‘ट्यूशन फीस का सत्तर फीसदी वसूलने के संबंध में एकलपीठ के आदेश को क्यों ना रद्द कर दिया जाए?’

राजस्थान हाइकोर्ट की खंडपीठ ने नोटिस जारी करके पूछा, एकलपीठ ने आदेश देने से पहले अभिभावकों के पक्ष को नहीं सुना, राज्य सरकार के आदेशों को स्थगित किए बिना सत्तर फीसदी फीस वसूली के आदेश दे दिए

Rajasthan High Court Min(1)
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Politalks.News/Rajasthan. स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस देने के एकलपीठ के फैसले के विरुद्ध की गई अपील की सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन्स इंस्टिटूशन इन राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि ट्यूशन फीस का सत्तर फीसदी वसूलने के संबंध में एकलपीठ की ओर से गत 7 सितंबर को दिए आदेश को क्यों ना रद्द कर दिया जाए?. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदडिया की अपील पर दिए.

अपील में बताया गया है कि राज्य सरकार ने गत 9 अप्रैल और 7 जुलाई को आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस को स्थगित कर अभिभावकों को राहत दी थी. वहीं, हाल ही में 7 सितंबर को एकलपीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर स्कूल बंद रहने और प्रभावी शिक्षा नहीं देने के बावजूद स्कूलों को ट्यूशन फीस का 70 फीसदी हिस्सा वसूलने की छूट दे दी. जबकि नियमानुसार याचिका में मांगी गई फाइनल रिलीफ को अंतरिम आदेश में नहीं दिया जा सकता.

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इससे भी ऊपर एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन को ही मुख्य याचिकाकर्ता मानते हुए आदेश दिया था, जबकि यह एसोसिएशन पंजीकृत ही नहीं है. वहीं, एकलपीठ ने आदेश देने से पहले अभिभावकों के पक्ष को नहीं सुना. अपील में यह भी कहा गया कि एकलपीठ ने राज्य सरकार के आदेशों को स्थगित किए बिना सत्तर फीसदी फीस वसूली के आदेश दे दिए. इसके अलावा कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस को अलग से भी नहीं दर्शाया है. अपील में कहा गया कि एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए.

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