लोस अध्यक्ष ओम बिरला से मिले सांसद हनुमान बेनीवाल, अरावली पर्वतमाला को लेकर जताई चिंता

भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमाला अरावली के मौजूदा हालातों पर हस्तक्षेप करने की मांग उठाई, सुप्रीम कोर्ट से भी फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील

nagaur mp hanuman beniwal meet loksabha president om birla
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नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल अरावली पर्वतमाला के वर्तमान हालातों पर गहरी चिंता जताई है. इस मसले को लेकर नागौर सांसद ने दिल्ली पहुंच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है. बेनीवाल ने लोस अध्यक्ष के समक्ष कहा कि वर्तमान में अरावली पर्वतमाला गंभीर संकट से जूझ रही है और इन सब हालतों के मध्य भारत सरकार द्वारा गठित एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की परिभाषा ही बदल दी जिससे इस पर्वतमाला के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. सांसद ने मामले में लोकसभा के स्तर से हस्तक्षेप करने की मांग की. बेनीवाल ने मीडिया को बताया कि अध्यक्ष महोदय ने जल्द ही सक्षम स्तर पर इस बात को रखने का भरोसा​ दिलाया है.

सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील

आरएलपी चीफ हनुमान बेनीवाल ने विस्तृत चर्चा में बताया कि अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए उठ रही आवाज किसी एक पहाड़ी को बचाने का विषय नहीं है बल्कि यह जनस्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है. दिल्ली -एनसीआर से लेकर हरियाणा व राजस्थान के एक दर्जन जिलों मे फैली अरावली पर्वतमाला भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और दिल्लीएनसीआर के लिए यह सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि जल, वायु और जैव-विविधता की जीवनरेखा है.

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बेनीवाल ने आगे कहा, ‘मुझे आश्चर्य इस बात का है कि एक तरफ देश का उच्चतम न्यायालय ने  दिल्ली-एनसीआर की हवा को बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण ‘स्वास्थ्य आपातकाल’ कहते हुए प्रदूषण रोकने के लिए जल्दी कदम उठाने की बात कही. दूसरी तरफ, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ही अरावली की जो नई परिभाषा तय की है वो अरावली को बर्बाद करने की एक नई परिभाषा बनेगी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को पुनर्विचार करना चाहिए.’

प्रदेश की लाइफ लाइन है अरावली

नागौर सांसद ने बताया कि विगत कुछ दशको में अरावली की पहाड़ियों का विनाश इतने बड़े पैमाने पर हुआ है कि राजस्थान में अजमेर से झुंझनू और हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले तक फैली अरावली में 12 से ज्यादा दरारें खुल गई है. सांसद ने दावा किया कि अरावली की नई परिभाषा से खनन को बढ़ावा मिलेगा, पहाड़ियां जमीदोज हो जाएगी और भारत की प्राचीन पर्वतमाला निरंतरता खो देगी. उन्होंने ये भी कहा कि अरावली राजस्थान की भी लाइफ लाइन और पहचान है क्योंकि इस पर्वतमाला की 692 किलोमीटर लंबाई में से लगभग 550 किमी. राजस्थान से गुजरती है. अरावली का नुकसान होने से मरुस्थल का विस्तार होगा, गर्म हवाओं का व्यापक असर राजस्थान मे बढ़ेगा और बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसून से होने वाली बारिश भी प्रभावित होगी. इससे निकलने वाली नदियां भी लुप्त होगी. ऐसे में सांसद बेनीवाल ने लोकसभा अध्यक्ष को घटनाक्रम से अवगत कराते हुए उपयुक्त हल निकाले जाने की गुहार लगाई है.

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