Politalks.News/BiharPolitics. एक तरफ देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो चुकी है, तो वहीं बिहार (Bihar) की राजनीति भी कोई कम हिचकोले नहीं खा रही है. बिहार की सत्ता पर काबिज जदयू और बीजेपी गठबंधन में कुछ भी ठीक चलता हुआ नजर नहीं आ रहा है. दोनों ही दलों के नेता समय-समय पर एक दूसरे के खिलाफ सियासी बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं. इसी बीच खरमास ख़त्म होने के साथ ही बिहार में बड़े उलटफेर की संभावना भी नजर आने लगी है. हाल के दिनों में बिहार में शराबबंदी, सम्राट अशोक, यूपी चुनाव जैसे तमाम मुद्दों को लेकर जदयू और बीजेपी के नेता एक दूसरे पर जमकर प्रहार कर रहे हैं. दोनों दलों के नेताओं के बीच एक-दूसरे को गलत साबित करने की मानो जैसे होड़ सी लगी है. इन सभी घटनाक्रमों को मद्देनजर रखते हुए ये सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में जल्द ही बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होने वाला है.
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh Assembly eleciton) के साथ ही बिहार भी एक बड़ा राज्य है. बीजेपी ने जहां विधानसभा चुनाव में कम सीटें जीतने के बावजूद भी जदयू प्रमुख नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी नेताओं को कहीं न कहीं ये सब रास नहीं आ रहा है. बिहार सरकार की कई योजनाएं और फैसले जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शामिल हैं उनका अब बीजेपी खुलकर विरोध करने लगी है. बात की जाए शराबबंदी की तो इसको लेकर भी बीजेपी और जदयू के नेता आमने-सामने आ चुके हैं. बात यहां तक आ पहुंची है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को कहना पड़ा कि, ‘एनडीए की मर्यादा का ख्याल एक तरफा नहीं रखा जा सकता है. पीएम मोदी पर सवाल खड़ा किया जाएगा तो बीजेपी के 75 लाख कार्यकर्ता जवाब देना जानते हैं.’
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आपको बता दें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से 14 लोगों की मौत के बाद बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल ने खुलकर इसका विरोध किया और शराबबंदी कानून की समीक्षा की बात कही. बीजेपी नेता जायसवाल ने कहा कि, ‘पहले जेडीयू ने उनके क्षेत्र में हुए मौत पर सवाल पूछा था अब नालन्दा को लेकर जेडीयू को भी जवाब देना चाहिए.’ उन्होंने सवाल पूछा था कि, ‘क्या जिन लोगों की मौत हुई है उनके घर के लोगों को भी जेल भेजा जाएगा? उन्होंने पुलिस और प्रशासन के मिलीभगत पर भी सवाल खड़ा किया.’ दूसरी तरफ बीजेपी के सवालों पर जेडीयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सीधा संजय जायसवाल को टारगेट करते हुए कहा था कि, ‘वो क्या बोलते हैं सिर्फ वही समझते हैं. सरकार में वो भी शामिल हैं और फिर भी ऐसे सवाल उठा रहे हैं.’
वहीं शराबबंदी के अलावा लेखक दया प्रकाश सिन्हा द्वारा महान सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना करने पर भी दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे के सामने आ चुके हैं. सम्राट अशोक पर दया प्रकाश की राय को लेकर जेडीयू के तमाम बड़े नेता बीजेपी पर सवाल खड़े करते नजर आये और उन्होंने लेखक दया प्रकाश को दिए राष्ट्रपति पुरस्कार को वापस लेने की बात कह डाली. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी नेताओं ने जमकर बीजेपी पर निशाना साधा था. उस समय भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जदयू नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 75 लाख बीजेपी कार्यकर्ताओं के जवाब देने की बात कह डाली.
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ऐसे माहौल में सियासी गलियारों में अब चर्चा है कि आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच कई मुद्दों को लेकर चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी जदयू को बीजेपी की तरफ से एक भी सीट ना दिए जाने को लेकर भी ये कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी चुनाव परिणाम के बाद कुछ बड़ा हो सकता है. यूपी चुनाव को लेकर जदयू यह मानकर चल रही थी कि जेडीयू को सीट मिलेगी लेकिन नहीं दी गई. वहीं सियासी गलियारों में ये चर्चा भी जोरों पर है कि अगर यूपी चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत होती है तो बिहार की सियासत और गर्म होगी.