Politalks.News/UttarPradesh. यूपी की राजनीति में सभी पार्टियों का फोकस ब्राह्मण (Brahmin) वोटों पर है. सूबे की सियासत अब भगवान राम से आगे बढ़ते हुए परशुराम तक जा पहुंची है. ब्राह्मण वोटों को रिझाने के लिए रविवार को सपा सुप्रीमो (Samajwadi Party) अखिलेश यादव ने लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण (Lord Parshuram statue) कर अपनी विजय यात्रा के 10वें चरण का आगाज किया, तो अब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा (Uttar Pradesh deputy chief minister Dinesh Sharma) समेत कई भाजपा नेताओं ने लखनऊ के सहसोवीर मंदिर में भगवान परशुराम की प्रतिमा का अनावरण किया है. इस दौरान दिनेश शर्मा के अलावा भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी, उनके बेटे मयंक जोशी, योगी सरकार के मंत्री ब्रजेश पाठक समेत कई सीनियर नेता भी मौजूद रहे. इन नेताओं में से ज्यादातर ब्राह्मण समुदाय से ही जुड़े हुए थे. जानकारों का मानना है कि अब तक अयोध्या-मथुरा-काशी पर फोकस रखने वाली भाजपा ने यूपी में ठाकुरवाद से नाराज ब्राह्मण बिरादरी को साधने की कोशिश में ही यह कदम उठाया है.
दरअसल, सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि, यूपी में बीते कई सालों से राज्य की योगी सरकार द्वारा अपनी उपेक्षा किए जाने से ब्राह्मण बिरादरी नाखुश है. ऐसे में इस बिरादरी को लुभाने के लिए भाजपा, सपा, बसपा समेत कई पार्टियां जुटी हुई हैं. बीएसपी तो लंबे समय से ब्राह्मण बिरादरी को लुभाने के प्रयास करती रही है. इस बार भी वह राज्य भर में प्रबुद्ध सम्मेलनों के जरिए ब्राह्मणों को साधने में जुटी है.
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आपको बता दें, भगवान परशुराम की छह फुट ऊंची प्रतिमा राजस्थान से खरीदकर लाई गई है. पूर्व सीएम अखिलेश पर निशाना साधते हुए डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि, ‘अखिलेश पहली बार इस तरह का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भाजपा तो पहले भी भगवान परशुराम की प्रतिमाएं लगवा चुकी है. हमारी सरकार के दौर में कई पार्कों का नाम भगवान परशुराम पर ही रखा गया है’. दिनेश शर्मा ने कहा कि, ‘परशुराम ही नहीं बल्कि भाजपा ने तो समाज के सभी वर्गों के नायकों का सम्मान किया है. संत रविदास, वाल्मीकि और राणा प्रताप का भी सम्मान किया गया है’.
गौरतलब है कि हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूर्वांचल एक्सप्रेस के पास एक मंदिर में 108 फुट ऊंची भगवान परशुराम की प्रतिमा का अनावरण किया था. वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो ‘सियासी सूबे’ यूपी में ब्राह्मणों की 13 फीसदी के करीब आबादी है. ऐसे में हर दल इस बड़े वर्ग को साधने में जुटा है. बता दें, बसपा ने 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले के तहत ब्राह्मणों की मदद से ही सत्ता हासिल की थी. उस चुनाव के बाद से ही राज्य में ब्राह्मणों को लुभाने के प्रयास सभी राजनीतिक दलों की ओर से किए जाते रहे हैं.