Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच जहां पीसीसी में गोविंद सिंह डोटासरा की ताजपोशी के कारण जबरदस्त हलचल रही तो वहीं भाजपा मुख्यालय में भी बुधवार को विधायकों की असामान्य हकचल दिखी और दिनभर विधायकों के आने जाने का सिलसिला लगा रहा. हालांकि पार्टी ने इसे औपचारिक मुलाकात करार दिया, लेकिन प्रदेश के सियासी संग्राम में इन मुलाकातों के मायने भी लगाए जा रहे हैं. इसी बीच बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कांग्रेस बड़ा निशाना साधते हुए कहा कि देश के लिए इस वक्त कोरोना और कांग्रेस ही सबसे बड़ा संकट है. प्रदेश में बजरी माफिया का राज है, अपराध दिनों दिन बढ़ते जा रहे है और सरकार दो सप्ताह से एक होटल में मौजमस्ती कर रही है.
वहीं राज्यपाल को लेकर की जा रही टिप्पणी लेकर सतीश पूनियां ने कहा कि राज्यपाल के लिए जिस तरह की भाषा का प्रयोग कांग्रेस के लोग कर रहे हैं, उससे साफ है कि उनका मानसिक संतुलन खराब हो चुका है. कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए पूनियां ने कहा कि कोरोना की महामारी से केंद्र सरकार निपट लेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि राज्य में मनोचिकित्सालयों की मांग बढ़ने वाली है. पूनियां ने आगे कहा कि सरकार में बैठे हुए मंत्री किसी आम कार्यकर्ता से भी ज्यादा निम्न भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. कैबिनेट सत्र बुलाने के लिए जब सिफारिश करती है तो राज्यपाल को सत्र बुलाना ही होता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी राज्यपाल पद की गरिमा पर हमले कर रही है.
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विधानसभा सत्र को लेकर सतीश पूनियां ने कहा कि सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल ने अपनी मंशा साफ कर दी है. 21 दिन के नोटिस के जरिए सत्र बुलाने की एक विधिवत प्रक्रिया होती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 13 मार्च को सत्रावसान हुआ था, तब कोरोना के कहर को लेकर ही स्पीकर ने विधानसभा का सत्रावसान किया था, लेकिन आज जब कोरोना अपने चरमकाल पर है और सरकार सत्र बुलाने पर तुली हुई है.
वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सदन बुलाने की सरकार की मंशा नहीं दिखती. आर्टिकल 174 के अनुसार राज्यपाल को 21 दिन के नोटिस सदन आहूत करने का अधिकार है, किंतु राज्य सरकार खुद कदमताल कर रही है और खुद नहीं चाहती कि सदन आहूत हो. यही वजह है कि राज्यपाल के बताए कारणों का भी जबाव स्पष्ट नहीं कर पा रहेे हैं. राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि राज्य सरकार के मंत्रियों और विधायकों को राज्यपाल के लिए उचित शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए. हमारी संसदीय परंपरा भी यह कहती है कि संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.
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प्रदेश भाजपा कार्यालय पर बुधवार को रही विधायकों की असामान्य हकचल को लेकर कयास लगाया जा सकता है कि विधायकों के साथ प्रदेश में जारी सियासी संग्राम पर बीजेपी अपनी रणनीति बना रही है. जानकारों की मानें तो अगले कुछ दिनों में सरकार गिराने की कोशिश में भाजपा का कोई नया प्रयोग सामने आ सकता है. बुधवार को भाजपा कार्यालय में आयोजित हुईं बैठकों में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कालीचरण सराफ, मदन दिलावर, अभिनेष महर्षि, अशोक लाहोटी, नरपतसिंह राजवी, मंजीत धर्मपाल, बिहारीलाल विश्नोई, शौभा चौहान, हमीर सिंह भायल सहित कई अन्य विधायक पहुंचे जो कि सामान्य तौर पर आमदिनों में नजर नहीं आते हैं.