Politalks.News/ Rajasthan. तेल एवं गैस के बाद अब प्रदेश में मिले पोटाश के भंडारों से राजस्थान को एक नई पहचान मिलेगी, यह कहना है प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का. सीएम गहलोत ने कहा देश में हर वर्ष करीब 5 मिलियन टन पोटाश का आयात होता है. इस तरह इस पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च होती है. राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं बीकानेर क्षेत्र में पोटाश के भंडारों से हम इस खनिज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेंगे. इस दुर्लभ खनिज का मुख्य उपयोग उर्वरक, केमिकल एवं पेट्रो-केमिकल तथा ग्लास सहित अन्य उद्योगों में होता है. प्रदेश में इस खनिज का उत्खनन होने से इन उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व एवं रोजगार में वृद्धि होगी. यहां हम आपको बता दें, गंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर क्षेत्र में 700 मीटर नीचे पोटाश के भंडार पाए गए हैं.
पोटाश खनिज के व्यावहारिकता अध्ययन के लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास पर राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड और भारत सरकार के मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) के बीच त्रिपक्षीय करार पर हस्ताक्षर किए गए. इस एमओयू में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केन्द्रीय कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी और केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी जुड़े. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि आज हुआ एमओयू पोटाश के खनन की दिशा में एक बढ़ा कदम साबित होगा. पोटाश का मुख्य उपयोग उर्वरक, केमिकल, पेट्रो-केमिकल ,ग्लास सहित अन्य उद्योगों में होता है. प्रदेष में इस खनिज का उत्खनन होने से इन उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व और रोजगार में वृद्धि होगी.
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खनिज संपदा की खोज के लिए नियुक्त होगा कंस्लटेंट
इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, देश को खनिजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में राजस्थान का बड़ा योगदान है. राजस्थान खनिजों का खजाना है, हमारा प्रयास है कि इनका समुचित दोहन हो और राजस्थान खनन के क्षेत्र में नंबर वन राज्य बने. पूरे प्रदेश की खनिज संपदा की खोज के लिए कंसलटेंट नियुक्त किया जाएगा.
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार माइनिंग सेक्टर में नीतिगत सुधार कर रही है और इस क्षेत्र में कई बाधाओं को दूर किया गया है. देश के लिए जरूरी पोटाश की उपलब्धता के आकलन और खनन की दिशा में हो रहे इस काम में राज्य सरकार से प्रो-एक्टिव सहयोग मिल रहा है. भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण और एमईसीएल ने अपने प्रारंभिक अध्ययन में इस बेसिन में करीब 2500 मिलियन टन खनिज पोटाश की उपलब्धता का आकलन किया है. भारत सरकार खनन के क्षेत्र में राजस्थान को पूरा सहयोग करेगी.
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पश्चिमी राजस्थान पोटाश से जुड़े उद्योगों का हब बन सकता है : मेघवाल
वहीं केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि पोटाश के खनन से पश्चिमी राजस्थान पोटाश से जुड़े उद्योगों का हब बन सकता है. इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.
खान और पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कई दशक पहले प्रदेश में पोटाश खनिज के मौजूद होने का आकलन किया था, लेकिन इस दिशा में आगे काम नहीं हो सका. अब इस काम को गति मिल सकी है.