पॉलिटॉक्स न्यूज/राजस्थान. देश के 17 राज्यों की 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है. देश की इन सभी सीटों पर 13 मार्च तक नामांकन भरा गया और बुधवार को नामांकन वापसी का अंतिम दिन था. राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों पर मIतदान है जिसके लिए कांग्रेस व बीजेपी दोनों ने दो-दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. बुधवार नामांकन वापसी के अंतिम दिन माना जा रहा था कि बीजेपी अपने दूसरे उम्मीदवार ओंकार सिंह लखावत का नाम वापस ले लेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बीजेपी द्वारा नामांकन वापस नहीं लेने पर अब प्रदेश की तीसरी सीट पर मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है. हालांकि कांग्रेस के पास संख्या बल के आधार पर दो सीटों पर बहुमत है लेकिन कांग्रेस ने लखावत को उतार संभावित क्रॉस वोटिंग का दांव चला है.
जानिए राजस्थान से राज्यसभा के तीनों उम्मीदवार गहलोत, डांगी और वेणुगोपाल को
राजस्थान में कांग्रेस की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नीरज डांगी को मैदान में उतारा गया है. वहीं बीजेपी की ओर से राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को उम्मीदवार बनाया गया है. पिछले दो तीन दिन से बुधवार दोपहर तीन बजे तक यही माना जा रहा था कि बीजेपी के दूसरे प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत अपना नाम वापस ले लेंगे और चुनाव निर्विरोध हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में तीन में से दो सीटों पर कांग्रेस के पास बहुमत है जबकि एक सीट पर बीजेपी के पास बहुमत है लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन बुधवार दोपहर विधानसभा पहुंचे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने ये कहते हुए सभी अटकलों को खत्म कर दिया कि पार्टी अपने दूसरे उम्मीदवार को भी चुनाव लड़ाएगी.
नाम वापसी की अटकलों के बीच ओंकार सिंह विधानसभा पहुंचे और चौंमू से विधायक रामलाल शर्मा को अपना चुनाव एजेंट नियुक्त किया. इसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पार्टी से जो निर्देश है, उसी के हिसाब से वह काम कर रहे हैं. पार्टी नेताओं के निर्देश के अनुसार नामांकन दाखिल किया था और उन्हीं के निर्देश पर शर्मा को एजेंट नियुक्त किया है.
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वहीं प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी गहलोत सरकार के 14 महीने के कार्यकाल के असंतोष को विधायकों में देखना चाहती है. गहलोत सरकार के खिलाफ विधायकों के असंतोष को बीजेपी राज्यसभा चुनाव के मतदान के जरिए जानेगी. कटारिया ने कहा कि हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. हमारे पास एक प्रत्याशी को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त वोट हैं.
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इस पूरे घटनाक्रम के बीच कांग्रेस की ओर से भी कोशिश की गई कि चुनाव निर्विरोध हो जाए. उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया से विधानसभा में मुलाकात भी की. महेंद्र चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत कर कहा कि जिसका बहुमत होता है, उसके हिसाब से कैंडिडेट राज्यसभा चुनाव में खड़े होते हैं. राज्यसभा चुनाव में यह निश्चित है कि दो कांग्रेस के प्रत्याशी और एक बीजेपी का प्रत्याशी जीतेगा. ऐसे में कांग्रेस को इस चुनाव में कोई खतरा नहीं है. कांग्रेस में कोई भी असंतुष्ट नहीं है और पार्टी के सभी विधायक एकजुट है.
संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के पास 107, सपा के दो और निर्दलीय समर्थित विधायकों को मिलाकर 125 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास 72 और रालोपा के पास तीन विधायक हैं. एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 67 वोटों की जरूरत होगी. इस हिसाब से कांग्रेस आसानी से अपने दोनों प्रत्याशियों को उच्च सदन में भेज सकती है. बीजेपी के पास एक को राज्यसभा भेजने का संख्या बल है. क्रॉस वोटिंग और असंतुष्ठ विधायकों में संभावित सेंध के चलते बीजेपी ने लखावत पर बड़ा दांव खेला है. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया बीजेपी के दूसरे उम्मीदवार का जीत का दावा पहले ही ठोक चुके हैं.