महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल देखने को मिल रही है. दूसरे शब्दों में इसे अंदरूनी खींचतान भी कह सकते हैं. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में सत्ताधारी महायुति ने सीट बंटवारे पर एनसीपी और शिवसेना को अपनी शर्तों पर मना लिया है. वहीं दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने महागठबंधन का हवाला देते हुए कांग्रेस से 12 सीटों की मांग रखते हुए पेंच फंसा दिया है. शरद पवार पहले से ही महाविकास अघाड़ी के गठबंधन में अधिक सीटों की मांग रख चुके हैं जबकि उद्धव ठाकरे सीएम फेस को लेकर अड़े हुए हैं. ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा में दो सीटों वाली सपा का यह कदम किसी के गले नहीं उतर रहा है.
आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहले से ही फूले बैठे हैं. उस समय यूपी में कांग्रेस और सपा का गठबंधन था जिसकी बदौलत दोनों ने मिलकर 43 सीटें आपस में बांटी थी. पिछले आम चुनावों में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बाद केवल 36 सीटों पर सिमटकर रह गयी. इससे उत्साहित सपा ने यूपी में 10 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में कांग्रेस को केवल दो सीटें देकर अपने तीखे तेवर दिखा दिए हैं. इतना ही नहीं, पार्टी ने महाराष्ट्र की 5 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी का ऐलान कर कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों को भी चौंका दिया है.
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अगर सपा की शर्तों को न माना जाए तो यूपी के उप चुनाव में भी गठबंधन टूटने की नौबत आ सकती है. ऐसे में अखिलेश यादव की मान मनुहार चल रही है. राहुल गांधी की ओर से सपा प्रमुख के लिए सॉफ्ट कॉर्नर देखते हुए बात बिगड़ते हुए नजर नहीं आ रही है. हालांकि उद्धव ठाकरे समर्थित शिवसेना यूबीटी और शरद पवार की एनसीपी एसपी के बीच सीट बंटवारा भी एक चुनौती होने वाली है. यहां सीट शेयरिंग किसी युद्ध से कम है.
इधर बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी को कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मनवा लिया है. महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी अकेले 155 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बीजेपी अपने कोटे से छोटी पार्टियों को सीट देगी. एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना 78 और अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. किसी पार्टी के पास जिताऊ उम्मीदवार न होने पर 5 जगह प्लस-माइनस किया जा सकता है.
फिलहाल एनडीए के पास 200 से अधिक विधायक
राज्य में 20 नवंबर को सिंगल फेज में सभी 288 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. वर्तमान सरकार का कार्यकाल 26 नवंबर तक है. उससे पहले नई सरकार का शपथ ग्रहण हो जाएगा. वर्तमान में सत्तारूढ़ एनडीए/महायुति सरकार के पास 202 विधायक हैं. बीजेपी के पास 102, शिवसेना के 38, एनसीपी के 40, निर्दलीय 14 और अन्य दलों के 8 विधायक हैं. वहीं महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस के पास 37, शिवसेना के 16, एनसीपी एसपी के 12 और एक अन्य के सहयोग से कुल 66 सीटें हैं.
हालांकि जनता की सहानुभूति शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ बताई जा रही है क्योंकि दोनों को विश्वासघात का सामना करना पड़ा था. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना और अजित पवार ने एनसीपी को तोड़ बीजेपी से हाथ मिला लिया था. अब देखना है कि महाविकास अघाड़ी किस तरह से सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर काम करते हैं और महायुति को किस तरह से चुनौती देने की रणनीति तैयार कर पाते हैं.