शिक्षा विभाग की ओर से अभिभावकों का बड़ी राहत, छात्रों से 60 फीसदी ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे निजी स्कूल

सरकार ने कहा- सिलेबस कम किया तो कम करनी होगी फीस, ऑनलाइन पढ़ाई के शुल्क पर भी होगी कटौती, फीस वसूलने के लिए भी रखी शर्तें, निजी स्कूलों ने फैसले पर जताई नाराजगी, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में प्रोग्रेसिव एसोसिएशन

Rajasthan Cm Ashok Gehlot
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PoliTalks.News/Rajasthan. राजस्थान शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के लिए बड़ी राहत दी है. शिक्षा विभाग ने बुधवार को निजी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड के छात्रों की ट्यूशन फीस में 30 फीसदी और राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थियों की फीस में 40 फीसदी की कटौती करने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल ये आदेश 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए लिया गया है. आदेश के अनुसार सीबीएसई ने 9वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 30 फीसदी की कटौती की है जिसके चलते स्कूल ट्यूशन फीस को कम करने का निर्देश दिया गया है. निजी स्कूलों को फीस वसूलने के लिए यह शर्त होगी कि वह कार्मिकों और शिक्षकों को निर्धारित वेतन का भुगतान करेगा. कोविड के कारण किसी की छंटनी नहीं होगी, साथ ही यदि किसी छात्र ने फीस का भुगतान नहीं किया है तो उसकी टीसी नहीं काटी जा सकेगी.

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पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूलों में अभी नहीं बुलाया गया है इसलिए इनके संबंध में स्कूल खुलने पर निर्णय लिया जाएगा. जितने पाठ्यक्रम में कटौती होगी, उसी आधार पर फीस में कटौती कर दी जाएगी. स्कूल खुलने पर विद्यार्थियों से केवल ट्यूशन फीस ही ली जा सकेगी. अभिभावकों को फीस जमा कराने का मासिक और त्रैमासिक भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराना होगा.

सरकार ने अपने आदेश में कहा कि निजी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 60 फीसद तक शुल्क ले सकते हैं. स्कूलों में चल रही ऑनलाइन पढाई का शुल्क लिया जा सकेगा. इस शुल्क का नाम कैपेसिटी बिल्डिंग शुल्क रखा गया है. यह शुल्क किसी कक्षा के लिए निर्धारित शुल्क का 60 फीसदी होगा. स्कूल को ऑनलाइन पढ़ाई नहीं करने वाले विद्यार्थियों का भी सिलेबस पूरा कराना होगा. ऑनलाइन कक्षा नहीं लेने की स्थिति में कैपेसिटी बिल्डिंग शुल्क नहीं लिया जा सकेगा.

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शिक्षा विभाग के इन आदेशों का निजी स्कूलों ने विरोध किया है. प्रोग्रेसिव एसोसिएशन स्कूल ऑफ राजस्थान ने कहा कि कमेटी का फैसला ठीक नहीं है. यह भेदभावपूर्ण है. अगर इसे लागू किया गया तो हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. प्रोग्रेसिव एसोसिएशन का ये भी कहना है कि फीस में इतनी ज्यादा कटौती की गई तो स्कूल शिक्षकों और स्टाफ को वेतन कैसे दे पाएंगे. पूरी मेहनत से बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए. यह निर्णय एकतरफा है.

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इस तरह से होगा स्कूल का फीस का गणित

  • पिछले सत्र के आधार पर फीस तय होगी.
  • सत्र 2020-21 में यूनिफार्म नहीं बदलेगी.
  • अभिभावक द्वारा दी गई ट्यूशन फीस या कैपेसिटी बिल्डिंग शुल्क की रसीद देनी होगी, साथ ही इसमें कटौती का उल्लेख करना होगा.
  • लैब, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी का उपयोग नहीं होने से इनका शुल्क नहीं लिया जा सकेगा.
  • विद्यार्थी बाल वाहिनी का उपयोग करता है तो परिवहन शुल्क ले सकेंगे जो पिछले सत्र से अधिक नहीं होगा. यह स्कूल खुलने पर शेष कार्यदिवसों के अनुपात में तय होगा.
  • पिछले सत्र 2019-20 का बकाया शुल्क भी अभिभावक मासिक किश्तों में दे सकेंगे.
  • किसी भी विद्यार्थी को बोर्ड पंजीयन के लिए रोका नहीं जा सकेगा. भले ही उसने ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड नहीं की हों.
  • यदि किसी छात्र ने फीस का भुगतान नहीं किया है तो टीसी नहीं काटी जा सकेगी.
  • निजी स्कूलों को फीस वसूलने के लिए यह शर्त होगी कि वह कार्मिकों और शिक्षकों को निर्धारित वेतन का भुगतान करेगा. कोविड के कारण किसी की छंटनी नहीं होगी.

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बता दें, कोविड-19 महामारी और कोरोना संकट के चलते पिछले 8 महीने से स्कूल और कॉलेज बंद हैं. अब सरकार सुरक्षा साधनों के साथ 2 नवंबर को स्कूल को तीन चरणों में खोलने की योजना बना रही है. दो नवंबर से 10वीं और 12वीं की कक्षाएं खोली जाएंगी. दूसरे चरण में कक्षा 6 से 9 व 11 के लिए और दूसरे व अंतिम चरण में पहली से 5वीं तक के बच्चों को स्कूल बुलाया जा सकता है. शिक्षा विभाग ने स्कूल खोलने को लेकर भी विस्तृत एसओपी तैयार करके सरकार को भिजवाई है. स्कूल खोलने के साथ ही पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया जाएगा. विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए गाइडलाइन भी प्रस्तावित की गई है.

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