Wednesday, January 15, 2025
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यूपी में अखिलेश यादव की ‘साइकिल’ पर सवार नहीं हुई कांग्रेस, पीछे की रणनीति है खास!

कांग्रेस कर रही थी 5 सीटों की मांग जबकि सपा केवल दो सीटें देने को है तैयार, बसपा ने भी 8 सीटों पर उतारे उम्मीदवार, अन्य कारणों से भी नहीं बन पाया सपा-कांग्रेस का करार

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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अखिलेश यादव की ‘साइकिल’ पर सवार होने से मना कर दिया. अब उप चुनाव में कांग्रेस हिस्सा नहीं लेगी. उप चुनाव की सभी 9 सीटों पर सपा अपने उम्मीदवार उतार रही है. इससे पहले कांग्रेस के 5 सीटें मांगे जाने पर सपा ने उन्हें दो सीटों का आॅफर दिया था. इस पर तनातनी की संभावनाओं को भांपने हुए राहुल गांधी ने उप चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और सभी सीटों पर सपा को दे दी. ऐसा करके राहुल गांधी ने एक दूर की कोड़ी फेंकी है.

पहली – अखिलेश ने राहुल गांधी के कहने पर हरियाणा विस चुनाव में पांव नहीं डाला था. दूसरा – महाराष्ट्र विस चुनावों में सपा ने 12 सीटों की डिमांड की है. यूपी उप चुनाव में भाग न लेकर अब कांग्रेस वहां पर सपा प्रमुख को 5 सीटों तक मना पाने में सफल हो सकती है. अन्य भी कई दूरगामी परिणाम इस फैसले पर कांग्रेस को होते दिख रहे हैं. राज्य की 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है. रिजल्ट 23 नवंबर को आएंगे.

अखिलेश यादव ने दिया खास मैसेज

इससे पहले अखिलेश यादव ने रात 11.11 बजे X पर कहा, ‘INDIA गठबंधन के प्रत्याशी सपा के चुनाव निशान ‘साइकिल पर ही चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश ने राहुल का हाथ थामे एक फोटो भी शेयर किया.  इसमें लिखा, ‘हमने ठाना है. संविधान, आरक्षण और सौहार्द बचाना है.’

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में दो सीटों वाली सपा ने 12 सीट मांग फंसाया पेंच, क्या हो पाएंगे फॉर्मूला सेफ?

वहीं एक खास मैसेज देते हुए सपा प्रमुख ने लिखा, ‘बात सीट की नहीं जीत की है. इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधनके संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर सपा के चिन्ह ‘साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस और सपा एक बड़ी जीत के लिए कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी हैं. इंडिया गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है. कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से सपा की शक्ति कई गुना बढ़ गई. ये देश का संविधान, सौहार्द और PDA का मान-सम्मान बचाने का चुनाव है.’

यूपी की 9 सीटों पर क्यों हो रहे उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की 9 में से पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था जबकि तीन सीटों पर बीजेपी के विधायक काबिज थे. एक अन्य की सीट थी. इनमें से 8 सीटों पर विधायक आम चुनाव में सांसद बनकर लोकसभा पहुंच गए. करहल सीट से विधायक अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद बने. मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद से, कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा अंबेडकर नगर से, कुंदरकी से विधायक रहमान बर्क संभल से, खैर से अनूप वाल्मिकी हाथरस से, गाजियाबाद सदन से विधायक अतुल गर्ग गाजियाबाद से, मीरापुर से चंदन चौहान बिजनौर से, फूलपुर से विधायक प्रवीण पटेल फूलपुर से और मझवा से विधायक विनोद बिंद भेदोही से सांसद बनने के बाद ये सभी सीटें रिक्त हो गयी थीं.

यूपी में चुनाव क्यों नहीं लड़ रही कांग्रेस

यूपी चुनावों की तारीख निर्धारित होने से पहले ही कांग्रेस ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. प्रभारी भी नियुक्त किए थे. चुनावी कार्यक्रम भी तय किए लेकिन सपा ने अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सदर सीट  देकर मामला उलझाने की कोशिश की. इन सीटों पर जो सियासी समीकरण हैं, उसमें कांग्रेस की जीत आसान नहीं थी. इसके बाद कांग्रेस ने प्रयागराज की फूलपुर और मिर्जापुर की मझवां सीट पर दावेदारी की, लेकिन इस पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई.

इसी बीच सपा ने महाराष्ट्र विस चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन की दुहाई देते हुए 12 सीटों की मांग कर दी. ऐसे में कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सपा की ‘साइकिल’ चलवाने से यूपी छोड़ना बेहतर समझा. यूपी में बसपा भी उप चुनावों में उतर रही है जबकि सपा व बीजेपी के सामने वर्चस्व की लड़ाई है. अब देखना होगा कि इन 9 सीटों पर बीजेपी का कमल खिलेगा या सपा की साइकिल दौड़ेगी या फिर मायावती का ‘हाथी’ सभी को कुचल कर रख देगा.

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