पॉलिटॉक्स ब्यूरो. (Saamana) महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन आने वाले एक नए मोड़ से अब दिमाग चक्करघिन्नी होने लगा है. अभी कल तक ये बिल्कुल स्पष्ट सा लगने लगा था कि अब सूबे में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की फाइनल घोषणा 17 नवम्बर यानि बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि के दिन होने वाली है. लेकिन एक तरफ कांग्रेस और शिवसेना के बीच विचाराधात्मक मुद्दों पर सहमति अभी भी नहीं बन पाई है वहीं शरद पवार का यह कहना कि अभी सरकार बनने में समय लगेगा, ने फिर से शंका को और बढ़ा दिया है. रही सही कसर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को भाजपा प्रदेश कार्यकारणी की बैठक में यह दावा करके पूरी कर दी कि महाराष्ट्र में बीजेपी के बिना सरकार बन ही नहीं सकती.
उधर शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना‘ के जरिए बीजेपी पर लगातार निशाना साधा रही है. ‘सामना’ (Saamana) का ताजा संपादकीय लेख ‘राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार‘ शीर्षक के साथ लिखा गया है. इसमें शिवसेना ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोलते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र में नए समीकरण से कई लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. छह महीने सरकार न टिकने का श्राप दिए जा रहे हैं. हमें ऐसे शाप दिए जा रहे हैं कि यदि सरकार बन गई तो टिकेगी कितने दिन, यह भविष्य भी बताया जा रहा है कि महाशिवआघाड़ी की नई सरकार छह महीने से ज्यादा सरकार नहीं चलेगी. तो यह धंधा (भविष्यवाणी करने का) लाभदायक भले हो लेकिन अंधश्रद्धा कानून को तोड़ने वाला है.
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शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में आज लिखा गया है कि ‘घोड़ाबाजार‘ शुरू है. बीजेपी नेता पाटिल के सरकार बनाने वाले बयान पर लिखा है कि “बीजेपी किस मुंह से कह रही है कि राज्य में सरकार बनाएगी. “हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं, ऐसा किसी को लगता है तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं. ये मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. ऐसी स्थिति ज्यादा समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी. एक तो नरेंद्र मोदी जैसे नेता के नाम पर उनका खेल शुरू है और इसमें मोदी का ही नाम खराब हो रहा है. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है और राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 105 वालों का आत्मविश्वास इस प्रकार झाग बनकर निकल रहा है. मानो मुंबई किनारे के अरब सागर की लहरें उछाल मार रही हों. पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने विधायकों को बड़ी विनम्रता से कहा कि बिंदास रहो, राज्य में फिर से भाजपा की ही सरकार आ रही है.”
वहीं ‘सामना‘ (Saamana) में घोड़ाबाजार यानी हॉर्स ट्रेडिंग का जिक्र करते हुए लिखा, ”राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार लगाने का मंसूबा अब साफ हो गया है. स्वच्छ और पारदर्शी काम करने का वचन देने वालों का यह झूठ अब बार-बार साबित हो रहा है. सत्ता या मुख्यमंत्री पद का अमरपट्टा लेकर कोई जन्म नहीं लेता. खुद को विश्वविजेता कहने वाले नेपोलियन और सिकंदर जैसे योद्धा भी आए और गए. श्रीराम को भी राज्य छोड़ना पड़ा. औरंगजेब आखिर जमीन में गाड़ा गया, तो अजेय होने की लफ्फाजी (ग़लतफ़हमी) क्यों?”
वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के महाराष्ट्र की राजनीति को क्रिकेट से जोड़ने वाले बयान पर शिवसेना ने पलटवार कर्तव्य हुए सामना (Saamana) में लिखा है कि, ”एक तरफ फडणवीस राज्य में फिर से बीजेपी की ही सरकार का दावा करते हैं और दूसरी तरफ नितिन गडकरी ने क्रिकेट का रबड़ी बॉल राजनीति में फेंक दिया है जबकि गडकरी का क्रिकेट से कोई संबंध नहीं है, अगर संबंध है तो शरद पवार और क्रिकेट का है. हां लेकिन अब अमित शाह के बेटे जय शाह भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव बन गए हैं इसलिए बीजेपी का क्रिकेट से अधिकृत संबंध जोड़ा गया है. आजकल क्रिकेट, खेल कम और धंधा ज्यादा बन गया है और क्रिकेट के खेल में भी राजनीति की तरह ‘घोड़ाबाजार’ शुरू है.
गौरतलब है कि शुक्रवार को नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि राज्य में शिवसेना और राकांपा-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह चलेगी पूरे पांच साल. वहीं मुंबई में चल रही भाजपा की तीन दिवसीय प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि भाजपा के पास 119 विधायक हैं और उसको साथ लिए बिना सूबे किसी की सरकार बन ही नहीं सकती है. बता दें कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में 105 सीटें मिली हैं और वह 14 निर्दलीय विधायकों के समर्थन हासिल होने का दावा कर रही है.(Saamana)