आजादी के बाद से अब तक की सबसे युवा मोदी 2.0 कैबिनेट में प्रदेश से राहुल कस्वां व सीपी जोशी की एंट्री

'सहकार से समृद्धि' के विजन को साकार करने के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाया गया नया 'सहयोग मंत्रालय', यह फेरबदल और विस्तार काफी बड़ा होगा, जिसमें करीब डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों को तो शामिल किया ही जाएगा और साथ ही कुछ पुराने चेहरों को हटाया भी जा सकता है, इसके अलावा कुछ बड़े नामों को संगठन में जगह देकर सौंपी जा सकती है पंजाब और यूपी की जिम्मेदारी

आजादी के बाद से अब तक कि सबसे युवा मोदी 2.0 कैबिनेट
आजादी के बाद से अब तक कि सबसे युवा मोदी 2.0 कैबिनेट

Politalks.News/ModiCabinet. देर रात तक चले महामंथन के बाद आज शाम होने मोदी मंत्रिमंडल के सबसे बड़े फेरबदल का खाका तैयार कर लिया गया है. बताया जा रहा है मोदी 2.0 में होने वाले इस पहले बड़े फेरबदल के बाद यह मोदी कैबिनेट आजादी के बाद से अब तक की सबसे युवा कैबिनेट होगी. केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त करने के साथ यह साफ हो गया है कि यह फेरबदल और विस्तार काफी बड़ा होगा, जिसमें करीब डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों को तो शामिल किया ही जाएगा और साथ ही कुछ पुराने चेहरों को हटाया भी जा सकता है. बता दें, मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले लगभग सभी प्रमुख नेताओं को सूचना दे दी गई है, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वानंद सोनोवाल, नारायण राणे, जदयू नेता आरसीपी सिंह जैसे प्रमुख नेता दिल्ली पहुंच भी गए हैं.

आपको बता दें, मोदी कैबिनेट में युवाओं को खास तौर पर तरजीह दी जाएगी. इसी कड़ी में राजस्थान के चूरू से सबसे युवा सांसद 37 वर्षीय राहुल कस्वां और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी की मोदी कैबिनेट में एंट्री लगभग तय हो गई है. हालांकि, सीपी जोशी का कहना है कि देर रात तक उन्हें दिल्ली से बुलावा नहीं आया. वहीं कुछ दिग्गज नेताओं को सरकार से संगठन में भेजा जा सकता है. उन्हें उत्तर प्रदेश-पंजाब सहित उन राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जहां 8 से 12 महीने में चुनाव होने हैं.

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सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते एक माह में अपने सभी मंत्रियों के कामकाज की विस्तृत समीक्षा की है. इसके चलते लगभग आधा दर्जन मंत्रियों पर गाज भी कर सकती है. साथ ही लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा नए मंत्रियों को शामिल किए जाने की संभावना है, जिनमें लगभग आधा दर्जन कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं. जिन प्रमुख नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, नारायण राणे प्रमुख हैं. समीक्षा में जिनका प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. हालांकि, यह आगे आने वाले विधानसभा चुनाव और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा.

इसके अलावा, जिन नए चेहरों की चर्चा है उनमें बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी, उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद अजय मिश्रा, सकलदीप राजभर, विनोद सोनकर, महाराष्ट्र भाजपा के सांसद कपिल पाटील, हिना गावित, ओडिशा से आने वाले सांसद अश्विनी वैष्णव, मध्य प्रदेश की लोकसभा सांसद संध्या राय व हरियाणा की सांसद सुनीता दुग्गल शामिल हैं. इस विस्तार में भाजपा सहयोगी दलों को भी मजबूती से अपने साथ करना चाहेगी. जदयू ने साफ किया कि वह सरकार में शामिल होने जा रही है और सब कुछ तय हो गया है. जद यू से आरसीपी सिंह समेत तीन से चार मंत्री बनाए जा सकते हैं. इसके अलावा अपना दल से अनुप्रिया पटेल, लोजपा के पशुपति पारस, निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद (भाजपा सांसद) को भी जगह मिल सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में बदलाव संभव है. वहीं, अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल को तरक्की दी जा सकती है.

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वहीं, बंगाल से भाजपा सांसद एस ठाकुर, कर्नाटक के ए नारायणसामी, मणिपुर से आरआर सिंह, यूपी के सकलदीप राजभर, अनिल बलूनी, सुधांशु त्रिवेदी, सुशील मोदी, अश्विनी वैष्णव, जीवीएल नरसिम्हराव के नाम भी मंत्री पद के लिए चर्चा में हैं. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह या तीरथ सिंह रावत मंत्री बन सकते हैं. राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव सदन के नेता और कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं. हरदीप सिंह पुरी और नरेंद्र सिंह तोमर के विभाग कुछ कम हो सकते हैं.

आपको बता दें, आज शाम होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार से ठीक पहले केंद्र सरकार ने एक नया मंत्रालय बनाया है. केंद्र सरकार ने मंगलवार देर शाम ‘सहकार से समृद्धि‘ के विजन को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा एक अलग ‘सहयोग मंत्रालय‘ बनाया गया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक नया सहकारी मंत्रालय सृजित करने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए अलग से प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराएगा.

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वहीं दूसरी तरफ लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) की टूट का असर भी मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में दिखने वाला है. लोजपा से पशुपतिनाथ पारस को मंत्री बनाया जा सकता है, जिसके खिलाफ चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है और इसका विरोध किया है. गौरतलब है कि लोजपा में हाल में टूट हुई थी और पशुपतिनाथ पारस ने छह में से 5 ससदों के साथ संसद में नेता बन गये थे. बाद में उन्होंने खुद को लोजपा का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था. जबकि लोजपा के पहले से अध्यक्ष चले आ रहे चिराग पासवान ने अपने नेतृत्व वाली पार्टी को असली लोजपा करार दे रहे हैं.

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