बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटकर लाने वाले को मैं दूंगा 10 करोड़ रुपए का ईनाम- परमहंस आचार्य

चंद्रशेखर ने रामायण पर आधारित महाकाव्य और हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस को लेकर कहा- यह पुस्तक समाज में फैलाती है नफरत, क्यों कि रामचरितमानस में कहा गया है कि जिस तरह दूध पीकर सांप जहरीला हो जाता है, वैसे ही निचली जाति के लोग शिक्षा पाकर हो जाते हैं जहरीले,' रामचरितमानस का अपमान नहीं होगा बर्दाश्त, मंत्री को पद से करें बर्खास्त, मांगें माफी और अगर माफी नहीं मांगी तो..- जगद्गुरु परमहंस आचार्य

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Jagadguru Paramhans Acharya on Minister Chandrashekhar. देश में सबसे ज्यादा जहरीली और विकृत मानसिकता वाली अगर कोई जुबान हो सकती है तो वो हमारे राजनेताओं की जुबान हो सकती है, ऐसा एक सुधिजन ने इसलिए कहा कि बिहार के मंत्री और वो भी शिक्षा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर के द्वारा हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर बहुत ही बेहूदा टिप्पणी की गई. अब चूंकि एक तो टिप्पणी बेहूदा ऊपर से धर्म को लेकर तो फिर विवाद खड़ा होना भी वाजिब है. खैर, अब बात करें देश के संतों की तो उनको देश के कानून विश्वास करना चाहिए, सीधे मरने मारने की बातें. खुद करें तो भी समझ आए, अपने अनुयायियों और आमजन को भड़काना ये कौनसे ग्रन्थ में लिखा है? बिहार के मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री को न सिर्फ पद से बर्खास्त करने की मांग की बल्कि सार्वजनिक रूप से माफी की मांग भी की है. यहां तक तो ठीक है लेकिन संत महाराज ने तो मंत्री जी द्वारा माफी नहीं मांगने पर चंद्रशेखर की जीभ काटने वालों को 10 करोड़ का इनाम देने का विवादित ऐलान भी कर दिया.

अब आपको बताते हैं आखिर बिहार की नीतीश कुमार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने आखिर कौनसा जुबानी जहर उगला, चंद्रशेखर ने रामायण पर आधारित एक महाकाव्य और हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस को लेकर कहा कि यह पुस्तक समाज में नफरत फैलाती है. बीते बुधवार को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया. मंत्री जी ने कहा कि, “मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एक बड़े तबके को बहुत सारी गालियां दी गई थीं. रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस हिस्से का विरोध किया गया? इसमें निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी. रामचरितमानस में कहा गया है कि जिस तरह दूध पीकर सांप जहरीला हो जाता है, वैसे ही निचली जाति के लोग शिक्षा पाकर जहरीले हो जाते हैं.”

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यही नहीं मंत्री चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि मनुस्मृति और रामचरितमानस ऐसी पुस्तकें हैं जो समाज में नफरत फैलाती हैं क्योंकि यह समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकती हैं. चंद्रशेखर ने कहा, “मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स… ये किताबें ऐसी किताबें हैं जो नफरत फैलाती हैं, नफरत से देश महान नहीं बनेगा, प्यार से देश महान बनेगा.”

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अब मंत्री जी के इस विवादित बयान पर संत समाज ने गहरी नाराजगी जाहिर की है. अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने पलटवार करते हुए कहा कि, ”बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाली किताब बताया है उससे पूरा देश आहत है. यह सभी सनातनियों का अपमान है. मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं और उन्हें पद से बर्खास्त किया जाए. एक सप्ताह के भीतर मंत्री को माफी मांगनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं.’ यही नहीं आचार्य ने आगे कहा कि, ”इस तरह की टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. रामचरितमानस तोड़ने वाला नहीं, जोड़ने वाला ग्रंथ है, यह मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है. यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है, यह हमारे देश का गौरव है. रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”

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