राजस्थान विधानसभा उपचुनाव 2019 (Rajasthan Assembly By-Election 2019) में भाजपा ने मंडावा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में झुंझुनूं पंचायत समिति प्रधान पद सुशीला सिंगड़ा (Susheela Singda) को अपना प्रत्याशी बना कर न केवल कांग्रेस को बल्कि खुद भाजपा के स्थानीय नेताओं को भी चौंका दिया. विधानसभा चुनाव 2018 में हारी रीटा चौधरी की शिकायत पर कांग्रेस ने सुशीला सिंगड़ा निलंबित कर दिया था, लेकिन वे पार्टी में ही थी. बीजेपी ने दोनों कांग्रेस नेत्रियों की इस आपसी फूट का फायदा उठाने के लिए सुशीला पर दांव खेल दिया. रविवार को टिकट की घोषणा होने से मात्र डेढ़ घंटा पहले ही सुशीला सिंगड़ा ने भाजपा की सदस्यता ली है.

रविवार को दोपहर में भाजपा के जिला कार्यालय में सुशीला सिंगड़ा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. भाजपा के दिग्गज नेता और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सुशीला सिंगड़ा को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई. इस दौरान झुंझुनूं से भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार और भाजपा के जिलाध्यक्ष पवन मांवडिया भी मौजूद रहे. कांग्रेस से झुंझुनूं पंचायत समिति प्रधान पद लगातार तीन बार जीत चुकी सुशीला सिंगड़ा के भाजपा ज्वाइन करने और फिर मंडावा से भाजपा की प्रत्याशी घोषित होने से कांग्रेस में हलचल मच गई. सुशीला सिंगड़ा कांग्रेस से वर्ष 2000 से 2005 तक पहली बार प्रधान चुनी गई. फिर 2005 से 2010 तक जिला परिषद की सदस्य रही और 2010 से लगातार प्रधान पद पर आसीन हैं.

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गौरतलब है कि विधानसभा उपचुनाव में मंडावा सीट से पहले सांसद नरेंद्र कुमार खींचड़ के बेटे अतुल खींचड़ का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा था. उनके बाद दो और नाम राजेश बाबल व गिरधारीलाल पैनल में प्रत्याशी के लिए भेजे गए थे. लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर परिवारवाद की तोहमत से बचने के लिए भाजपा ने कांग्रेस के कुनबे में ही सेंध लगा दी. भाजपा आलाकमान ने अतुल व अन्य दावेदारों के नाम से इंकार कर सुशीला सीगड़ा के नाम पर मुहर लगाई.

मंडावा सीट पर कांग्रेस से प्रत्याशी दिग्गज नेता रामनारायण चौधरी की बेटी एवं पूर्व विधायक रीता चौधरी के सामने भाजपा ने उनकी ही प्रतिद्वन्द्वी रही सुशीला सींगड़ा को उम्मीदवार बना मुकाबले को बहुत रोचक बना दिया है. एक जमाने में मंडावा कांग्रेस का गढ़ रहा है और यहां से कांग्रेस नेता रामनारायण चौधरी जीतते रहे हैं और उनके बाद उनकी बेटी 2008 में मंडावा से विधायक रहीं हैं. लेकिन पिछले साल दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने यहां से जीत हासिल की थी. इसके बाद मई में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने नरेन्द्र खीचड़ को ही मैदान में उतारा. खींचड़ की जीत के बाद खाली हुई सीट को बचाए रखना भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं है.

हालांकि विधायक से सांसद बने नरेंद्र खीचड़ की जगह उनके बेटे अतुल खींचड़ को ही टिकट दिए जाने का भाजपा पर बहुत दबाव था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए कांग्रेस के घर में ही सैंध लगाते हुए निलंबित चल रही सुशीला सिंगड़ा पर दांव खेल दिया. ऐसे में भाजपा का एक गुट नाराज हो सकता है और भीतरघात भी कर सकता है. उधर कांग्रेस की रीटा चौधरी के लिए भी उन्हीं के कुनबे की प्रतिद्वन्द्वी से मुकाबला आसान नहीं रहेगा. लेकिन अब मंडावा सीट पर दो महिला उम्मीदवारों के बीच होने वाली सीधी टक्कर रोमांचक रहेगी.

54 वर्षीय सुशीला सींगड़ा की शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक है और वे कांग्रेस नेता बृजलाल सीगड़ा की पुत्रवधु हैं. भाजपा को जाट बाहुल्य मंडावा विधानसभा क्षेत्र में सुशीला के सहारे नैय्या पार लगने की उम्मीद इसलिए भी है कि सुशीला जिस झुंझुनूं पंचायत समिति की लगातार तीन बार प्रधान चुनी जा चुकी हैं. उनकी 14 ग्राम पंचायतें मंडावा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं. इसके अलावा सुशीला व उनका परिवार दिग्गज नेता शीशराम ओला का भी निकटस्थ रहा है. ऐसे में उनका जमीनी आधार और कांग्रेस की फूट का भाजपा को सीधा फायदा मिलने की संभावना बन सकती है.

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उधर कांग्रेस ने एक बार फिर रीटा चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. मंडावा कांग्रेस का गढ़ रहा है और पिछले विधानसभा में भाजपा को पहली बार यहां से बहुत कम अंतर से खाता खोलने का मौका मिला है. भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने रीटा चौधरी को 2346 मतों से हराया था. रीटा चौधरी के पिता रामनारायण चौधरी का मंडावा विधानसभा क्षेत्र में दबदबा रहा है. रीटा उनकी विरासत को संभाल रही हैं और उनका क्षेत्र में अपना अलग जनाधार भी है. रीटा चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे डॉ. चंद्रभान के खिलाफ बगावत की थी और 2013 में डॉ. चंद्रभान दिग्गज नेता शीशराम ओला के समर्थन के बावजूद जमानत तक नहीं बचा पाए थे.

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