Politalks.News/Delhi. देश में ‘ओवर द टॉप‘ यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बाद अगर सबसे ज्यादा रचनात्मकता कहीं दिख रही है तो वह पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस सिलेंडर, सीएनजी, पीएनजी आदि की बढ़ती कीमतों को न्यायसंगत ठहराने के सरकारी बहानों में है. मोदी सरकार के मंत्री या भारतीय जनता पार्टी के नेता हर दिन कोई न कोई नया बहाना खोज कर लाते हैं, जिसके आधार पर वे बढ़ती कीमतों को सही और न्यायसंगत ठहराते हैं. सरकार की ओर से इतने बहाने बताए जा चुके हैं कि मोदी सरकार समर्थक भी कंफ्यूज हैं कि कौन सा बहाना सबसे उपयुक्त है. प्रधानमंत्री मोदी से लेकर कई मंत्री और भाजपा नेता कई कारण गिना चुके हैं. लेकिन असली कारण जो कि मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल औऱ डीजल पर बढ़ाया गया टैक्स है, इस बारे में कोई चर्चा नहीं कर रहा है. यहां तक की कुछ दिग्गजों ने तो दाम बढ़ने का कारण नेहरूजी को भी बता दिया.
ताजा बहाना- मुफ्त वैक्सीनेशन!
मोदी सरकार की ओऱ से दिया जा रहा सबसे ताजा बहाना मुफ्त वैक्सीनेशन का है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कीमत बढ़ने की आलोचना करने वाले को बड़े हिकारत भरे भाव से जवाब दिया और कहा कि, ‘आपने निश्चित रूप से मुफ्त की वैक्सीन लगवाई होगी. इसके पैसे कहां से आएंगे? आपने तो दिया नहीं! इसी तरह से इसका पैसा इकट्ठा किया जाता है’. रामेश्वर तेली ने कहा कि, ‘पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ा कर सरकार को जो पैसा इकट्ठा कर रही है उससे लोगों को वैक्सीन लग रही है’. अब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब लोगों पर टैक्स बढ़ा कर उन्हीं के पैसे से उनको वैक्सीन लगवाई जा रही है तो मुफ्त वैक्सीन का प्रचार क्यों? प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद किस बात का? वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की फोटो किस बात की? और सबसे ऊपर जिन लोगों ने पैसे देकर वैक्सीन लगवाई उनका क्या?
यह भी पढ़े: गुड़ खाकर गुलगुले खाने से परहेज कर रहे रागा! सब चाहते हैं राहुल बने अध्यक्ष लेकिन कहां अटकी बात..!
प्रधान ने बताया था ऑयल बॉन्ड को जिम्मेदार
बहरहाल, यह तो राज्यमंत्री रामेश्वर तेली की बात थी. उनसे पहले पिछले पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के कैबिनेट मंत्री रहे धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि, ‘मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने ऑयल बांड जारी किए थे, जो अब मैच्योर हो गए हैं और उसके पैसे चुकाने के लिए दाम बढ़ाए जा रहे हैं’. हालांकि बाद में पता चला कि ऑयल बांड एक लाख 34 हजार करोड़ के ही थे और वो भी किश्तों में कई बरसों तक सरकार को चुकाना है, जबकि सरकार टैक्स बढ़ा कर औसतन हर साल तीन लाख करोड़ रुपए की कमाई कर रही है.
तेल आयात कम करने उपायों पर नहीं दिया ध्यान- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बहाने बनाने में पीछे नहीं रहे हैं. इस साल फरवरी में तमिलनाडु में एक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, ‘अगर पिछली सरकारों ने तेल आयात कम करने के उपायों पर ध्यान दिया होता तो मध्यम वर्ग पर ऐसे बोझ नहीं पड़ता’. पीएम मोदी के हिसाब से महंगाई के लिए पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं और इसका बोझ सिर्फ मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है. उनकी इस बात से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि, ‘महंगाई के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं‘.
यह भी पढ़े: हाशिये पर भाजपा का ‘गांधी परिवार’, अगले कदम पर टिकीं सभी नजरें, प्रियंका करवाएंगी कांग्रेस में एंट्री?
हकीकत- सरकार ने बढ़ाया है टैक्स!
इधर, भारत सरकार की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों का कहना है कि, ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं इसलिए उनको कीमत बढ़ानी पढ़ रही है’. यहां हम आपको बता दें कि कच्चे तेल के दाम इस समय 82 डॉलर प्रति बैरल है, 2014 में जिस समय यह 110 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा था तब भारत में पेट्रोल के दाम 74 रुपए लीटर थे और अभी 110 रुपए लीटर हैं. बहरहाल, भाजपा के कुछ प्रवक्ताओं ने बढ़ती कीमतों को देश की मजबूती से जोड़ा है तो किसी ने गरीबों को मुफ्त अनाज देने से जोड़ा है तो किसी ने कहा है कि पिछली सरकारें ईरान और दूसरे देशों का भारी कर्ज छोड़ गई हैं, जिसे चुकाया जा रहा है.
जबकि हकीकत यह है कि मोदी सरकार ने पेट्रोल पर टैक्स लगभग चार गुना और डीजल पर लगभग 10 गुना बढ़ा दिया है. यह पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने का असली कारण है, लेकिन इसे छोड़ कर बाकी सारे कारण बताए जा चुके हैं. इन सबके ऊपर, ये सभी बहाने तब शायद थोड़े प्रासंगिक जरूर लगते जबकि मोदी सरकार का पहला साल होता, जबकि मोदी सरकार को बने हुए सात साल पूरे हो चुके हैं, तो क्या देश ने अभी तक इन बहानों को खत्म करने जितना भी विकास नहीं किया?



























