आर्थिक घोटाले के तहत मनी लांड्रिंग (Money laundering) की एक जांच में शरद पवार (Sharad Pawar), अजित पवार (Ajit Pawar) सहित कई नेताओं के नाम दर्ज किए हैं. सोमवार को ED के एक अधिकारी के हवाले से मीडिया में खबर आने के बाद महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल अचानक पलट गया है. पिछले दो-तीन दिन से चल रहे घटनाक्रम को देखने के बाद शिवसेना संसदीय नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने ED की समझदारी पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ईडी को राज्य के इतने बड़े नेता को नामजद करने की क्या जरूरत थी? इससे कमजोर हो रही राकांपा को जनता की सहानुभूति मिलेगी और वह फिर मुकाबले में आ जाएगी.
गौरतलब है कि शिवसेना केंद्र में BJP के साथ NDA की प्रमुख सहयोगी हैं और महाराष्ट्र (Maharastra) में दोनों पार्टियों का गठबंधन है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा बहुत ज्यादा सीटें मांग रही है और शिवसेना को यह मंजूर नहीं है, जिससे दोनों में सीटों पर तालमेल नहीं हो पा रहा है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा की शर्तों के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं है. इस खींचतान में शिवसेना अपनी हैसियत बनाए रखने के लिए प्लान-बी पर अमल कर सकती है, जिसके तहत पवार का समर्थन करते हुए अधिकतम सीटों पर शिवसेना चुनाव लड़ सकती है. पवार के समर्थन में संजय राउत के बयान से यह संकेत मिलता है.
राउत ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के इस दावे को परोक्ष रूप से मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ईडी ने हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया है और इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. राउत ने कहा कि हाईकोर्ट ने जिस शिकायत के आधार पर जांच करने का आदेश दिया है, उसमें शरद पवार के नाम का उल्लेख नहीं है. इस घोटाले में पवार की पार्टी के कुछ लोगों के नाम बताए जा रहे हैं. इस आधार पर उन्हें घोटाले का सरगना बताने की कोशिश हो रही है, जो कि कानून के दायरे में नहीं आती है. जिस बैंक में हुए घोटाले की जांच हो रही है, उससे सभी पार्टियों का संबंध रहा है.
बड़ी खबर: महाराष्ट्र में ईडी के जरिए शरद पवार को घेरने का दाव पड़ा उल्टा
राउत ने कहा कि ईडी ने एक सो रही पार्टी राकांपा को चुनाव से पहले जगा दिया है. इससे राकांपा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा. जो लोग शरद पवार को जानते हैं महाराष्ट्र की राजनीति को समझते हैं, वे सभी यही कहेंगे ईडी ने बगैर किसी कारण के पवार का नाम उछालकर मामले को राजनीतिक मोड़ दे दिया है. उन्होंने कहा कि ईडी भारत सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था है, यह कोई अमेरिकी जांच एजेंसी नहीं है. पवार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति के भी खिलाफ है.
राउत ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray) के समय से ही हम पवार की आलोचना करते रहे हैं. हमने उनकी पार्टी के खिलाफ चुनाव भी लड़े हैं. कभी जीते हैं तो कभी हारे भी हैं. लेकिन किसी नेता के साथ कुछ गलत होता हुआ दिखता है तो हम सभी उसके विरोध में एकजुट हो जाते हैं. यह महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति है. जब ईडी ने एक मामले में मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने पूछताछ के लिए बुलाया था तो हमने उसका भी विरोध किया था. उद्धवजी उनके समर्थन में आगे आए थे. अन्ना हजारे ने भी कहा है कि पवार का किसी घोटाले में हाथ में नहीं है, जो पहले कई बार पवार की तीखी आलोचना कर चुके हैं.