पॉलिटॉक्स न्यूज. गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. घटना के बाद सियासी सरगर्मियां और बयानबाजी तेज हो गई. इस बीच राहुल गांधी ने सैनिकों की शहादत पर बोलते हुए सैनिकों के विरोधी दल के कैंप में निहत्थे जाने पर सवाल उठाया. इसी पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को 2008 में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन की याद दिलाते हुए उनके व्यवहार को गैर जिम्मेदाराना बताया. पात्रा ने कहा कि जिस प्रकार का अविश्वास देश के प्रति राहुल गांधी दिखाते हैं, वो गैर जिम्मेदाराना है,
संबित पात्रा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं, ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और भारत की एकता के लिए कुछ भी करना पड़े तो हम करेंगे.’ पात्रा ने कहा कि हम दुखी भी हैं और गुस्सा भी हैं लेकिन राहुल जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं वो गैरजिम्मेदाराना है. पात्रा ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पर दिए बयान को गलत बताते हुए कहा कि जब आप (राहुल गांधी) कहते हैं कि डरा हुआ प्रधानमंत्री, तब आप एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि देश पर हमले कर रहे हैं.
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दरअसल, कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने चीन सीमा विवाद पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. गुरुवार को एक वीडियो संदेश जारी करते हुए राहुल गांधी ने सवाल किया कि चीन ने हिंदुस्तान के शस्त्रहीन सैनिकों की हत्या करके बहुत बड़ा अपराध किया है. इन वीरों को बिना हथियार के खतरे की ओर किसने भेजा, क्यों भेजा? आखिर कौन जिम्मेदार है?
कौन ज़िम्मेदार है? pic.twitter.com/UsRSWV6mKs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2020
इस पर जवाब देते हुए बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कांग्रेस को 2008 में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन ने एक संधि याद दिलाते हुए कहा, ‘क्या आप देश को सोया हुआ बता रहे हैं, जबकि हमारे 20 जवानों ने अपनी शहादत दी है. आप ये बता रहे हैं कि भारत ने अपने सैनिकों को निहत्था छोड़ दिया. क्या आपको ज्ञान नहीं है,? अगर नहीं है तो पढ़िए. 2008 में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन ने एक संधि की था. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में हुई संधि में पार्टी लेवल पर ये तय हुआ था कि अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय मसलों पर दोनों पार्टियां आपस में बातचीत करेंगी. राहुल गांधी इस संधि के बारे में क्यों नहीं बोलते हैं?’
Sharing the video of today’s Press Conference on Rahul Gandhi’s misinformations: https://t.co/0rXv4ybFPv
— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 18, 2020
इधर चीनी कंपनी को रेल कॉरिडोर का ठेका देने पर प्रियंका गांधी ने भी सरकार को घेरा और इसे घुटने टेकने जैसी रणनीति बताया. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को मजबूत संदेश देना चाहिए लेकिन सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कम्पनी को सौंप कर घुटने टेकने जैसी रणनीति अपनाई है.
हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार को मजबूत संदेश देना चाहिए लेकिन सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कम्पनी को सौंप कर घुटने टेकने जैसी रणनीति अपनाई है।
तमाम भारतीय कंपनियां भी इस कॉरिडोर को बनाने के काबिल हैं।https://t.co/mZafLpEzU5
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 18, 2020
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पिछले दिनों दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कंपनी को दिया था. बता दें, दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे कम रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, ‘हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को मजबूत संदेश देना चाहिए लेकिन सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कम्पनी को सौंप कर घुटने टेकने जैसी रणनीति अपनाई है. तमाम भारतीय कंपनियां भी इस कॉरिडोर को बनाने के काबिल हैं.’
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सीामा विवाद के बाद जिस तरह चीनी प्रोडक्ट का विरोध किया जा रहा है, उसे देखते हुए भारत सरकार ने तुरंत प्रभाव से चीनी कंपनी को दिया गया प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है. 417 किमी. लंबे दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का सिग्नलिंग और टेलीकॉम करने का चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रेक्ट था. इसके साथ ही भारत सरकार ने उन प्रोजेक्ट की भी समीक्षा करना शुरु कर दिया है, जो चीनी कंपनियों को दिए गए हैं. सरकार की ओर से बिड को कैंसिल करने के लिए सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है. चीनी भागीदारी वाले प्रोजेक्ट पर भी पुर्न:विचार किया जा रहा है.
मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को सबक सिखाने की पूरी तैयारी में है. टेलीकॉम सेक्टर को भी चीनी उपकरण इस्तेमाल कम करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए संचार मंत्रालय ने निजी टेलीकॉम कंपनियों को भी सख्त हिदायत दी है.