‘जयचंदों के सामने गिरवी पड़ी है बीजेपी’- सिंधिया समर्थक सिलावट व राजपूत के मंत्री बनने पर कांग्रेस का तंज

सिंधिया समर्थित गोविन्द सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट ने ली मंत्री पद की शपथ, लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ विधयकों ने बढ़ाई सीएम शिवराज की मुश्किलें, 'मध्य प्रदेश में एक मजबूत नहीं ,बल्कि असहाय और मजबूर मुख्यमंत्री कुर्सी पर है विराजमान, प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा भारी दबाव है में- कांग्रेस

'BJP is mortgaged in front of Jaichand' - Congress
'जयचंदों के सामने गिरवी पड़ी है बीजेपी'- कांग्रेस

Politalks.News/MadhyaPradesh. आखिरकार लम्बे अंतराल के बाद मध्यप्रदेश सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो ही गया. 3 जनवरी को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सिंधिया समर्थित गोविन्द सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मंत्री पद की शपथ दिलाई. मध्यप्रदेश उपचुनाव के करीब 53 दिन बाद शिवराज कैबिनेट का विस्तार हुआ है, लेकिन इसके बावजूद भी शिवराज सिंह की मुसीबते कम होने का नाम नहीं ले रही. सिंधिया समर्थित विधायकों को शिवराज कैबिनेट में जगह तो मिल गई है लेकिन अब भी कैबिनेट के चार मंत्री पद खाली है और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बहुत पहले से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर इसे लेकर दबाव बना रहे थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. मंत्री मंडल विस्तार को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसा लग रहा है कि आज बीजेपी कुछ जयचंदों व आयातित लोगों की पार्टी होकर उनके सामने गिरवी पड़ी है’.

राजयपाल आनंदी बेन पटेल रविवार को भोपाल पहुंची और राजभवन में शिवराज सरकार के कैबिनेट विस्तार के लिए कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आया ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थित गोविन्द सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. माना जा रहा है कि दोनों को पूर्व के विभागों की ही जिम्मेदारी मिल सकती है. आपको बता दें कि पूर्व में गोविन्द सिंह राजपूत के पास परिवहन विभाग का जिम्मा था, तो वहीं तुलसी सिलावट के जल संसाधन विभाग का जिम्मा था. सिलावट और राजपूत के शपथ के बाद शिवराज कैबिनेट के 4 पद अभी भी खाली हैं.

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भाजपा के कई दिग्गज नेता इन पदों की दौड़ में शामिल थे. इनमें रामपाल सिंह, मालिनी गौड़, रमेश मेंदोला, राजेंद्र शुक्ल, गिरीश गौतम, केदारनाथ शुक्ला, गौरीशंकर, बिसेन, संजय पाठक, अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल, सीतासरण शर्मा और हरिशंकर खटीक थे, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मंत्री रह चुके थे. सिंधिया समर्थकों के चलते इस बार इन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. शिवराज कैबिनेट में फिलहाल 11 सिंधिया समर्थक विधायक मंत्री हैं.

शिवराज कैबिनेट के विस्तार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया कॉर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने मंत्रिमंडल के पुनर्गठन पर सवाल उठाते हुए कहा ‘मध्य प्रदेश में एक मजबूत नहीं ,बल्कि असहाय और मजबूर मुख्यमंत्री कुर्सी पर विराजमान है. भाजपा की इतनी दयनीय स्थिति पहले कभी नहीं देखी? ऐसा लग रहा है कि आज बीजेपी कुछ जयचंदों व आयातित लोगों की पार्टी होकर उनके सामने गिरवी पड़ी है’.

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सलूजा ने कहा कि ‘जब मंत्रिमंडल में 6 पद खाली हैं, तब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करना और उसमें भी सिंधिया समर्थक सिर्फ दो ही मंत्रियों को शामिल करना यह बता रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा भारी दबाव में है जबकि भाजपा के कई योग्य विधायक, मंत्री बनने की कतार में थे, लेकिन उनका हक मार कर दो आयातित लोगों को ही शामिल करने से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा में अब ईमानदार, निष्ठावान, योग्य और टिकाऊ लोगों के लिए कोई स्थान नहीं बचा है’.

वहीं इस पर पलटवार करते हुए गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि कांग्रेस के नेता पहले देश भर में सिमट रही अपनी पार्टी की हालत पर चिंता करें. क्योंकि, समय रहते यदि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया की बातों पर ध्यान देते या उनको उचित सम्मान देते तो आज कांग्रेस पार्टी की यह दुर्दशा नहीं होती.

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शिवराज सिंह चौहान के लिए अब सबसे बड़ी मुसीबत नए और पुराने बीजेपी नेताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की होगी. यही वजह है कि बीजेपी अपने वरिष्ठ नेताओं को रिक्त चार मंत्री पदों पर शामिल करना चाहती है. इसकी एक वजह यह भी है कि प्रदेश के निगम बोर्ड की कमान अब विभाग के मंत्रियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दे दी है, जिसके चलते निगम बोर्ड में भी समायोजित करने का भी मौका नहीं रह गया है. इसीलिए शिवराज सरकार के सामने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को साधकर रखने की चुनौती है.

आपको बता दें कि पिछले साल मार्च में सरकार गठन के बाद सबसे पहले 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी. फिर 2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने शपथ ली. इस तरह से राज्य में कुल 33 मंत्री हो गए थे. एमपी कैबिनेट में मुख्यमंत्रियों समेत मंत्रियों की संख्या अधिकतर 34 हो सकती है. मौजूदा समय में शिवराज कैबिनेट में छह मंत्री पद के जगह खाली थे, लेकिन दो ही मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है.

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