महाराष्ट्र (Maharastra) एवं हरियाणा विधानसभा चुनावों (Haryana Assembly Election-2019) के साथ राजस्थान (Rajasthan) सहित अलग-अलग राज्यों की खाली सीटों पर विधानसभा उप चुनावों (By-Election 2019) की घोषणा हो चुकी है. 21 अक्टूबर को 17 राज्यों की 64 सीटों पर उप चुनाव होने है. इनमें 63 विधानसभा और एक लोकसभा सीट शामिल है. हालांकि BJP-Congress के साथ सभी राजनीतिक पार्टियों उप चुनावों को गंभीरता से ले रही हैं लेकिन ये भी सच है कि उप चुनावों के परिणाम प्रदेश सरकारों की सेहत पर असर डालने वाले साबित होंगे.

कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सीटों पर उप चुनाव होने हैं. कर्नाटक (Karnataka) में 15 और यूपी की 11 सीटों पर चुनावी दंगल होना है. कर्नाटक में अल्पमत के चलते एचडी कुमारस्वामी (HD KumaraSwamy) की जेडीएस-कांग्रेस (JDS-Congress Alliance) की गठबंधन सरकार गिर गयी. वजह रही कि दोनों पार्टियों के 15 विधायकों ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. दो सीटें पहले से खाली हैं. अब 207 सीटों वाली विधानसभा में 106 विधायकों के साथ बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार (Yediyurappa Government) पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज है. इन सभी 15 सीटों पर जीते हुए विधायक एक बार फिर सत्ता पलटने का दम रखते हैं. गौर करने वाली ये है कि जो विधायक इन सीटों से जीते हुए हैं, उनमें से 12 विधायक कांग्रेस और तीन जेडीएस के हैं. ये सभी अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं.

अब समस्या ये है कि इन 15 सीटों के बाद कर्नाटक में विधानसभा सीटों की संख्या 222 पर पहुंच जाएगी और बहुमत के लिए चाहिए होंगी 112 सीटें. इस समय बीजेपी के पास 106 विधायक है. बहुमत साबित करने के लिए जरूरत होगी कि बीजेपी के कम से कम 6 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे. दूसरी ओर, उक्त विधानसभा क्षेत्रों में जीते हुए बागी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य ठहराया हुआ है. उनकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है. अगर सुप्रीम कोर्ट स्पीकर आर.रमेश के फैसले को सही ठहराते हुए सभी विधायकों को अयोग्य ठहरा देता है तो ये सभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. ऐसा होता है तो इन सभी सीटों पर कांग्रेस और जेडीएस का पलड़ा भारी रहेगा, ऐसे कयास चल रहे हैं. यहां कांग्रेस-जेडीएस के 101 विधायक हैं. बहुमत के लिए उन्हें उप चुनावों के बाद 11 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में कर्नाटक की 15 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के परिणाम सत्ता पलट करने वाले भी हो सकते हैं. दो निर्दलीय विधायक निर्णायक भूमिका में रहेंगे. वहीं उत्तर प्रदेश की 11 सीटों में अधिकतर वे हैं जिन पर बैठे विधायकों ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया था.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की झाबुआ विधानसभा सीट पर भी सभी की नजरें गढ़ी है. यहां कांग्रेस 114 सीटों के साथ प्रमुख पार्टी है लेकिन बहुमत से दो सीट पीछे हैं. राजस्थान में बसपा विधायकों के कांग्रेस में चले जाने के बाद मध्य प्रदेश में मायावती के समर्थन वापिस लेने के कयास चल रहे हैं. अगर एक सीट पर होने वाले उप चुनाव कमलनाथ बिग्रेड का नेता जीतकर विधानसभा पहुंचता है तो उनका बहुमत का अंतर केवल एक सीट का रह जाएगा. हालांकि भाजपा की सेहत पर इस सीट को जीतने या हारने पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.

बात करें राजस्थान की तो यहां खींवसर (Khivansar) और मंडावा (Mandawa) सीटों पर उप चुनाव होने हैं. खींवसर सीट पर आरएलपी के हनुमान बेनीवाल ने जीत की हैट्रिक जमाई थी. वहीं मंडावा से बीजेपी के नरेंद्र सिंह खींचड़ जीतकर सदन में पहुंचे. अब दोनों लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंच चुके हैं. पूरी उम्मीद है कि खींवसर में बीजेपी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. ऐसी स्थिति में आरएलपी का प्रत्याशी यहां जीत दर्ज करे, इसकी पूरी संभावना है. मंडावा में मुकाबला टक्कर का होगा. हांलाकि राजस्थान में बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद गहलोत सरकार पूर्ण बहुमत में है लेकिन आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव के मद्देनजर ये उपचुनाव दोनों पार्टीयों के लिए खासा महत्व रखते हैं.

बताते चले, 21 अक्टूबर को बिहार (Bihar) की पांच विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे. इनके साथ कर्नाटक की 15, उत्तर प्रदेश की 11, केरल की पांच, असम, गुजरात व पंजाब की चार-चार, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु व हिमाचल प्रदेश की दो-दो, और पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मेघालय और ओडिशा की एक-एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. सभी सीटों के नतीजें 24 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट पर फिलहाल उप चुनाव नहीं होंगे.

Leave a Reply