चुनाव विशेष: सोशल कैंपेनिंग के जरिए राजद की नैया पार लगा पाएंगे तेजस्वी यादव!

पिछले काफी महीनों से सोशल मीडिया सहित आमजन के बीच एक्टिव हैं लालू के लाल, नीतीश सरकार पर कर रहे​ डिजिटली हमले, लालू-राबड़ी भी नीतीश को घेरने में पीछे नहीं, राजद के अन्य नेताओं को भी रास आ रहा चुनावी प्रचार का ये तरीका

Tejashwi Yadav Bihar Election 2020
Tejashwi Yadav Bihar Election 2020

Politalks.news/Bihar. बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें आने में अभी कुछ दिन और लगने वाले हैं, इसलिए पार्टियों ने अपनी अपनी रणनीतियों का काम शुरु कर दिया है. हालांकि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के चलते देशभर में सात दिन का राजकीय शोक जारी किया है जिसके चलते कुछ दिन सभी प्रस्तावित कार्यक्रम आगे-पीछे हो सकते हैं. पहले से प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार, राहुल गांधी आज वर्चुअल रैली के जरिए बिहार चुनाव का बिगुल बजाने वाले थे, तो सीएम नीतीश कुमार की पहली चुनावी रैली 6 सितम्बर को रखी गई थी. बीजेपी भी 13 सितम्बर से अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत करने वाली है. वहीं दूसरी ओर, राजद पिछले एक साल से लगातार चुनावी प्रचार कर रही है लेकिन अपने तरीके से.

इस बार पार्टी मुखिया लालू प्रसाद यादव पर्दे के पीछे जरूर हैं लेकिन पार्टी की कमान तेजस्वी यादव के हाथ में ही है. ऐसे में वे डिजिटली कैंपेनिंग के जरिए पार्टी का चुनावी प्रचार पिछले काफी समय से कर रहे हैं. काबिले गौर ये भी है कि कोरोना काल में जब बिहार संक्रमण के साथ साथ बाढ़ की स्थितियों से जूझ रहा था, उस समय तेजस्वी यादव घर में बैठने की बजाए लोगों के बीच थे और खुद अपने हाथों से खाना बांट रहे थे. इस काम ने उन्हें न केवल सरकार पर तंज कसने का मौका दिया, बल्कि लोगों के बीच उनकी छवि एक नेता के तौर पर बनाने का काम भी किया.

खैर.​..फिर से आते हैं तेजस्वी के ऑनलाइन कैंपेनिंग पर, जहां उनकी डिजिटल मार्केटिंग की टीम लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार पर निशाना साध रही है. बात ये भी ध्यान देने की है कि पहले तेजस्वी की ओर से ही ये डिजिटली वार किए जा रहे थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से पूर्व सीएम राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव की ओर से भी इन तरीकों को अपनाया जा रहा है. राजद के नेता भी सोशल कैंपेनिंग के जरिए जदयू और बीजेपी नेताओं को आड़े हाथ ले रहे हैं. पोस्टर वॉर तो राजद और जदयू में लंबे समय से चला आ ही रहा है.

तेजस्वी के ताजा पोस्टर को देखें तो उनकी सोच और चुनावी मुद्दों की एक झलक आसानी से दिख जाएगी. ये बिहार में बेरोजगार को लेकर है जिस पर तेजस्वी ने लिखा है, ‘बेरोजगारी इस देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है लेकिन यह सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. करोड़ों युवाओं को नौकरी देने का वादा था यहाँ तो नौकरियाँ छिनी जा रही है. बिहार में सबसे अधिक बेरोज़गारी है. डबल इंजन सरकार ने बिहार को बेरोज़गारी का केंद्र बना दिया.’

बाढ़ पीड़ितों का जिक्र भी तेजस्वी अपने चुनावी प्रचार में करने वाले हैं. अपनी एक पोस्ट में सीएम नीतीश कुमार के 15 सालों के कार्यकाल पर तंज कसते हुए तेजस्वी ने लिखा, ‘बिहार में 16 जिलों के 84 लाख लोग बाढ़ से सीधे प्रभावित, 40 लाख कामगार बेरोजगार और 15 सालों में हजारों करोड़ के सत्यापित सबसे अधिक 57 घोटाले बिहार में हुए.’

बेरोजगारों के ये वीडियो युवाओं में काफी पॉपुलर हो रहे हैं जिनमें युवाओं की अपेक्षाओं और मजबूरियों को साफ तौर पर देखा जा सकता है.

बाढ़ प्रभावित इलाकों में तेजस्वी का दौरा और उसी दौरान बिहार के मुख्यमंत्री को कुंभकरण की निंद्रा में बताने वाले लालू सपूत की ये फोटो अपने आप में काफी कुछ कह रही हैं.

इधर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी ऑनलाइन कैंपेनिंग में पीछे नहीं हैं. वे लगातार महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर एनडीए सरकार और सीएम नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश कर रही हैं. गर्भाश्य घोटाला और कोरोना काल में सरकारी आंकड़ों को लेकर उन्होंने सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं.

लालू प्रसाद यादव भी लगातार डिजिटली अपना चुनाव प्रचार करते हुए सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी पर निशाना साध रहे हैं.

उनके अधिकतर ट्वीट और कैंपेनिंग स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर किए गए हैं जिन पर राजद नीतीश कुमार की जदयू और बीजेपी को घेरने में सफल भी होते दिख रहे हैं.

 

उद्घाटन से पहले पुल को टूटने और उसका आरोप राजद पर गढ़ने का नीतीश कुमार का ये तरीका लालू ने कितने तरीके से बयां किया है.. आप खुद भी देखिए.

आम आदमी की समस्याओं को भी ​टवीटर के जरिए सबके सामने लाना भी राजद को चुनावों में अच्छा खासा फायदा पहुंचा सकता है.

इधर, राजद के अन्य नेताओं को भी ये तरीका काफी पसंद और कारगर भी लग रहा है. यही वजह है राजद के अन्य नेता भी सरकार की खामियों को इस तरीके से सबसे सामने ला रहे हैं.

सोशल कैंपेनिंग तक तो ठीक है लेकिन कोरोना संकट और बाढ़ के समय आमजन के बीच जाकर उनकी तकलीफों को पता करना एवं अपने संक्रमण का खतरा होते हुए भी अपने हाथों से लोगों को खाना बांटना जैसी बातों से तेजस्वी गरीब तबके के बीच अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं. इससे पहले कामगार मजदूरों और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में पढ़ रहे बिहारी बच्चों को वापिस बुलाने के मुद्दे को भी राजद व तेजस्वी ने पुरजोर उठाया था. इसके बाद कहीं जाकर नीतीश सरकार ने उन्हें वापिस बुलाने पर हामी भरी थी.

राजद और युवा नेता तेजस्वी की ये सोशल कैंपेनिंग बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का कितना फायदा करा पाती है, ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है लेकिन सोशल कैंपेनिंग के जरिए ही सही, बार बार नीतीश सरकार के 15 सालों के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए एनडीए गठबंधन पर हमले चुनावी माहौल से पहले ही राजद को लीड दिलाने वाले साबित हो रहे हैं.

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