कांग्रेसी बने बसपा के 6 MLAs को वोटिंग से रोकें अन्यथा अपूरणीय क्षति होगी- SC में दायर हुई याचिका

भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ रविवार को विशेष अनुमति से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है, जिस पर आज जस्टिस अरुण मिश्रा की खंडपीठ करेगी सुनवाई

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच हर रोज कुछ नया सामने आता है. अब बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में फिर एक नया मोड़ आ गया है. भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ रविवार को विशेष अनुमति से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है, जिस पर आज जस्टिस अरुण मिश्रा की खंडपीठ सुनवाई करेगी.

भारतीय जनता पार्टी विधायक मदन दिलावर ने इस तर्क के साथ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका एसएलपी पेश की है, राजस्थान विधानसभा के 14 अगस्त को शुरु होने वाले सत्र में कांग्रेस सदस्य बन चुके बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों को मतदान करने से रोका जाए, अन्यथा अपूरणीय क्षति होगी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट में आज को सुनवाई होगी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने रविवार शाम वाद सूची जारी कर दी थी.

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बता दें, बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में 6 अगस्त को हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने एकलपीठ से 11 अगस्त को स्थगन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर उसी दिन निर्णय करने को कहा था, जिसके अनुसार एकलपीठ में मंगलवार को सुनवाई तय थी, लेकिन रविवार शाम जारी सुप्रीम कोर्ट की वाद सूची से घटनाक्रम में नया मोड आ गया. भाजपा विधायक मदन दिलावर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में हाईकोर्ट की खण्डपीठ के 6 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है और 14 अगस्त को शुरु होने वाले सत्र को ध्यान में रखते हुए बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों को सदन में मतदान से रोकने की प्रार्थना की है.

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दिवालर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में कहा है कि बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितम्बर 19 के आदेश और इन विधायकों को मतदान सहित अन्य कार्य से नहीं रोका गया तो याचिकाकर्ता दिलावर को अपूरणीय क्षति होगी, जिसकी आर्थिक तरीके से भरपाई नहीं हो सकती. इसमें यह भी कहा है कि पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ से 30 जुलाई 20 को इन विधायकों के विलय के आदेश पर रोक की मांग की गई थी और वहां से आदेश नहीं मिलने पर 6 अगस्त 20 को हाईकोर्ट की खण्डपीठ से इसी तरह की मांग की गई, लेकिन दोनों ही जगह से रोक का आदेश नहीं मिल पाया.

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