Wednesday, January 22, 2025
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25 सितंबर के विद्रोह से शुरू हो गया था खेल’- हार के बाद बदले लोकेश शर्मा के सुर, गहलोत को कटघरे में किया खड़ा

सत्ता जाते ही गहलोत के OSD लोकेश शर्मा ने दिखाए तेवर, अशोक गहलोत पर लगाए कई गंभीर आरोप, 25 सितंबर की घटना को बोले लोकेश, कहा- 25 सितंबर की घटना भी पूरी तरह से प्रायोजित थी जब आलाकमान के खिलाफ़ विद्रोह कर अवमानना की गई और उसी दिन से शुरू हो गया था खेल..

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Osd Lokesh Sharma on Gehlot: राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता जाते ही हार का ठीकरा फोड़ने का काम शुरू हो चुका है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने प्रदेश में कांग्रेस की हार का जिम्मेदार खुद अशोक गहलोत को ही बताया है. इसके साथ ही लोकेश शर्मा अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप भी लगाते हुए कहा है कि 25 सितंबर की घटना प्रायोजित थी.

लोकेश शर्मा ने एक्स पर लंबा पूरा पोस्ट कर लिखा कि लोकतंत्र में जनता ही माई-बाप है और जनादेश शिरोधार्य है, विनम्रता से स्वीकार है. मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ.
कांग्रेस पार्टी राजस्थान में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे. यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत की शिकस्त है.

लोकेश शर्मा ने आगे लिखा कि गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे. न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया. तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया. आज तक पार्टी से सिर्फ़ लिया ही लिया है, लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी गहलोत नहीं करवा पाए.

यह भी पढ़ें: मरुधरा में नहीं बदला रिवाज! राज बदलने की पूरी घटनाक्रमों पर सियासी टिप्पणी

लोकेश शर्मा ने इसके साथ ही लिखा कि आलाकमान के साथ फ़रेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुँचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद, आज के ये नतीजे तय थे. मैं स्वयं मुख्यमंत्री को यह पहले बता चुका था, कई बार आगाह कर चुका था लेकिन उन्हें कोई ऐसी सलाह या व्यक्ति अपने साथ नहीं चाहिए था जो सच बताए.

मैं छः महीने लगातार घूम-घूम कर राजस्थान के कस्बों-गांव-ढाणी में गया, लोगों से मिला, हजारों युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किये, लगभग 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट सीएम को लाकर दी, ज़मीनी हक़ीकत को बिना लाग-लपेट सामने रखा ताकि समय पर सुधारात्मक कदम उठाते हुए फैसले किये जा सकें जिससे पार्टी की वापसी सुनिश्चित हो. मैंने खुद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, पहले बीकानेर से फिर सीएम के कहने पर भीलवाड़ा से, जिस सीट को हम 20 साल से हार रहे थे, लेकिन ये नया प्रयोग नहीं कर पाए और बीडी कल्ला के लिए मैंने 6 महीने पहले बता दिया था कि वे 20 हजार से ज्यादा मत से चुनाव हारेंगे और वही हुआ. अशोक गहलोत के पार्ट पर इस तरह फैसले लिए गए कि विकल्प तैयार ही नहीं हो पाए. 25 सितंबर की घटना भी पूरी तरह से प्रायोजित थी, जब आलाकमान के खिलाफ़ विद्रोह कर अवमानना की गई और उसी दिन से खेल शुरू हो गया था.

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