‘नाराज’ हेमाराम के इस्तीफे पर क्या हुआ फैसला- राठौड़ ने पत्र लिख असमंजस खत्म करने की रखी मांग

हेमाराम इस्तीफा प्रकरण पर सियासत गर्म, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को चिट्ठी लिखी, कहा- लम्बे अंतराल के बाद भी इस्तीफे पर नहीं हुआ कोई फैसला, जबकि बैठक भी ले रहे हैं चौधरी, स्थिति स्पष्ट करें स्पीकर, इधर सियासी गलियारों में चौधरी को मंत्री बनाए जाने की चर्चा, इसलिए नरम पड़ी 'भीष्म प्रतिज्ञा'! राठौड़ की सक्रियता ने भी सभी को चौंकाया

हेमाराम के इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करे स्पीकर- राठौड़
हेमाराम के इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करे स्पीकर- राठौड़

Politalks.News/Rajasthan. ‘नाराज’ विधायक हेमाराम चौधरी ने राजकीय उपक्रम समिति की बैठक में भाग क्या लिया सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तो शुरू हो ही गया है. वहीं भाजपा को भी निशाना साधने का एक और मौका मिल गया है. कहने को तो सचिन पायलट कैंप के खास सिपहसालार माने जाने वाले विधायक हेमाराम चौधरीविधायकी से अपने इस्तीफे के फैसले पर ‘अडिग’ थे, लेकिन इस्तीफे पर फैसला स्पीकर के स्तर पर लंबित चल रहा है. ऐसे में हेमाराम चौधरी द्वारा राजकीय उपक्रम समिति की बैठक लेने के के बाद सियासत गर्माई हुई है. बीजेपी के दिग्गज और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को चिट्ठी लिखकर हेमाराम चौधरी के इस्तीफे पर फैसले से अवगत करवाने को कहा है. राठौड़ ने स्पीकर सीपी जोशी से हेमाराम के इस्तीफे को मंजूर या नामंजूर करने को लेकर जल्द स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. वहीं सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा है कि हेमाराम के ‘मन की बात‘ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मान लिया है. मंत्रिमंडल पुनर्गठन में चौधरी को मंत्री बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है. तो वहीं हेमाराम के बहाने राजेन्द्र राठौड़ कांग्रेस की कलह को कुरेदने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

दो दिन से राजकीय उपक्रम समिति की बैठक ले रहे हैं चौधरी
आपको बता दें कि, विधायक हेमाराम चौधरी लगातार दो दिन से राजकीय उपक्रम समिति के सभापति के तौर पर विधानसभा में बैठकें ले रहे हैं. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने चौधरी के राजकीय उपक्रम समिति की बैठक लेने के मुद्दे पर विधानसभा सचिव को चिट्ठी लिखी है. हालांकि राठौड़ भी इस समिति के सदस्य हैं और लंबे अंतराल के बाद अब इस समिति की बैठकें होनी शुरू हुई हैं.

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उपचुनाव के बाद राठौड़ ने भाजपा की ओर से संभाल रखा है मोर्चा!
सियासी गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर है कि कांग्रेस से जवाब मांगने की जिम्मेदारी आजकल भाजपा में राजेन्द्र राठौड़ ही उठा रहे हैं. उपचुनाव में हार के बाद प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां की जगह हर फ्रंट पर राठौड़ ही नजर आ रहे हैं. पेट्रोल डीजल का वैट कम करने का मामला हो या पूर्व विधायक मेघवाल पर जयपुर में हमले का मामला राठौड़ ने पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है.

राजेन्द्र राठौड़ ने हेमाराम चौधरी इस्तीफा प्रकरण में विधानसभा सचिव को चिट्ठी में लिखा है कि, ‘कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राजनीति, वरिष्ठता के आधार पर सम्मान नहीं मिलने और विकास के कामों में हो रहे भेदभाव से आहत होकर हेमाराम चौधरी ने 18 मई को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. इस्तीफे के 143 दिन बाद भी विधानसभा अध्यक्ष ने कोई फैसला नहीं किया, इससे अचरज की स्थिति है. विधानसभा में आज राजकीय उपक्रम समिति की बैठक बुलाई गई. समिति के अध्यक्ष हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा देने के बावजूद समिति की बैठक की अध्यक्षता की’. राठौड़ ने लिखा है कि, ‘इससे साफ हो रहा है कि उनके इस्तीफे पर पिछले दरवाजे से निर्णय लिया जा चुका है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि हेमाराम जी के इस्तीफे को लेकर जानबूझकर सार्वजनिक रूप से वर्तमान स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही है’.

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हेमाराम के इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करें स्पीकर- राठौड़
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आगे मांग करते हुए लिखा है कि, ‘हेमाराम चौधरी बजट सत्र सहित मई के बाद विधानसभा की बैठक में जानबूझकर अनुपस्थित रहे. उनके इस्तीफा भेजने के बाद एक लंबा अंतराल बीत जाने के बावजूद इस पर फैसला नहीं करने से असमंजस के हालात बने हुए हैं. उनके राजकीय उपक्रम समिति की बैठक लेने का मतलब साफ है कि वे विधानसभा सदस्य बने हुए हैं. जब वे राजकीय उपक्रम समिति की बैठक ले रहे हैं, तो विधानसभा अध्यक्ष को अब हेमाराम के इस्तीफे को मंजूर या नामंजूर करने पर आधिकारिक फैसला कर देना चाहिए, इससे असमंजस खत्म होगा’.

मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे हैं चौधरी!
भाजपाई दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने इस पत्र के जरिए कांग्रेस की सियासी कलह को कुरेदने की कोशिश की है. विधायकी से इस्तीफा देने वाले हेमाराम चौधरी कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं. हेमाराम चौधरी से जुड़े लोगों का कहना है कि मंत्रिमंडल में नहीं लिए जाने से वे काफी नाराज चल रहे थे. बल्कि बाड़मेर जिले से ही आने वाले हरीश चौधरी को मंत्री बनाए जाने के बाद हेमाराम चौधरी की नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई थी. चौधरी ने सियासी संकट के दौरान सचिन पायलट के साथ कंधे से कंधा मिलाए रखा था.

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सूत्रों का कहना है कि अब सीएम अशोक गहलोत, प्रभारी अजय माकन और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने हेमाराम चौधरी से बात कर उनकी मांगों पर उचित समाधान का आश्वासन भी दिया है. उसके बाद से उनके तेवर काफी नरम नजर आ रहे हैं. और अब राज्य के हालात पहले से अलग है. वहीं दूसरी ओर हरीश चौधरी को पंजाब प्रभारी बनाया गया है, तो उनके मंत्री पद से हटते ही हेमाराम चौधरी ही इस पद के दावेदार होंगे. यह भी हेमाराम के तेवर नरम होने के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है.

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