Politalks.News/Bihar/Maharashtra. बिहार में एनडीए ने बहुमत हासिल कर लिया है. जहां तक उम्मीद है, दिवाली के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे. इस बीच शिवसेना ने नीतीश के फिर से सीएम बनने को लेकर गंभीर सवाल किया है. इसके साथ ही तेजस्वी यादव की जमकर तारीफ की है. शिवसेना ने तेजस्वी की हार से इनकार करते हुए कहा कि तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था यह संघर्ष परिवार का था और उसी प्रकार सामने बलवान सत्ताधारियों से था. नीतीश को उनके इतना डर लगा कि उन्हें राजनीति संन्यास तक के लिए कहना पड़ा. शिवसेना ने ये भी कहा कि कम सीटे आने के बावजूद नीतीश कुमार का सीएम बनना अधर में है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार आई है लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे क्या? यह मामला अधर में है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई और बीजेपी ने 70 का आंकड़ा पार किया. इस तरह एनडीए कुल 125 सीटों पर काबिज हुई है. वहीं कांग्रेस के लचर प्रदर्शन को राजद की हार का कारण बताया.
शिवसेना ने कहा कि बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी की फिसलन का बड़ा झटका तेजस्वी यादव को लगा. वाम दलों ने कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस वैसा नहीं कर पाई. शिवसेना ने कहा कि तेजस्वी यादव हार गए हैं, ऐसा हम मानने को तैयार नहीं. तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था. यह संघर्ष परिवार का था और उसी प्रकार सामने बलवान सत्ताधारियों से था. तेजस्वी को फंसाने और बदनाम करने का एक भी मौका दिल्ली और पटना के सत्ताधारियों ने नहीं छोड़ा.
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शिवसेना ने आगे कहा कि नीतीश कुमार को हार की इतनी चिंता हुई कि उन्हें भावनात्मक अपील करते हुए प्रचार के आखिरी चरण में कहना पड़ा कि यह उनका आखिरी चुनाव है. राजनीति में नए तेजस्वी पर्व की शुरुआत हो गई है. नया युवा तेजस्वी यादव का चेहरा उदित हुआ है. सामना में लिखा कि तेजस्वी ने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, जेपी नड्डा और सारे सत्ताधीशों से अकेले लड़ाई लड़ी. तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जोरदार चुनौती दी. लेकिन जिस तरह बिहार चुनाव में मोदी का करिश्मा काम आया, ऐसा जिन्हें लग रहा होगा वे तेजस्वी यादव के साथ अन्याय कर रहे हैं.’
सामना में शिवसेना ने आगे लिखा कि शुरुआती रूझानों में एकतरफा लगने वाली जीत मुकाबले वाली हो गई और वह सिर्फ तेजस्वी यादव की तूफानी प्रचार सभाओं के कारण ही हुआ. तेजस्वी ने एक महागठबंधन बनाया. तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का मुख्य चेहरा थे. तेजस्वी की सभाओं को प्रचंड प्रतिसाद मिला और सभाओं में गजब की जीवंतता देखने को मिली.
बता दें, बिहार चुनाव में बीजेपी को 74, जदयू को 43 और हम एवं वीआईपी ने 4-4 सीटें अपने नाम की है. महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19 और वामदलों को 16 सीटों पर जीत मिली है.