गुरुवार को दिल्ली में हुई पार्टी अध्य्क्ष अमित शाह और कर्नाटक के नेताओं की मुलाकात के बाद खबरें आई कि अमित शाह ने कर्नाटक के बीजेपी नेताओं को साफ-साफ निर्देश दिए हैं कि जल्दबाजी करने की जरुरत नहीं है, बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का इंतजार करना चाहिए. लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशों के 24 घण्टे के भीतर ही कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा का पार्टी हाइकमान की मंजूरी के बिना राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करना हैरान करता है.
शुक्रवार को बीएस येदियुरप्पा ने सुबह 10 बजे राज्यपाल वजुभाई वाला पटेल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. येदियुरप्पा शुक्रवार शाम 6 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे. शपथ ग्रहण के सात दिनों के भीतर येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा.
हालांकि शुक्रवार को येदियुरप्पा के सरकार बनाने के दावा पेश करने और शाम छः बजे शपथग्रहण की खबरें आने के बाद फिर मीडिया में खबर आई कि अमित शाह ने बयान दिया है कि हमारी पार्टी बीजेपी येदियुरप्पाजी के नेतृत्व में कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है. लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर कर्नाटक बीजेपी में सबकुछ सही चल रहा है तो शायद कुमारस्वामी सरकार के गिरने के दूसरे दिन ही येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाने की घोषणा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी नेतृत्व द्वारा की गई होती.
बता दें, कुमारस्वामी सरकार के लगभग 15-20 दिन चले ‘कर्नाटक-संकट’ के दौरान सबसे ज्यादा जल्दबाजी बीएस येदियुरप्पा को ही थी कि कब ये सरकार गिरे और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनें. इस बात की पुष्टि उन दिनों में येदियुरप्पा के दिए गए बयानों से होती है. सूत्रों की मानें तो कुमारस्वामी की विदाई वाले दिन देर रात तक बीजेपी नेताओं की बैठक चली और बीजेपी के सभी विधायकों को यह संदेश पहुंचा दिया गया कि वे सभी दूसरे दिन बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में जमा हो जाएं, वहां पर बीजेपी की विधायक दल की बैठक होने वाली थी. दूसरे दिन येदियुरप्पा भी अपने घर से बीजेपी दफ्तर के लिए निकले चुके थे लेकिन अचानक उनके रूट में बदलाव हुआ और वो वापस अपने निवास चले गए.
गौरतलब है कि कुमारस्वामी सरकार के गिरने के बाद येदियुरप्पा काफी जल्दबाजी में नजर आये और उन्होंने उसी दिन अपने आवास पर अपने खास पंडितों को बुलाकर शपथ ग्रहण के लिए गुरुवार दोपहर तीन बजकर 28 मिनट से 3 बजकर 48 मिनट का वक्त या फिर शुक्रवार शाम 4 बजे का मुहूर्त भी निकलवा लिया था. लेकिन उस दिन पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद येदियुरप्पा के अरमानों को झटका जरूर लगा.
खैर जो भी हो, येदियुरप्पा आज फिर प्रदेश के कप्तान बन जाएंगे. उन्होंने शपथ ग्रहण में पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी और सिद्धारमैया को भी निमंत्रण भेजा है. सत्ता संभालने के बाद येदियुरप्पा को अगले सात दिनों में विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा.
पता रहे, गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी तीन विधायकों को अयोग्य करार देने के स्पीकर के फैसले को कांग्रेस के बाकी बागी विधायकों को वापस बुलाने के मौके के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में अगर कांग्रेस व्हिप जारी करती हे तो सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहना पड़ेगा और कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में ही वोट करना होगा. अब येदियुरप्पा के आज शपथ लेने के फैसले के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि ऐसे में येदियुरप्पा किस तरह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर पाएंगे? कहिं बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की सलाह और निर्देशों की अवेहलना भारी ना पड़ जाए.