जरुरतमंद लाभार्थियों की सूची को लेकर पासवान और मदन सहनी हुए आमने सामने, लगाए गंभीर आरोप

पासवान बोले- बिहार ने गरीबों की लिस्ट नहीं दी, सिर्फ पत्र भेजा तो सहनी ने दिया- अनाज दें, राजनीति न करें, सूची एनआईसी के पोर्टल पर मौजूद

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पॉलिटॉक्स न्यूज/बिहार. कोरोना संकट के बीच बिहार की राजनीति भी लगातार करवट बदल रही है. अब प्रदेश की पूरी राजनीति केंद्र बिंदु प्रवासी मजदूर और राहत पैकेज पर आकर टिक गई है. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री मदन सहनी आमने सामने हैं. अनाज आपूर्ति को लेकर एक ओर पासवान ने 14 लाख जरूरतमंदों की लिस्ट न दिए जाने की बात कही है, वहीं सरकार में मंत्री सहनी ने पासवान पर अनाज देने की बजाय राजनीति करने का आरोप लगाया.

मामले पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि बिहार के राशन के 14 लाख ज़रुरतमंद लाभार्थियों की सूची उन्हें नहीं मिली है. बिहार से उनके मंत्रालय को सिर्फ एक पत्र मिला है, जिसमें बताया गया है कि लिस्ट एनआईसी को भेज दी गयी है. यह ठीक है, लेकिन जरूरतमंदों की वह लिस्ट हमें भी तो भेजिये. ये वहीं ज़रुरतमंद लोग हैं जो पिछले पांच वर्षों से वंचित हैं, क्योंकि इनका नाम अपडेट सूची में शामिल नहीं है.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने कई बार स्वयं राज्य सरकार के मंत्री से बात कर उनसे शेष बचे 14 लाख लोगों की सूची भेजने को कहा, लेकिन सूची अब तक नहीं आयी है. यह तकनीकी मामला है और इसकी एक मान्य प्रक्रिया है. केन्द्र हर जरूरतमंदों को राशन देने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए नियम का पालन तो हो. पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार इस समय 81 करोड़ लोगों को राशन दे रही है तो बिहार के वंचितों को राशन देने में हमें क्यों परेशानी होगी? लेकिन इसके लिए तय मापदंडों का तो पालन करना ही होगा.

केंद्रीय मंत्री पासवान ने ये भी बताया कि दरअसल, बिहार में 8.71 करोड़ लोग फूड सेक्युरिटी एक्ट के तहत खाद्यान्न पाने के हकदार हैं लेकिन, मात्र 8.57 लाख लोगों को ही राशन मिल पाता है. ऐसा इसलिए है कि इतने ही लोगों के नाम पोर्टल पर डाले गए हैं. पिछले पांच वर्षों से इतने ही नाम हैं. लिहाजा बिहार के 14 लाख पात्र लोग राशन से वंचित हैं. सूची अपडेट करने के बाद इनके लिए केन्द्र तत्काल राशन की व्यवस्था करेगा.

इस पर बिहार के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान बिहार के गरीबों के लिए अनाज की व्यवस्था करने की जगह राजनीति कर रहे हैं. अगर वे गंभीर होते तो बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए 16 लाख राशन कार्डधारियों के लिए अनाज जारी करने का आदेश दे चुके होते, लेकिन उनकी दिलचस्पी गरीबों को अनाज मुहैया कराने में है ही नहीं.

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खाद्य मंत्री ने कहा, ‘राशन कार्डधारियों का आंकड़ा हमेशा एनआईसी के पोर्टल पर ही डाला जाता है. पासवान पहले यह बताएं कि उनको व्यक्तिगत रूप से आंकड़े क्यों चाहिए? अगर उन्हें आंकड़ों की सचमुच जरूरत है तो एनआईसी हैदराबाद से पूरा ब्योरा मांग लें. एनआईसी केंद्र सरकार की एजेंसी है. केंद्रीय मंत्री ने 14 लाख लोगों की बात की लेकिन हमने तो 16 लाख लोगों का पूरा ब्योरा भेज दिया है. अभी तो और भी 40 लाख परिवारों का राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है.’

सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता सहनी ने कहा कि अस्वीकृत किए जा चुके आवेदनों में से 10 लाख 21 हजार आवेदनों की आधार लिंकिंग की जा चुकी है. जीविका समूह द्वारा राशन कार्ड से वंचित 22 लाख 45 हजार परिवारों की पहचान की गई है. जबकि शहरी आजीविका मिशन द्वारा नगरीय क्षेत्र में 4.09 लाख परिवारों की पहचान की गई है. इनको जल्द राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा. ऐसे में केंद्रीय मंत्री को राजनीति की जगह वंचितों और ज़रुरतमंद लाभार्थियों को अनाज देना चाहिए.

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