Wednesday, January 22, 2025
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क्या ‘टाइगर’ के बीजेपी में जाने से झारखंड चुनावों पर पड़ेगा असर?

मुख्यमंत्री पद पर से हटाए जाने से नाराज चल रहे चंपई सोरेन ने पलट लिया था पाला, 14 सीटों पर चलता है सिक्का, अब सिबू सोरेन पर गढ़ी हैं नजरें

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Jharkhand Election: झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. कुल 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होंगे. पहला चरण में 13 नवंबर को मतदान होगा जबकि 20 नवंबर को दूसरे फेज़ के लिए वोटिंग होगी. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. चुनावों से ऐन वक्त पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंंत्री चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से न केवल सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी की मुश्किलें बढ़ गयी है, चुनावों के समीकरणों पर भी असर पड़ना निश्चित माना जा रहा है. अनुमान ये भी है कि अगले कुछ दिनों में चंपई समर्थित कुछ विधायक भी बीजेपी के खेमे की ओर रुख कर सकते हैं. यह हेमंत सोरेन और गठबंधन के लिए एक झटका साबित हो सकता है.

दरअसल, जमीन घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी कुर्सी उनके सबसे करीबी और विश्वास पात्र नेता चंपई सोरेन ने संभाली थी. वहीं, इस केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो वह दोबारा मुख्यमंत्री बन गए. उन्होंने 45 विधायकों के साथ विधानसभा के अंदर बहुमत साबित किया था.

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हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के चलते चंपई सोरेन नाराज हो गए. उन्होंने बाद में आरोप लगाया कि उन्हें सीएम पद से हटाने की कोई चर्चा तक नहीं की गयी और उनके हर काम को राजनीति के तहत रोका टोका गया. बाद में अचानक एक दिन बीजेपी की ओट में आकर बैठ गए और अपनों के ​ही खिलाफ कमल खिलाने की तैयारी में लग गए.

14 सीटों पर है चंपई का गहरा असर

बता दें कि चंपई सोरेन अगर बीजेपी में जाते हैं, तो विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी यह झामुमो और कांग्रेस गठबंधन के लिए झटका हो सकता है क्योंकि चंपई सोरेन की राज्य की सियासत में एक जमीनी नेता के तौर पर जाना जाता है. चंपाई संथाल जनजाति से आते हैं. इस समुदाय के साथ अन्य आदिवासी जातियों पर भी उनकी तगड़ी पकड़ है. वो आदिवासी बहुल कोल्हान के बड़े नेता है. उन्हें ‘कोल्हान टाइगर’ भी कहा जाता है. इस इलाके में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं और सभी पर चंपई का गहरा असर है. पिछले विस चुनाव में इनमें से 11 सीटें अकेले झामुमो को और दो सीटें कांग्रेस को मिली थी. एक सीट पर अन्य जीतकर विधानसभा पहुंचा था. मुकाबला रोचक होगा, क्योंकि चंपाई सोरेन अब बीजेपी के साथ हैं.

शिबू सोरेन की एक आवाज पलटेगी बाजी!

वैसे शिबू सोरेन आदिवासियों के बड़े नेता हैं. ऐसे में वे अगर एक अपील कर देंगे तो बीजेपी का दांव उल्टा भी पड़ सकता है. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को आदिवासी वोट नहीं मिला है. इस कारण झारखंड विधानसभा चुनाव में भी संशय बरकरार रहेगा कि आदिवासी बीजेपी की तरफ झुकता है या नहीं.

2019 का विधानसभा चुनाव झामुमो, कांग्रेस और राजद ने मिलकर लड़ा था. झामुमो 30 सीटों के साथ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनी. कांग्रेस 16, बीजेपी 25, जेवीएम को तीन, आजसू और निर्दलीय को दो दो सीटें मिली थी. तीन सीटें अन्य के हाथ लगी. इस बार चंपई के न होने से और हरियाणा में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन से झारखंड हाथ से फिसल सकता है. अब देखना ये होगा कि झारखंड टाइगर के जाने का कितना असर गठबंधन सरकार पर पड़ता है.

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