Politalks.News/Uttarpradesh. उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान जिन कर्मचारियों की मौत ड्यूटी के दौरान हुई, उन मृत कार्मिकों के आश्रितों को अनुग्रह धनराशि 30 लाख रुपये मिलेगी. इसके साथ ही चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना जाएगा. यह फैसले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए हैं. योगी कैबिनेट ने अनुग्रह धनराशि जो पहले 15 लाख रुपये थी, उसे बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया.
इसके साथ ही योगी कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि कोरोनाकाल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों या कमाई करने वाले अभिभावक को खोया है, उन्हें 4 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक मदद दी जाएगी. मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत अनाथ हुई लड़कियों की शादी के लिए 1 लाख 1 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. क्लास 9 से ऊपर या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप भी दिया जाएगा.
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीते महीने हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान चुनावी ड्यूटी के दौरान कई कर्मचारियों की मौत हो गई थी. लेकिन चुनाव आयोग ने सिर्फ 3 लोगों को ही मुआवजा योग्य समझा था. लेकिन अब करीब 1200 कर्मचारियों के परिवार को 30-30 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा. अलग अलग मीडिया रिपोर्ट में हजार से ज्यादा कर्मचारियों की मौत बताई गई थी.
निर्वाचन ड्यूटी से 30 दिन के अंदर निधन पर आश्रित इसके लिए होंगे पात्र
ड्यूटी अवधि की जो परिभाषा निर्वाचन आयोग ने तय किया है उसमें कोविड-19 से की वजह से होने वाले इंफेक्शन और इसकी वजह से होने वाली मृत्यु में जो समय लगता है उसका ध्यान नहीं रखा गया है. कैबिनेट ने अनुग्रह राशि की पात्रता के लिए निर्वाचन ड्यटी की तिथि से 30 दिन के अंदर कोविड से होने वाली मृत्यु को इसकी पात्रता में लाने का फैसला लिया है.
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रिपोर्ट निगेटिव होने पर भी कोविड कांप्लिकेशन से मृत्यु भी पात्रता में
कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के रूप में एंटीजन, आरटीपीसीआर की पाजिटिव रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट तथा सीटी स्कैन में कोविड इंफेक्शन को माना जाएगा. कोविड के कुछ मरीजों की कोविड रिपोर्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है और पोस्ट कोविड कांप्लिकेशन से उसकी मृत्यु हो सकती है. इस तरह के मामलों में भी 30 दिन के अंदर मृत्यु होने पर इसका लाभ दिया जा सकता है. कोविड स्टेट एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष निदेशक एसजीपीजीआई ने इसकी सहमति दी है.
आपको बता दें, निर्वाचन ड्यूटी के 30 दिन के अंदर अगर किसी कर्मचारी की मौत होती है और उसके परिजनों के पास उसकी कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट है तो उसके परिवार वालों को 30 लाख रुपये दिए जाएंगे. अभी तक के अनुमान के अनुसार पंचायत चुनाव के दौरान मौत का शिकार हुए कर्मचारियों की संख्या के अनुसार सरकार को मुआवजा के लिए करीब 600 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. फिलहाल सरकार का अनुमान है कि मृतक आश्रितों की संख्या 1200 तक हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार के पास इस मद में 250 करोड़ रुपये हैं, लेकिन वह 350 करोड़ रुपये और इस मद में लाएगी. कर्मचारी संगठनों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि तीन हजार से ज्यादा कर्मचारियों की मौत पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से हुई है. इसमें करीब 2400 से ज्यादा की सूची सरकार को शिक्षक और कर्मचारी भेज चुके हैं.