Politalks.News/Uttarpradesh. उत्तरप्रदेश चुनाव की तैयारी में पिछड़ती दिख रही कांग्रेस को लखीमपुर ने संजीवनी दी है. देश की सबसे पुरानी पार्टी को यह ‘राजनीतिक जीवनदान’ दिलाने का श्रय अगर किसी को जाता है तो प्रियंका गांधी. लखीमपुर के बाद कांग्रेस को जो फायदे हुए हैं उनको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. साथ ही यूपी में कांग्रेस की रणनीति को लेकर भी बदलाव किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को विधानसभा चुनाव में चेहरा बना रही है. लखीमपुर मामले में राष्ट्रपति को ज्ञापन देने गए प्रतिनिधिमंडल में प्रियंका को शामिल किया गया. वहीं इससे पहले कांग्रेस का साथ छोड़ रहे दिग्गजों ने अचानक अपने पांव थाम लिए हैं. इसके अलावा अब समान विचारधारा वाली पार्टियां भी गठबंधन के लिए हाथ बढ़ा सकती हैं.
विधानसभा चुनाव और किसानों का चेहरा हो सकती हैं प्रियंका!
कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी को चेहरा बना रही है. साथ ही पार्टी किसानों के बीच नाराजगी को भी कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए प्रियंका का इस्तेमाल कर रही है. यह तो तय है कि लखीमपुर खीरी में भाजपा नेता की गाड़ी से किसानों को कुचले जाने की घटना के बाद प्रियंका ने जैसी राजनीति की है उससे किसानों और आम लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता और पहुंच दोनों बढ़ी है. अब कांग्रेस इसका अधिकतम लाभ लेना चाहती है. इसलिए कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलने गया तब भी प्रियंका को साथ ले जाया गया.
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राष्ट्रपति से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में थीं प्रियंका
संभवत् यह पहला मौका था, जब प्रियंका राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के लिए कांग्रेस के किसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बन कर गईं. पहले सात नेताओं को राष्ट्रपति पास जाना था पर कोविड प्रोटोकॉल की वजह से पांच नेताओं को ही जाने की इजाजत मिली तो कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम काट दिया गया लेकिन प्रियंका राष्ट्रपति भवन गईं. प्रियंका के जरिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सहित देश भर के किसानों को यह मैसेज दिया है कि वे किसानों की असली हितैषी हैं.
कुछ दिन पहले पार्टी छोड़ने वाला का था तांता!
उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों गजब भगदड़ मची थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद पार्टी छोड़ कर गए भाजपा में चले गए. भाजपा ने उनको विधान परिषद का सदस्य बना कर योगी सरकार में मंत्री बना दिया. उनका परिवार दशकों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था. जितिन प्रसाद के बाद कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया, त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि, ‘कांग्रेस में पुराने लोगों की अनदेखी हो रही है. दो बड़े ब्राह्मण परिवारों का इस तरह कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका था.
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कांग्रेस का दामन छोड़ रहे नेताओं ने रोके पांव!
इनके बाद पिछले दिनों बुंदेलखंड के बड़े दलित नेता और पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी और विनोद चतुर्वेदी कांग्रेस छोड़ कर सपा में चले गए. महोबा के कांग्रेस नेता मनोज तिवारी भी सपा में शामिल हो गए. इस बीच खबर थी कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मजबूत नेता इमरान मसूद पार्टी छोड़ने वाले हैं. पिछले हफ्ते उनके कांग्रेस छोड़ने और सपा में शामिल होने की खबर थी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी. अब इमरान मसूद का कहना है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे लेकिन वे चाहते हैं कि ,’कांग्रेस और सपा मिल कर लड़ें‘. इमरान मसूद का पार्टी नहीं छोड़ना इस बात का संकेत है कि लखीमपुर की घटना के बाद हालात बदले हैं और इस वजह से कांग्रेस में मची भगदड़ थमी है’.
यूपी में कांग्रेस का चेहरा बनेंगी प्रियंका! पार्टी छोड़ रहे नेताओं ने थामे पांव तो गठबंधन के खुल सकते द्वार
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