, ऑनलाइन पोर्नोग्राफी व उससे जुड़ी हानियों पर प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता बताई

hanuman beniwal on online pornography
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नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन पोर्नोग्राफी पर केंद्र सरकार से रोक लगाने की मांग की है. लोकसभा के शीतकालीन सत्र में उनके द्वारा यह मांग उठाई गयी थी. उन्होंने कहा कि कानून, नियम, तकनीक और जागरूकता के स्तरों पर प्रभावी उपाय करने से ही ऑनलाइन पोर्नोग्राफी व उससे जुड़ी हानियों पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा. इस संबंध में उन्होंने सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बच्चों तक ऐसी सामग्री पहुंचने से रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में भी जानकारी पूछी.

बेनीवाल के सवाल पर जवाब देते हुए इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि मंत्री ने यह भी बताया कि आईटी अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021) ने मिलकर डिजिटल स्पेस में गैरकानूनी और हानिकारक सामग्री से बचने के ढांचा तैयार किया है, यह जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मध्यस्थों पर स्पष्ट दायित्व लगाता है.

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उन्होंने कहा कि आईटी अधिनियम विभिन्न साइबर अपराधों जैसे पहचान की चोरी (धारा 66ख), प्रतिरूपण (धारा 66घ), गोपनीयता उल्लंघन (धारा 66ड़), अश्लील या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने (धारा 67, 67क, 67ख) के लिए सजा प्रदान करता है. यह पुलिस को अपराधों की जांच करने (धारा 78), सार्वजनिक स्थान पर प्रवेश करने और संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी लेने और गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. आईटी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और आईटी नियम, 2021 सोशल मीडिया मध्यस्थों सहित मध्यस्थों पर उचित परिश्रम दायित्वों को डालते हैं, और उन्हें इन दायित्वों को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता होती है ताकि गैरकानूनी सामग्री की होस्टिंग या प्रसारण को रोका जा सके.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 8785, राजस्थान हाईकोर्ट में एक लाख से अगले मामले विगत 10 वर्षों से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट में 7449 मामले सिविल तथा 1306 मामले दांडिक श्रेणी व राजस्थान हाईकोर्ट में 2,39,941 मामले सिविल तथा 2,04,343 मामले दांडिक श्रेणी के है जो दस वर्षों से लंबित है. यह जानकारी केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने साझा की. इसके बाद सांसद बेनीवाल ने अपने मूल सवाल में जनहित याचिका से जुड़े फैसलों में हो रही अवमानना से जुड़े मामलों में निगरानी तंत्र बनाने की मांग भी सरकार से की.

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