लंबी माथापच्ची के बाद आखिरकार कांग्रेस ने लोकसभा में पार्टी के नेता का चयन कर लिया है. पार्टी ने पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनकर आए अधीर रंजन चौधरी को नेता चुना है. हालांकि इससे पहले पार्टी नेताओं ने लोकसभा में नेता बनने के लिए राहुल गांधी से काफी मान-मनौवल की लेकिन राहुल गांधी नहीं माने. इसके बाद सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा सांसदों में से नेता की तलाश की.
लोकसभा नेता की दौड़ में पंजाब की लुधियाना सीट के सांसद मनीष तिवारी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई, केरल से 7वी बार सांसद चुनकर आए के. सुरेश और बंगाल की बहरामपुर सीट के सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल थे. तमाम नामों पर चर्चा के बाद अधीर रंजन चौधरी के नाम पर सहमति बनी है.
16वी लोकसभा में भी कांग्रेस के पास मुख्य विपक्षी दल बनने लायक सीटें नहीं थी जिसके कारण पार्टी के किसी नेता को विपक्ष दल के नेता बनने का अवसर नहीं मिल पाया था. हालांकि कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया था. इस बार मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा का चुनाव हार गए हैं.
बात करें अधीर रंजन चौधरी की तो चौधरी बंगाल की सियासत का बड़ा चेहरा हैं. वर्तमान में बंगाल के अंदर बीजेपी जिस आक्रामक तरीके से ममता को घेर रही है, अधीर रंजन इस काम को लंबे अरसे कर रहे हैं. यही कारण है कि जिस दौर में मोहम्मद सलीम जैसे नेताओं की जमानत जब्त हो गई, वहां अधीर रंजन चौधरी करीब 80 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ इसी सीट पर जीत मिली है. अधीर रंजन बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से लगातार 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 सहित लगातार पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. लगातार मिली इन जीतों का आंकड़ा ही अधीर रंजन के कद को तस्दीक करता है.
चौधरी ने लंबे समय तक बंगाल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया था लेकिन ममता के विरोध के चलते उनको हटा दिया गया था. अब पार्टी एक बार फिर बंगाल में अपनी खोई जमीन पाना चाहती है. यही वजह है कि अधीर रंजन को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया है. वे बंगाल विधानसभा के दो बार सदस्य भी निर्वाचित हो चुके हैं. सोनिया गांधी ने उनका नाम लोकसभा सचिव को सौंप दिया है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से औपचारिक घोषणा होना अभी शेष है.