खींवसर सीट (Khivansar Assembly) पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से तालमेल करते हुए रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) के भाई नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) को समर्थन देने की घोषणा कर दी. यह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के लिए निराशाजनक है. विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-रालोपा में तालमेल की घोषणा से एक दिन पहले बुधवार को हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी का भाजपा से तालमेल हो गया तो पूर्व मुख्यमंत्री राजे अप्रासंगिक हो जाएंगी.हनुमान बेनीवाल के बयान के अगले ही दिन जयपुर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बेनीवाल के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करते हुए खींवसर सीट पर भाजपा-रालोपा में तालमेल की घोषणा की थी.

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खींवसर सीट हनुमान बेनीवाल के 2019 में नागौर से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद खाली हुई थी. पत्रकारों ने इस मौके पर उनसे एक दिन पहले दिए गए बयान का खुलासा करने के लिए कहा तो बेनीवाल ने तो इस पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि आप समझे नहीं कि कल मैंने क्या कहा था. उन्होंने यह कह कर कि पिछले दस साल से उनकी राजे के साथ कोई बात नहीं हुई है, बयान की जैसे पुष्टि कर दी.

बेनीवाल ने कहा कि मेरे बयान को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि राजे और यूनुस खान सहित उनके समर्थकों ने मेरी उम्मीदवारी का विरोध किया था. लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ मेरा तालमेल हुआ था. इसमें राजे की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने दावा किया कि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए काम कर रहा हूं. मेरा लक्ष्य है कि प्रशासन का जो मॉडल मोदी ने लागू किया है, उसे पूरे देश में लागू होना चाहिए.

सूत्रों का कहना है कि इस मामले में भाजपा नेताओं, जिनमें राजे के समर्थक भी शामिल हैं, की चुप्पी को बेनीवाल के बयान का समर्थन माना जा रहा है. खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल का समर्थन भी भाजपा में वसुंधरा राजे का महत्व कम होने का संकेत है.

राजे के समर्थक एक भाजपा नेता ने पूरे घटनाक्रम को निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि बेनीवाल के बयान को लेकर शुरू हुए विवाद में कोई भी उलझना नहीं चाहता है. जब तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया की प्रतिक्रिया नहीं आती, तब तक कोई कुछ नहीं बोलेगा.वसुंधरा राजे ने अधिकृत तौर पर इस मामले में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है.

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हनुमान बेनीवाल ने 2009 में वसुंधरा राजे के साथ मतभेद होने के बाद भाजपा छोड़ दी थी. उन्होंने 2013 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 2018 के विधानसभा चुनाव से दो माह पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) नाम से अपनी नई पार्टी बना ली थी. भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के राजस्थान प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने बेनीवाल के साथ तालमेल की घोषणा से पहले राजे के साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया था.

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