Politalks.News/Rajasthan/CPJoshi. राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने गुजरात के पीठासीन सम्मेलन में स्पीकर की शक्तियों पर जमकर बोले. मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के गिरने और राजस्थान के सियासी संकट का भी जिक्र करते हुए उन्होंने इसे ‘मर्डर के बाद सजा’ कहकर संबोधित किया. दल बदल कानून को लेकर भी सीपी जोशी ने खरी खरी कही. संविधान दिवस के मौके पर उन्होंने ये बात कही. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे.
सीपी जोशी जोशी ने सचिन पायलट के बागी होने और गहलोत सरकार पर संकट आने की घटना का जिक्र किया. मामले में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सीपी जोशी ने कहा कि मैंने विधायकों को पत्र लिखकर जानकारी मांग ली तो न्यायपालिका ने ही उस पर हस्तक्षेप कर दिया. हाईकोर्ट ने भी स्पीकर के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हुए कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दे डालें. जोशी ने मामले में दुख प्रकट करते कहा कि अगर ऐसे हस्तक्षेप होता रहा तो फिर स्पीकर की भूमिका क्या रह जाएगी. उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या अब नीतियां बनाने का काम भी न्यायपालिका करेगी. अगर ऐसा है तो फिर चुने हुए जन प्रतिनिधियों का काम ही क्या रह जाएगा.
विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने दलबदल विरोधी कानून पर भी तीखे प्रहार. सीपी जोशी ने कहा कि इस कानून के बाद कोर्ट में मामले ज्यादा बढ़े है. कानून के बाद स्पीकर की गरिमा कम हुई है. जोशी ने 10वें शेड्यूल को खत्म करने की बात कहते हुए कहा कि जन प्रतिनिधि को पार्टी का अध्यक्ष टिकट देता है, लेकिन सदन में उनके खिलाफ होने पर पार्टी कुछ नहीं कर सकती. पार्टी अध्यक्ष को ही विधायक-सांसद पर कार्रवाई का अधिकार होना चाहिए. पार्टी अध्यक्ष के लिखकर देने से विधायकों की अयोग्यता होनी चाहिए. जोशी ने आयोग को दलों पर कार्रवाई का अधिकार होने की बात भी कही.
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मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार के सत्ता पर आसीन होने का जिक्र करते हुए विस अध्यक्ष सीपी जोशी ने बिना किसी का नाम लेते हुए कहा कि कुछ लोगों ने दलबदल कानून का भी तोड़ निकाल लिया है. विधायकों से अब सीधे इस्तीफा दिलाया जा रहा है. इस कानून में ‘मर्डर के बाद सजा’ की बात की जाती है.
रा.विस अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा में वित्तीय स्वतंत्रता का मुद्दा भी उठाया. जोशी ने कहा कि विधानसभा में वित्तीय स्वतंत्रता नहीं है. बजट के लिए स्पीकर को सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है. यहां तक की छोटे-मोटे कामों के लिए भी सरकार के पास जाना पड़ता है. जोशी ने सलाह देते हुए कहा कि विधानसभा की वित्तीय स्वतंत्रता होनी चाहिए.