पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हाथों कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. चार में से तीन राज्यों में बीजेपी ने एक तरफा सरकार बनायी है. पिछले विधानसभा चुनावों में इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने एक तरफा जीत हासिल की. हालांकि दक्षिण राज्यों में बीजेपी ऐसा करने से चूक गयी. यहां कांग्रेस को सत्ताधारी केसीआर की बीआरएस को उखाड़ फेंकने में कामयाबी मिली. हालांकि कांग्रेस बहुमत (66) के जादूईआंकड़े को हासिल करने से दूर रह गयी. तेलंगाना में कांग्रेस को 64 सीटों पर विजयश्री मिली है. शेष तीन राज्य कांग्रेस के हाथों से फिसल गए. मिजोरम में सोमवार को मतगणना होनी है.
राजस्थान में नहीं चला ‘जादूगर’ का जादू
राजस्थान में जब सुबह शुरुआती रूझान आए थे, तब मुकाबला कांटे का बताया जा रहा था लेकिन दो से तीन घंटों में ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो गयी. बीजेपी ने यहां एक तरफा जीत हासिल करते हुए कांग्रेस को 70 सीटों के अंदर ही सिमेट दिया. खबर लिखे जाने तक कांग्रेस को 199 में से 69 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी 115 के पार है जबकि अन्य के खाते में 15 सीटें आयी है. पिछले विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस को 30 सीटों का नुकसान हुआ है जबकि बीजेपी 42 सीटों के फायदे में है. अन्य को 12 सीटें कम मिली है. राजस्थान में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण सरकार में 17 मंत्रियों की हार माना जा सकता है.
राजस्थान कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ एवं दिग्गज नेताओं सहित सरकार में 17 मंत्रियों को करारी हार का सामने करना पड़ा है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को नाथद्वारा, सरकार में मंत्री और सिविल लाइंस से प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास, मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, मंत्री ममता भूपेश, मंत्री बीडी कल्ला, कामां से जाहिदा खान, अंता से प्रमोद जैन भाया, मंत्री एवं लालसोट से प्रत्याशी परसादीलाल मीणा, मालवीय नगर से प्रत्याशी अर्चना शर्मा को लगातार तीसरी बार, मानवेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, महेंद्र चौधरी, सालेह मोहम्मद, भवंर सिंह भाटी, गोविंद मेघवाल, बगरू से गंगा देवी, सांगानेर से पुष्पेंद्र भारद्वाज, विद्याधर नगर से सीताराम अग्रवाल, ओसियां से दिव्या मदेरणा, विराट नगर से इंद्राज गुर्जर और पूर्व मंत्री एवं केकड़ी से प्रत्याशी रघु शर्मा को शिख्स्त मिली है. वहीं शांति धारीवाल, किशनपोल से अमीन कागजी, आमेर से प्रशांत शर्मा, हिंडौली से अशोक चांदना, आदर्श नगर से रफीक खान, किशनपोल से अमीन कागजी, तारानगर से नरेंद्र बुढ़ानिया, चौमूं से कांग्रेस प्रत्याशी शिखा मिल, लाडनू से मुकेश भाकर, फुलेरा से विद्याधर सिंह, मुंडावर से ललित यादव, परबतसर से रामनिवास गावड़िया को जीत मिली है.
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वहीं विद्याधर नगर विधानसभा से बीजेपी की दीया कुमारी, झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांगानेर से भजन लाल शर्मा, मालवीय नगर से कालीचरण सर्राफ, सिविल साइंस से गोपाल शर्मा, हवामहल से बाल मुकुंदाचार्य, तिजारा से बाबा बालकनाथ को विजयश्री हासिल हुई है. बीजेपी के विधानसभा चुनावों में उतारे गए सात में से तीन सांसदों को हार का सामना करना पड़ा है. राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह, दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ जीते जबकि सांसद भागीरथ चौधरी, सांसद नरेंद्र खींचड़ और सांसद देवजी पटेल को हार का सामना करना पड़ा है. पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद चित्तौड़गढ़ से बीजेपी के दिग्गज नरपत सिंह राजवी और बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उपेन यादव की शाहपुरा से जमानत जब्त हुई है. राजवी को बीजेपी के बागी चंद्रभान आक्या ने हराया। शिव विस सीट से पार्टी के बागी रवींद्र भाटी ने जीत हासिल की। नागौर में ज्योति मिर्धा को हार का सामना करना पड़ा.
अन्य में भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के सबसे ज्यादा तीन प्रत्याशी जीते। बसपा को दो सीटों पर जीत मिली है. खींवसर सीट से आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल जीते हैं. 8 सीटों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है. सरकार में मंत्री रहे और शिवसेना प्रत्याशी राजेंद्र सिंह गुढ़ा को उदयपुरवाटी से हार का सामना करना पड़ा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन पहुंच राज्यपाल को अपनी इस्तीफा सौंपा दिया है.
मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की अपेक्षाओं के विपरीत कांग्रेस का यहां से सूपड़ा साफ हो गया है. यहां कमलनाल एंड कंपनी की हालत राजस्थान से भी खराब रही. 230 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 67 सीटों पर सिमटते हुए नजर आ रही है. बीजेपी को 164 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई है. अन्य के खाते में केवल एक सीट है. कांग्रेस के कमलनाथ को छिड़वाड़ा से जीत मिली है. बीजेपी की ओर से शिवराज सिंह चौहान भी अपनी सीट से विजयी हुए हैं. बीजेपी को मिली जीत से गदगद हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता जनार्दन को नमन किया है और अपने कार्यकर्ताओं का आभार जताया है. वहीं शिवराज सिंह चौहान ने बंपर जीत के लिए लाड़ली बहनों का आभार जताया है.
छत्तीसगढ़ में जीती बाजी हारी कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में शुरुआती दो घंटों के रूझानों में छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस सरकार बनते नजर आ रही थी लेकिन अचानक स्कोर बोर्ड ने पलटी मारी और सारा फैसला बीजेपी के पक्ष में चला गया. यहां सीएम भूपेश बघेल पाटन से जीते लेकिन डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव अंबिकापुर विधानसभा सीट से हार गए. यहां से बीजेपी उम्मीदवार राजेश अग्रवाल ने जीत हासिल की. बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच में काफी वक्त से अनबन चल रही थी. इसी को भांपते हुए कांग्रेस ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाया था. हालांकि वे खुद अपनी ही सीट नहीं बचा सके. यहां भी बघेल सरकार के कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. दुर्ग ग्रामीण से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को बीजेपी के ललित चंद्राकर ने हराया. भिलाई नगर से देवेंद्र यादव भी हार गए. बीजेपी ने राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा में से बीजेपी को 54 सीटें मिली है जबकि बीजेपी 68 के मुकाबले 35 सीटों पर सिमट गयी है.
तेलंगाना में चल गया कांग्रेस का जादू
चार राज्यों में केवल तेलंगाना ही एक मात्र राज्य रहा जिसमें कांग्रेस को जीत मिली. 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस फिलहाल बहुमत से दो सीट पीछे चल रही है. कांग्रेस को 64 सीटें मिली है. सत्ताधारी केसीआर की बीआरएस पार्टी को 49 सीटों का नुकसान हुआ है. पार्टी को 39 सीटें मिली है. बीजेपी को एक के मुकाबले 8 और AIMIM को 7 सीटों पर जीत मिली है. AIMIM ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. अन्य के खाते में केवल एक सीट गयी है.
गौरतलब है कि एग्जिट पोल रुझानों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में कांग्रेस जबकि राजस्थान व मध्यप्रदेश में कांग्रेस बनाम बीजेपी टक्कर का मुकाबला बताया जा रहा था. हालांकि स्थितियां इससे काफी विपरीत रही. राजस्थान में कांग्रेस पिछले चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से भी कमतर रह गयी. मध्यप्रदेश में तो बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस आधी सीटें भी जीतने में कामयाब नहीं रही. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस का प्रदर्शन औसत से भी कम रहा है. तेलंगाना ने कांग्रेस की इज्जत जरूर रखी है लेकिन यहां भी पार्टी संगठन बहुमत से थोड़ा सा पीछे रह गया है. अब कांग्रेस आत्ममंथन की बात कह रही है. वहीं बीजेपी का दक्षिण राज्य में सत्ता हासिल करने का सपना एक बार फिर से अधूरा रह गया है.