Politalks.News/HijabPolitics. देश के पांच राज्यों में जारी चुनावी घमासान के बीच मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब को लेकर सियासत गरमाई हुई है. वहीं सियासी गलियारों में अब सवाल गूंज रहा है कि, क्या कर्नाटक के उडुपी में हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनने को लेकर उठा पूरा विवाद उत्तरप्रदेश चुनाव के लिए था? ये थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन जिस तरह से मुस्लिम लड़की और भगवाधारी (Saffron Shawls) लड़कों का वीडियो शूट (किसी फिल्म की तरह) हुआ, जिस तरह उसको पहले सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराया गया…उससे ये आशंका हकीकत का रूप लेने लगी है, क्योंकि उत्तरप्रदेश में हिजाब टॉप ट्रेंड कर रहा है. आपको रोचक तथ्य बताते हैं यूपी में कल यानी गुरुवार को पहले चरण का मतदान होना है. इससे ठीक एक दिन पहले बुधवार को सुबह गूगल सर्च में तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद कर्नाटक का हिजाब विवाद सबसे ज्यादा UP में ही सर्च किया गया. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या गुरुग्राम में खुले में नमाज (gurugram namaz issue) का विरोध और कर्नाटक में हिजाब हटाने का विरोध पांच राज्यों के चुनाव के लिए तो नहीं? क्या ये दोनों हाई प्रोफाइल वाले शहर हिंदु्त्वादी राजनीति की प्रयोगशाला तो नहीं हैं?
बात करें यूपी की सियासत की तो बुधवार को प्रियंका गांधी लखनऊ पहुंची थीं कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करने, लेकिन यहां हिजाब की चर्चा में उलझ गईं. प्रियंका ने ट्वीट तो किया ही, प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार के सवाल पूछने पर भड़क भी गईं. प्रियंका ने साफ-साफ कह दिया कि हिजाब पहनना संविधान में दिया अधिकार है. उधर, असद्दुदीन ओवैसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल में हिजाब वाली घटना का बार-बार जिक्र कर वोट मांग रहे हैं. यही नहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर मौलाना महमूद मदनी ने हिजाब वाली छात्रा बीबी मुस्कान खान को पांच लाख रुपए का नकद इनाम देने की घोषणा भी कर दी है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद जो कि उत्तर भारत की उत्तर प्रदेश में सबसे प्रमुख मुस्लिम राजनीतिक दखल रखने वाली संस्था है, उसके समेत कई मुस्लिम संस्थाओं के लोग मुस्कान के घर जा रहे हैं.
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ऐसे में अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि देश की मिलेनियम सिटी गुरुग्राम है और टेक्नोलॉजी सिटी बेंगलुरू है. लेकिन ये दोनों शहर अब हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला तो नहीं बन रही हैं. हैरानी की बात है कि महानगर होने, आधुनिक व विकसित होने के बावजूद इन दोनों शहरों में हिंदुत्ववादी राजनीति करने वाले संगठन फल-फूल रहे हैं.
आपको बता दें कि श्रीराम सेना का पहली बार जिक्र बेंगलुरू में ही हुआ था, जब इस संगठन के लोगों ने बार और रेस्तरां में महिलाओं पर हमला किया था. उसके बाद बेंगलुरू दक्षिण से तेजस्वी सूर्या सांसद बने और भाजपा ने उनको भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया. सूर्या ने कोरोना से लड़ाई के लिए बने वार रूम में काम करने वाले पेशवरों की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उसके वार रूम के मुस्लिम सदस्य भेदभाव करते हैं. हालांकि उनका यह आरोप बाद में गलत साबित हुए. अब कर्नाटक के कई हिस्सों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विरोध हो रहा है और मुस्लिम लड़कियां क्लासरूम में नहीं जा पा रही हैं.
बेंगलुरू की तरह हिंदुत्व की दूसरी प्रयोगशाला गुरुग्राम बताई जा रही है, जहां पिछले कई महीने तक लगातार टकराव चलता रहा. हिंदुवादी संगठनों ने गुरुग्राम में कई जगह खुले में नमाज पढ़ने के खिलाफ प्रदर्शन किया. हर शुक्रवार को जुमे की नमाज से पहले हिंदू संगठनों के कुछ लोग इकट्ठा होकर मुसलमानों का विरोध करते हैं. यह विरोध इतना बढ़ गया कि सिख गुरुद्वारों ने मुसलमानों को नमाज के लिए अपना परिसर ऑफर किया था. विरोध इतना बढ़ गया कि कई जगह खुले में नमाज पढ़ना बंद हो गया. साथ ही बाद में हिंदू संगठनों के लोग उसी खुली जगह पर भजन-कीर्तन करने लगे.
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बताया जा रहा है कि मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में हिंदुत्ववादी ‘प्रयोगों’ के बाद कर्नाटक की यह हिजाब वाली बघटना उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में ‘चारे‘ की तरह परोसी जा रही है. वहां दिए जा रहे बयानों में उत्तर प्रदेश का जिक्र है, तो यहां वोट मांग रहे लोग भी उसी घटना का हवाला दे रहे हैं. आज के समय में सोशल मीडिया पोस्ट, वायरल वीडियो मिनटों में करोड़ों लोगों तक पहुंचना कोई मुश्किल बात नहीं है. उन्हें देखकर किसी का भी मन बदलना स्वाभाविक है. संभवत: यही इसका मकसद भी है. लगभग एक हफ्ते से जारी हिजाब विवाद की उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से एंट्री हो चुकी है. यह वायरल है कि कर्नाटक के शिमोगा में मुस्लिम महिलाएं बोल रही हैं कि उत्तर प्रदेश में उन्नाव में हमें रातों रात जिंदा जला दिया जाता है, हिजाब तो बहाना है.