सत्ता की कुर्सी के लिए जरूरी जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए राजनैतिक दलों के लिए पार्टी की नीति और कार्यकर्ताओं से किए गए वादे कोई महत्व नहीं रखते. जैसे ही चुनाव करीब आते हैं, राजनैतिक दल अपने वादों से उलट जुगाड़ू और जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर देते हैं. ताजा उदाहरण के तौर पर कांग्रेस को ही देख लीजिए. पिछले लोकसभा और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं से वादा किया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास कर उन्हें चुनाव लड़वाएगी लेकिन चुनाव आते ही कांग्रेस अध्यक्ष अपने द्वारा किए गए वादों को भूल बैठे. नतीजा यह रहा कि यहां एक-दो नहीं बल्कि करीब डेढ़ दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां पार्टी हाईकमाल ने बाहरी या जुगाड़ू प्रत्याशियों पर दांव खेला है. आइए जानते हैं पेराशूटी उम्मीदवारों के बारे में-
इटावा:
पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को किनारे कर हाईकमान ने इस सीट पर चंद दिनों पहले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए अशोक दोहरे को मैदान में उतारा है. अशोक दोहरे वर्तमान में यहां से सांसद हैं और टिकट कटने पर कांग्रेस में शामिल हो गए. इस सीट पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे.
सीतापुर:
कांग्रेस ने सीतापुर सीट पर भी हाल ही में पार्टी ज्वॉइन करने वाली कैसरजहां को टिकट दिया है. कैसरजहां सीतापुर सीट से बसपा के टिकट पर 2009 में सांसद चुनी गई थीं लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला. नाराज कैसरजहां ने बसपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. यहां से पूर्व मंत्री अम्मार रिजवी जैसे कई दिग्गज टिकट मांग रहे थे.
देवरिया:
पूर्वांचल की इस सीट पर कांग्रेस ने नियाज अहमद को पंजे का चुनाव चिंह देकर चुनावी दंगल में उतारा है. नियाज अहमद कुछ दिन पहले ही बसपा छोड़ कांग्रेस में आए हैं. पार्टी में शामिल होते ही उन्हें कांग्रेस ने गिफ्ट स्वरूप देवरिया से टिकट थमा दिया. जबकि इससे पहले कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को यहां से चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया था. विधानसभा चुनावों के बाद से ही अखिलेश लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे लेकिन अब सब शांत हो गया है.
बांदा:
बुंदेलखंड की बांदा संसदीय सीट पर कांग्रेस ने दस्यु सरगना बाल कुमार पटेल पर दांव लगाया है. चुनाव से पहले सपा पार्टी छोड़ पार्टी में शामिल हुए पटेल का उस क्षेत्र में खासा वोट बैंक माना जाता है. इस सीट से कांग्रेस के पूर्व मंत्री विवेक सिंह टिकट मांग रहे थे. दिल्ली हाईकमाल सहित आला नेताओं ने उन्हें आश्वासन के साथ चुनावी तैयारियों में जुटने का आश्वासन भी दिया था.
मोहनलालगंज:
लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर कांग्रेस ने राम शंकर भार्गव को दिया टिकट वापिस लेकर पूर्व मंत्री आरके चौधरी को मैदान में उतारा. पहले इस सीट पर भार्गव को टिकट दिए जाने का ऐलान किया जा चुका था और उन्होंने जनसंपर्क भी शुरू कर दिया था. लेकिन पार्टी ने भार्गव से मुंह मोड़कर जिताऊ प्रत्याशी के चक्कर ने बसपा से पार्टी में शामिल हुए आरके चौधरी को टिकट थमा दिया.
बहराइच:
इस सीट पर कांग्रेस में अपनों को छोड़ जुगाड़ू प्रत्याशी के रूप में सावित्री बाई फुले को हाथ का साथ दिया है. फुले 2014 में बीजेपी के टिकट पर यहां से सांसद चुनी गई थीं, लेकिन इस बार टिकट कटने से उन्हें कांग्रेस की याद आयी. टिकट घोषणा से पहले यहां से पूर्व सांसद कमल किशोर कमांडो मजबूत दावेदार माने जा रहे थे.
यूपी की इन सीटों पर पेराशूटर
- हरदोई : वीरेंद्र कुमार वर्मा – बीजेपी
- मिश्रिख : मंजरी राही – बीजेपी
- जौलान : बृजलाल खाबरी – बीएसपी
- फतेहपुर : राकेश सचान – सपा
- बासगांव : कुश सौरभ – रिटायर्ड आईपीएस
- बिजनौर : नसीमुद्दीन सिद्दीकी – पिछले चुनाव के बाद कांग्रेस में आए
- गौतमबुद्धनगर : डॉ. अरविंद सिंह चौहान – बसपा सरकार में मंत्री रहे जयवीर सिंह के पुत्र
- घोसी : बाल कृष्ण चौहान – बीएसपी
- बस्ती : राज किशोर सिंह – सपा
- भदोही : रमाकांत यादव – बीजेपी
- आगरा : प्रीता हरित – भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ कर आईं
- मुरादाबाद : इमरान प्रतापगढ़ी – पहली बार राजनीति में, प्रतिष्ठित शायर