Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से शांत पड़ी सियासत में एकाएक उबाल आ गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी एवं RTDC चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ का भाजपा नेताओं के संग मंच साझा करना सचिन पायलट गुट के स्थानीय विधायक को रास नहीं आया, जो कि वाजिब सी बात भी है. परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने रविवार को एक वीडियो बयान जारी करते हुए धर्मेंद्र राठौड़ पर जमकर निशाना साधा और कहा कि, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जूते- चप्पल उठाने वाले को आरटीडीसी का चैयरमेन बनाया है.’ इससे पहले राठौड़ ने गावड़िया पर निशाना साधते हुए कहा था कि, ‘इन लोगों ने बीजेपी से मिलकर कांग्रेस सरकार गिराने का प्रयास किया था.’ इसी बीच आलाकमान की एडवाइजरी के बाद भी जारी बयानबाजी के बीच जब सीएम गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ पर बात आई तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिक्रिया सामने आई है. डोटासरा ने दोनों नेताओं चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘सभी लोगों को मर्यादा में रहकर काम करना चाहिए, पार्टी को कमजोर करने का हक़ किसी को नहीं.’
आपको बता दें, बीते रोज रविवार (30 अक्टूबर 2022) को कट्टर सचिन पायलट समर्थक एवं परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने एक वीडियो जारी करते हुए RTDC चैयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ पर जुबानी हमला बोला. गावड़िया ने अपने विधानसभा क्षेत्र पहुंचे धर्मेंद्र राठौड़ द्वारा बीजेपी नेताओं के साथ एक सामाजिक कार्यक्रम साझा करना रास नहीं आया. इस पर बयान जारी करते हु रामनिवास गावड़िया ने कहा कि, ‘धर्मेंद्र राठौड़ कोई जननेता नहीं हैं बल्कि कागजी नेता है. ये लोग तो चापलूसी करके नेता बने हुए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जूते चप्पल उठाकर सेवा करने वाले को आरटीडीसी अध्यक्ष बना दिया लेकिन ये पार्टी का नुकसान कर रहे हैं. कोई भी नेता किसी की चापलूसी करके नेता बन जाए, किसी विधायक के क्षेत्र में जाकर पार्टी का नुकसान करे, यह बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. राठौड़ जगह जगह पर बीजेपी नेताओं से स्वागत करवा रहे हैं. परबतसर दौरे की हमें जानकारी तक नहीं दी.‘ वहीं गावड़िया के इस बयान पर राठौड़ की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.
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RTDC चैयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ ने रामनिवास गावड़िया के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, ‘मैंने जिस कार्यक्रम में शिरकत की, वह कार्यक्रम राजनीतिक नहीं, सामाजिक था. परबतसर में राजपूत समाज की ओर से दीपावली स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया था. सामाजिक कार्यक्रम में तो हर पार्टी से जुड़ा समाज का सदस्य आता है. वो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हो सकता है. सामाजिक कार्यक्रम को लेकर राजनीति करना गलत है.’ राठौड़ ने आगे कहा कि, ‘इन लोगों ने बीजेपी से मिलकर कांग्रेस सरकार गिराने का प्रयास किया था. पार्टी को इन लोगों ने कितना नुकसान पहुंचाया है. यह सबको मालूम है. मैं पार्टी का वफादार हूं और रहूंगा.’ वहीं राठौड़ और गावड़िया की तरफ से जारी ये सियासी बयानबाजी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दोनों नेताओं को मर्यादा में रहने की सलाह दी है.
सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर पत्रकारों से बात करते हुए गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि, ‘सभी लोगों को मर्यादा में रहकर काम करना चाहिए. जो कांग्रेस पार्टी की रीति नीति और उसके संस्कार रहे हैं. कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने का किसी को अधिकार नहीं है. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बीते दिनों गाइडलाइन जारी करते हुए नेताओं को आपसी बयानबाजी से बचने की सलाह दी थी. ऐसे में जो कोई कुछ कह रहा है वह सबकुछ उनके संज्ञान में है.’
सियासी जानकारों की मानें तो बीते एक माह में दोनों गुटों की तरफ से जारी बयानबाजी के बीच अब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का किसी तरह का कोई बयान सामने नहीं आया था. लेकिन जैसे ही बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ पर आया वो भी अन्य गुट की तरफ से तो डोटासरा को कांग्रेस आलाकमान को एडवाइजरी याद आ गई. वहीं कुछ सियासी सुधीजनों का यह भी मानना है कि डोटासरा को ये कदम उसी वक़्त उठाना चाहिए था जब प्रदेश कांग्रेस में असमंजस की स्थिति पैदा होने के बाद बयानबाजी का दौर शुरू हो गया था.
वहीं जल संसाधन मंत्री एवं सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने इस मुद्दे पर किसी तरह का बयान देने से साफ़ इंकार कर दिया. महेश जोशी ने कहा कि, ‘मैं कांग्रेस आलाकामन की तरफ से जारी की गई गाइडलाइन में बंधा हुआ हूं और उसे मैं किसी हाल में नहीं तोड़ने वाला.’ दरअसल, बीती 26 सितंबर को राजस्थान कांग्रेस में मचे सियासी घमासान के बाद प्रदेश में गहलोत और पायलट गुट सहित अन्य नेता एक-दूसरे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे. इस बीच बीते 29 सितंबर को पार्टी आलाकमान ने बयानबाजी रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी. सभी नेताओं को चेतावनी दी गई थी कि अगर किसी ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद अब इस चेतावनी का पार्टी नेताओं पर असर कमजोर पड़ता नजर आ रहा है.